November 17, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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कंफर्म रेल टिकट चाहिए…मिलेगा!

इन दिनों रेल यात्रा कुछ ज्यादा ही हो रही है.कारण गर्मी की छुट्टियां, शादी विवाह का सीजन, गांव या शहर में दो पल सुकून से गुजारने की म॔शा या फिर यात्रा,पर्यटन का आनंद उठाने की छटपटाहट में लोग इस समय साधारण तौर पर रेल यात्रा करना पसंद करते हैं. मैदानी भाग और शहर की चिलचिलाती गर्मी व धूप से दूर पहाड़ की वादियों में मन बहलाव के लिए इस समय पर्यटक हिल स्टेशन पर जाते हैं. अधिकांश पर्यटक ट्रेन से यात्रा करते हैं. जबकि कई पर्यटक विमान से यात्रा करते हैं.

इस समय हालत यह है कि रेलगाड़ियों में कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है. अगर 3 महीने पहले भी आपने टिकट बुक करवाया है और आपका टिकट वेटिंग में है, जबकि उस समय आपने यह सोचा होगा कि 3 महीने की अवधि के दौरान आपका टिकट स्वतः कंफर्म हो जाएगा तो इस भुलावे में मत रहिए. क्योंकि अधिकांश मामलों में देखा गया है कि चाहे आरएसी हो अथवा वेटिंग ट्रेन टिकट कंफर्म नहीं हुआ. सुपरफास्ट ट्रेनों में तो सोचिए भी मत. साधारण एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में भी आपका वेटिंग नंबर थोड़ा नीचे हो सकता है. लेकिन कंफर्म नहीं होगा. यहां तक कि कई यात्रियों ने यह भी शिकायत की है कि उनका 2 महीने पहले का RAC रेल टिकट भी कंफर्म नहीं हुआ, जबकि वे इस इंतजार में थे कि उनका आर ए सी कंफर्म हो जाएगा.

दूसरी ओर यह भी देखा जा रहा है कि एजेंट के जरिए लोगों को कुछ दिन पहले का ही बुक कराया गया टिकट कंफर्म मिल रहा है. श्याम लाल ने बताया कि उन्होंने 10 दिन पहले जोधपुर का टिकट एक दलाल के माध्यम से कराया और उनका टिकट कंफर्म मिला. हालांकि श्यामलाल को टिकट की दर से कई गुना ज्यादा पैसा एजेंट को देना पड़ा था, पर उन्हें पैसे जाने की चिंता नहीं है.टिकट तो उनका कंफर्म हो गया, वे मजे से यात्रा कर सकेंगे, इसी बात की खुशी है! एनजेपी से कोलकाता,दिल्ली,मुंबई, अहमदाबाद इत्यादि शहरों की यात्रा करने वाले लोग इसी तरह की शिकायत करते हैं कि उनका पहले का टिकट कंफर्म नहीं हुआ. जबकि कुछ दिनों पहले कराया गया टिकट कंफर्म मिला. आखिर इसका रहस्य क्या है?

क्या कारण है कि दलाल के माध्यम से आपका टिकट कंफर्म हो जाता है जबकि मोबाइल अथवा टिकट बुकिंग घर से लिया गया टिकट कंफर्म नहीं होता? लोगों का कहना है कि रेलवे में भ्रष्टाचार फिर से पनपने लगा है. दलाल बाबू से मिले हुए हैं. इसलिए रेल टिकट कंफर्म हो रहा है. जबकि एक साधारण व्यक्ति जो साधारण रेल नियम और शर्तों के अनुसार टिकट लेता है तो उसका कंफर्म टिकट नहीं मिलता. कुछ लोगों ने यह भी बताया कि वास्तव में यह कोटे का दुरुपयोग होता है. हालांकि रेलवे की ओर से यही कहा जाता है कि कौन टिकट कंफर्म होगा, कौन टिकट कंफर्म नहीं होगा, यह सब एक सिस्टमैटिक डिजिटल पद्धति से होता है. इसमें किसी की पैरवी अथवा सिफारिश काम नहीं करती.

सवाल तो यह है कि जब सब कुछ पारदर्शी तरीके से होता है तो फिर ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोगों को दलाल के जरिए कंफर्म टिकट मिल जाता है, जबकि अधिकांश लोगों का टिकट वेटिंग में ही रह जाता है. ऐसे यात्रियों को रेल यात्रा करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अगर कोई असहाय या वृद्ध व्यक्ति यात्रा कर रहा है तो आप समझ सकते हैं कि उन्हें कितनी परेशानी होगी. क्योंकि इस समय स्लीपर बोगियों में भी पैर रखने की जगह नहीं है.

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