सोशल मीडिया के इस जमाने में ऑनलाइन कारोबार का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में कुछ शातिर किस्म के लोग ठगी करने के जाल भी फैला रहे हैं. वह किसी बड़े व्यक्ति का नकली फेसबुक बनाकर विभिन्न बहानों से लोगों की आंखों में धूल झोंकते हैं. जब तक लोगों को कुछ पता चलता है,तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में साइबर ठगी के अनेक मामले प्रकाश में आ चुके हैं. साइबर पुलिस बहुत ही कम मामलों में अपराधियों की धर पकड़ करती है. लेकिन अगर मामला किसी बड़े पुलिस अधिकारी का हो तो मजबूरन पुलिस को करवाई तो करनी ही पड़ती है. साइबर अपराधियों के हाथ इतने बढ़ चुके हैं कि साधारण लोग तो किसी भी तरह उन तक नहीं पहुंच सकते.
ऐसा ही एक मामला इस समय सुर्खियों में है. आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे, जब ऐसे शाति लोगों के साहसिक कारनामे सुनेंगे. पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले के जिला पुलिस अधीक्षक का नकली फेसबुक अकाउंट बनाकर कुछ लोग स्वयं को सेना का अधिकारी बताकर इमारती लकड़ी अथवा फर्नीचर बेचने का धंधा कर रहे थे. अब एक नाम वाला व्यक्ति लोगों से कुछ खरीदने का आग्रह करता है , तो भला कौन मना कर सकता है! खासकर ऐसा ठग जब किसी बड़े व्यक्ति का फोटो अपलोड करता है तो भरोसा करना ही पड़ता है
इस धंधे में सक्रिय लोग पुरुलिया के जिला पुलिस अधीक्षक के फर्जी फेसबुक अकाउंट से ग्राहकों को पटाते थे तथा उनसे फर्नीचर बेचने के नाम पर 10000 से लेकर ₹20000 तक एडवांस मांगते थे.जब पैसे उनके अकाउंट में जमा हो जाता था, उसके बाद से यह लोग अपनी जगह बदल लेते थे और ग्राहकों से बात करना बंद कर देते थे. धीरे-धीरे इस मामले की जानकारी जिला पुलिस अधीक्षक को हो गई तो उन्होंने पुरुलिया के साइबर थाने में जाकर एक लिखित शिकायत दर्ज करा दी.
क्योंकि मामला एक पुलिस अधीक्षक के स्वाभिमान, मान और सम्मान से जुड़ा था, ऐसे में साइबर पुलिस ने साइबर अपराधियों का पता लगाना शुरू कर दिया.जल्द ही पता चला कि जिन लोगों ने जिला पुलिस अधीक्षक के नाम पर ठगी की है, वह उत्तर दिनाजपुर जिले के रहने वाले हैं. उनके नाम राहुल घटक और संतों माझी है. हालांकि दोनों ही व्यक्ति मूल रूप से झारखंड के रहने वाले हैं. लेकिन वह काफी समय से बंगाल में हावड़ा में रह रहे थे.
कहते हैं कि जब पाप का घड़ा भर जाता है, तब व्यक्ति से कोई ना कोई चुक हो जाती है. जैसे कि इन दोनों युवकों का पुरुलिया के जिला पुलिस अधीक्षक का नकली फेसबुक अकाउंट बनाकर लोगों को लूटना काफी महंगा साबित हुआ. पुलिस ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में प्रस्तुत किया, जहां से उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस रिमांड की अवधि में दोनों आरोपी युवकों से विस्तृत पूछताछ की जाएगी.
पुरुलिया के जिला पुलिस अधीक्षक अभिजीत बैनर्जी ने अपने एक बयान में कहा है कि यह कुछ लोगों का काम नहीं हो सकता. बल्कि एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और देश के विभिन्न शहरों में ऐसे काम को अंजाम देने वाले लोग सक्रिय हो गए हैं. जिला पुलिस अधीक्षक ने आम जनता को सावधान करते हुए कहा है कि अगर आपके पास कुछ ऐसे मैसेज आए तो सर्वप्रथम उसकी सच्चाई का पता करें, अन्यथा लूटते देर नहीं लगेगी.
कई ठग और धोखेबाज ऐसे होते हैं,जो किसी बड़े व्यापारी अथवा उद्योगपति का नकली फेसबुक या इंस्टाग्राम अकाउंट बनाकर व्यापारी या उद्योगपति के संगी, साथियों अथवा मित्रों से लोन उठाते हैं या फिर अन्य प्रकार से चूना लगाते रहते हैं. आपको याद होगा कि पिछले दिनों सिलीगुड़ी में भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया था. ऐसे में सलाह दी जाती है कि जब तक सच का पता न कर लें,तब तक ऐसे सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर आए फर्जी मैसेज पर भरोसा ना करें.