उत्तर बंगाल के Dooars इलाके में आए दिन हाथियों के साथ कोई ना कोई हादसा होता रहता है. कुछ हादसे सुर्खियों में आ जाते हैं. जबकि अधिकांश हादसो के बारे में लोगों को पता भी नहीं चलता. लेकिन इतना तो सभी जानते हैं कि उत्तर बंगाल के Dooars इलाके में ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं.
हाथी एक वन्य जीव प्राणी है. भारत सरकार और वन विभाग हाथियों के संरक्षण के लिए कई कदम उठा रहे है. पारिस्थितिक संतुलन और पर्यावरण को बनाए रखने के लिए वन्य जीवों का संरक्षण बहुत जरूरी है. यही कारण है कि पर्यावरणविद वन्यजीवों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं.
इस संबंध में पर्यावरण एवं पशु प्रेमी स्वयंसेवी संगठन सॉलिटेरी नेचर एंड एनिमल प्रोटेक्शन स्नैप ने एक विशेष पहल की है. संगठन के द्वारा Dooars के धरनीपुर से बिना गुड़ी तक लगभग 20 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर अत्याधुनिक सेंसर डिवाइस लगाया गया है. इस आधुनिक सेंसर डिवाइस की खासियत है कि रेल लाइन के आसपास हाथियों के आगमन की सूचना कंट्रोल रूम को मिल जाएगी और कंट्रोल रूम से इसकी जानकारी लोको पायलट को दे दी जाएगी. लोको पायलट हाथियों को बचाने के लिए गाड़ियों की स्पीड धीमी कर सकते हैं अथवा खड़ी कर सकते हैं. यानी इस सिस्टम के विकसित होने से अब ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत के मामलों में कमी आएगी नहीं होगी.
Dooars के जंगली इलाके में हाथियों की तादाद लगातार कम होती जा रही है. ऐसे में विभिन्न स्वयंसेवी संगठन हाथियों को बचाने के लिए सामने आ रहे हैं. आपको बताते चलें कि सेवक से बक्सा तक रेल रूट पर ट्रेन के धक्के से अब तक लगभग 50 हाथियों की मौत हो चुकी है. ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिए ही यह पहल की गई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जलपाईगुड़ी जिले में Dooars के धरनीपुर से बिना गुड़ी तक लगभग 20 किलोमीटर रेल पटरी पर लगभग 40 जोड़ी ऑटोमेटिक सेंसर डिवाइस सेट किया गया है. इस सेंसर डिवाइस को नेचर मेडस एंड वाइस फार एशियन एलीफेंट सोसायटी ने लगाया है. इसमें चार सेंसर उपलब्ध हैं जो सोलर के माध्यम से चलेगी.
आपको बताते चलें कि रेलवे की सहायता से इस परियोजना पर अगस्त 2022 से काम शुरू हुआ था.