सिलीगुड़ी के शक्तिगढ निवासी अशोक बर्मन अपनी पत्नी का इलाज सिलीगुड़ी के एक निजी नर्सिंग होम में करा रहे हैं. डॉक्टर साहिबा कभी 7 दिन, कभी 15 दिन तो कभी 1 महीने पर उन्हें बुलाती है. अगर 7 दिन में दोबारा विजिट की आवश्यकता पड़ी तो डॉक्टर उनसे अलग से कोई कंसल्टेशन चार्ज वसूल नहीं कर सकता. लेकिन अगर किसी कारण से डॉक्टर के पास निर्धारित समय अवधि में नहीं पहुंच पाते हैं तो मरीज से दोबारा कंसल्टेशन चार्ज वसूल किया जा सकता है.
सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में निजी अस्पतालों में मरीज को दिखाने का कमोबेश यही बुनियादी नियम है. आमतौर पर डॉक्टर की पर्ची 7 दिनों तक कंसल्टेशन चार्ज से मुक्त रहती है. लेकिन अगर 7 दिन की बजाय 8 दिन में दोबारा डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तो दोबारा कंसल्टेशन चार्ज की आवश्यकता पड़ेगी. कई बार मरीज किसी कारण से समय अवधि के दौरान डॉक्टर के पास नहीं पहुंच पाता. इसका खामियाजा दोबारा कंसल्टेशन फीस भरकर मरीज को चुकाना पड़ता है.
कभी-कभी ऐसी भी स्थिति आती है, जब मरीज निर्धारित समय अवधि के दौरान चाह कर भी डॉक्टर के पास नहीं पहुंच पाता. दरअसल मरीज का डायग्नोसिस करने के क्रम में उसे कई टेस्ट से गुजरना पड़ता है. अलग-अलग टेस्ट के लिए अलग-अलग डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है, जो 1 दिन या 2 दिन में संभव नहीं होता. कुछ टेस्ट ऐसे होते हैं जिनकी रिपोर्ट आने में कई दिन लग जाते है. ऐसी स्थिति में मरीज यही समझता है कि जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाए तब तक डॉक्टर के पास जाने से कोई लाभ नहीं होता. इस तरह से रिपोर्ट आने में 7 दिन से ज्यादा का समय लग जाता है. ऐसी स्थिति में रोगी दोबारा डॉक्टर को फीस भरकर ही रिपोर्ट दिखा सकता है.
अशोक बर्मन ने बताया कि इस तरह से रिपोर्ट के इंतजार में अथवा अन्य कारणों से दिए गए समय अवधि यानी 7 दिनों के अंदर डॉक्टर के पास नहीं जा सके, जिसके परिणाम स्वरूप अस्पताल ने उनसे पूरी कंसल्टेशन फीस वसूली है. डॉक्टर की पर्ची की अवधि 7 दिन से ज्यादा हो जाती है ऐसी स्थिति में मरीज दोबारा डॉक्टर को फीस भरकर ही रिपोर्ट दिखा सकता है. अशोक वर्मन ने बताया कि डॉक्टर साहब का प्रिसक्रिप्शन सिर्फ 7 दिनों के लिए होता है अर्थात अगर मरीज को दवा लेने के 7 दिनों के अंदर किसी भी कारण से दोबारा डॉक्टर को दिखाने की जरूरत पड़ी तो डॉक्टर उसी पर्ची के आधार पर मरीज से कोई भी फीस लिए बगैर मरीज का मार्गदर्शन कर सकता है. लेकिन अगर 8 दिन हो गए तो दोबारा डॉक्टर को फीस देनी होगी. तभी डॉक्टर मरीज को देख सकेगा. अब तक सिलीगुड़ी समय पूरे बंगाल के निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में लगभग यही नियम चल रहा है. पर अब शायद ऐसा ना हो.
पश्चिम बंगाल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमिशन ने सिलीगुड़ी और पूरे बंगाल के मरीजों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. मरीज और अभिभावक काफी समय से इसकी मांग कर रहे थे. सिलीगुड़ी के अनेक रोगियों ने पूर्व में डॉक्टरों की हर हफ्ते की फीस उगाही से परेशान होकर सरकार से भी इसकी शिकायत की थी. इसके साथ ही आई एम ए को भी पत्र भेजा था. अब मरीज अथवा उनके परिजनों की व्यथा को पश्चिम बंगाल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन ने सुन लिया है. कमीशन की जारी एडवाइजरी में राज्य के निजी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि अब 7 दिनों के बजाय 15 दिनों के अंदर बगैर कंसल्टेशन चार्ज के मरीज डॉक्टर को दिखा सकेंगे और उन्हें इस निर्देश का पालन करना होगा.
कमीशन के चेयरपर्सन जस्टिस असीम कुमार बनर्जी ने कहा है कि कई बार ऐसी शिकायतें मिली है कि 7 दिनों के बाद रिपोर्ट दखाने पर कंसल्टेशन चार्ज के नाम पर फीस ली जाती है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि 15 दिनों के अंदर निजी अस्पतालों के आउटडोर में रिपोर्ट दिखाने के लिए किसी तरह की फीस अथवा कंसल्टेशन चार्ज रोगी से नहीं लिया जा सकेगा. अब देखना होगा कि पश्चिम बंगाल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमिशन के गाइडलाइंस का पालन सिलीगुड़ी और राज्य के अन्य जिलों के निजी अस्पताल अथवा नर्सिंग होम अथवा नर्सिंग होम के डॉक्टर कितना पालन कर पाते हैं!