October 6, 2024
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पश्चिम बंगाल में अफीम की खेती होगी!

यूं तो अफीम को मादक पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है. परंतु यह भी सच है कि देश के 4 राज्यों में इसकी खेती की जाती है. हालांकि सरकार ने अफीम की खेती को प्रतिबंधित कर दिया है. अफीम की खपत ज्यादा और फसल कम होने से इसकी कीमत सबसे ज्यादा है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में अफीम और पोस्तो की खेती पर जोर दे रही है. उन्होंने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. उन्होंने राज्य में अफीम, खसखस और पोस्तो की खेती करने की इजाजत मांगी है. हो सकता है कि कुछ लोगों को हैरानी हो रही हो. परंतु पश्चिम बंगाल की संस्कृति, खानपान और लोगों की पसंद को देखते हुए इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए.

दरअसल बंगाल के लोग खसखस की सब्जी, आलू पोस्तो काफी पसंद करते हैं. पोस्तो का बड़ा भी पीस कर बनाया जाता है. यह बंगाल के लोगों का पारंपरिक व्यंजन भी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मानती हैं कि बंगाल के लोगों का यह प्रिय भोजन है. खसखस, आलू पोस्तो, पोस्तो को लोग काफी पसंद करते हैं. हर दिन ऐसे व्यंजन बंगाल के लोगों के घर में बनते हैं. परंतु अब पोस्ता दाना काफी महंगा हो चुका है. इसलिए चाह कर भी लोग बहुत कम इसका सेवन कर रहे हैं.

आलू के साथ खसखस पीसकर एक सब्जी बनाई जाती है, जिसे आलू पोस्तो कहते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल का हर एक नागरिक ऐसी सब्जी पसंद करता है. यहां उनका पारंपरिक व्यंजन भी है. ऐसे में क्यों नहीं इसकी खेती बंगाल में ही की जाए. वर्तमान में बंगाल को पोस्ता दाना दूसरे राज्यों से मंगाना पड़ रहा है, जो काफी महंगा है.

हालांकि अफीम की खेती को लेकर आलोचक का नजरिया कुछ अलग हो सकता है. पर देखा जाए तो बंगाल में इसकी आवश्यकता सबसे ज्यादा है. सुरक्षित खेती को लेकर मुख्यमंत्री ने सुझाव भी दिया है. अफीम अथवा खसखस की खेती चुने हुए फार्म में की जा सकती है. बंगाल में कृषि फार्म इसकी खेती के लिए उपयुक्त भी हैं.

अब सवाल यह है कि क्या केंद्र इसकी इजाजत देगा? क्योंकि अफीम की खेती प्रतिबंधित है. ऐसे में नहीं लगता कि केंद्र सरकार ममता बनर्जी की अपील को मानेगा. मुख्यमंत्री ने विपक्षी दलों का भी समर्थन मांगा है. खासकर भाजपा का. क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार है. अब देखना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील को केंद्र किस रूप में लेता है?

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