जिस बात की उम्मीद की जा रही थी,आखिरकार वैसा ही हुआ! उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना पूर्व फरमान वापस ले लिया. अर्थात अब स्नातक श्रेणी के हिंदी भाषी परीक्षार्थी हिंदी में ही उत्तर पुस्तिका में लिख सकेंगे.
आपको बताते चलें कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि बिरसा मुंडा कॉलेज और बनरहट कार्तिक उरांव हिंदी गवर्नमेंट कॉलेज के ही विद्यार्थी हिंदी में उत्तर लिख सकेंगे. उपरोक्त के अलावा अन्य कॉलेजों के विद्यार्थी अगर हिंदी में लिखते हैं तो उनकी उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन नहीं होगा.
उत्तरबंग विश्वविद्यालय प्रशासन की इस घोषणा के बाद हिंदी भाषी छात्रों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी सड़क पर आ गए. हिंदी भाषी छात्रों ने प्रशासन के फैसले के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया तो दूसरी ओर वाममोर्चा, कांग्रेस, भाजपा जैसे दलों के बड़े-बड़े नेता हिंदी भाषी छात्रों के पक्ष में खड़े नजर आए.
जिस तरह से छात्रों तथा राजनीतिक दलों के नेताओं का दबाव बढ़ता जा रहा था, उसके बाद तृणमूल प्रशासन भी हाशिए पर आ गया. बढ़ते दबाव के बीच तृणमूल नेता पापिया घोष ने जरूर यह संकेत दिया था कि हिंदी भाषी छात्रों के हित में ही फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर वह विश्वविद्यालय प्रशासन से बात करेगी. उसी समय यह संकेत निकल कर सामने आया था कि जल्द ही सरकार विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाकर फैसले को वापस लेने की दिशा में काम करेगी और ऐसा ही हुआ भी है.
सिलीगुड़ी से लेकर कोलकाता तक विरोध प्रदर्शन और बढ़ते दबाव के बीच आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना आदेश वापस ले लिया. उत्तरबंग विश्ववद्यालय की सहायक परीक्षा नियंत्रक श॔करी चक्रवर्ती ने पत्रांक संख्या 53 सी/सीई 2023 दिनांक 3 फरवरी 2023 के माध्यम से पूर्व के आदेश को निरस्त किया है.
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपना पूर्व फैसला वापस लेने के बाद सिलीगुड़ी और आसपास के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले उत्तरबंग यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राओं के चेहरे पर राहत भरी मुस्कान देखी जा रही है. इसी महीने से सेमेस्टर की परीक्षा शुरू हो रही है. तनाव दूर होने से छात्र परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं.