कोलकाता में एडिनोवायरस कहर मचा रहा है. पिछले 24 घंटों में 6 बच्चों की मौत के बाद माता-पिता समेत स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ती जा रही है. धीरे-धीरे यह वायरस कोलकाता और आसपास के जिलों में फैल रहा है. और अब तो यह वायरस उत्तर बंगाल में भी दस्तक दे रहा है.
इस समय बारासात जिला अस्पताल में 22 बच्चे सांस तथा अन्य लक्षणों के साथ भर्ती हैं तो दूसरी ओर जलपाईगुड़ी जिले में बड़ी संख्या में बच्चों को बुखार, सर्दी, खांसी और सांस लेने में तकलीफ की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है. जलपाईगुड़ी जिला अस्पताल में बच्चों और अभिभावकों की भीड़ देखी जा रही है. अस्पताल के शिशु सदन वार्ड में बेड की कमी के चलते एक बेड पर कई कई बच्चों को रखा जा रहा है. यहां के चिकित्सक बताते हैं कि कुछ दिनों से यहां रोजाना लगभग 300 मरीज अस्पताल आ रहे हैं. उनमें से अधिकांश को सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ है. चिकित्सक बच्चों में निमोनिया के लक्षण के आधार पर इलाज कर रहे हैं.
सिलीगुड़ी में भी सर्दी, खांसी,बुखार जैसे लक्षणों के साथ बच्चों की संख्या बढ़ रही है. अनेक बच्चों का घर पर ही इलाज चल रहा है. जिन बच्चों को सांस की दिक्कत है, उन्हें ही अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में भर्ती किया जा रहा है. परंतु क्या यह एडिनोवायरस संक्रमण है या फिर मौसमी संक्रमण, यह पता लगाने का फिलहाल सिलीगुड़ी जिला अस्पताल और उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के डॉ संजय मलिक बताते हैं कि एडिनोवायरस टेस्ट की कोई खास गाइडलाइन नहीं है.
यह ठीक है कि इसकी जांच सिर्फ बड़े-बड़े अस्पतालों में ही की जा सकती है. इस वायरस का मुकाबला केवल सतर्कता और बचाव से ही संभव है. सिलीगुड़ी जिला अस्पताल हो अथवा उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल, सभी स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं. जैसे ही एडिनो की सही जानकारी मिलेगी, उसके आधार पर यहां के अस्पताल इलाज का तरीका अपनाएंगे. फिलहाल सभी राज्य स्वास्थ्य विभाग के अगले दिशानिर्देश जारी होने का इंतजार कर रहे हैं.
सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के अधीक्षक चंदन घोष बताते हैं कि एडिनोवायरस को लेकर सिलीगुड़ी वासियों को सतर्क किया जा रहा है और राज्य स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देश का पालन करने पर जोर दिया जा रहा है. परंतु क्या यह एडिनोवायरस ही है, फिलहाल इसकी पहचान प्रणाली उपलब्ध नहीं है. एडिनोवायरस की पहचान के लिए कोलकाता पर ही यहां के अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आश्रित हैं.
एडिनोवायरस के कहर और सिलीगुड़ी में खौफ के बीच पिछले दिनों सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष ने सिलीगुड़ी जिला अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने जिला अस्पताल की अव्यवस्था पर स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथों लिया. शंकर घोष ने अपने बयान में कहा कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते शहर में कभी भी एडिनोवायरस का बड़ा संक्रमण फैल सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र भी लिखा है.
यह सच है कि सिलीगुड़ी में इस संक्रमण का ग्राफ अभी नियंत्रण में है,परंतु बच्चों को लेकर उनके माता-पिता को समझाया जा रहा है कि अगर कोई बच्चा एडिनोवायरस जैसे लक्षणों से पीड़ित है, भले ही वह एडिनोवायरस नहीं हो, फिर भी माता पिता अपने बच्चों को स्कूल ना भेजें.
माता-पिता दहशत में जरूर हैं.इसलिए बच्चों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. फिलहाल सिलीगुड़ी में स्थिति नियंत्रण में है. परंतु इस पर चिंता जताई जा रही है कि अगर जलपाईगुड़ी की तरह सिलीगुड़ी में भी ऐसे मामले लगातार बढ़ते रहे तो क्या होगा. क्योंकि यहां एडिनो जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. ऊपर से कहीं ना कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी दिख रही है.