सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल में कल यानी 4 नवंबर से वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू हो रही है। चुनाव आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस दौरान नागरिकों के नाम जोड़े या संशोधित किए जाएंगे और गलत या निष्क्रिय नाम हटाए जाएंगे। यह प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चलेगी। मसौदा मतदाता सूची 9 दिसंबर को जारी होगी और अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
SIR प्रक्रिया के केंद्र में है “एन्यूमरेशन फॉर्म” — यानी वह फॉर्म जो तय करता है कि आप भारत की मतदाता सूची में सही तरीके से दर्ज हैं या नहीं।
यह फॉर्म हर उस नागरिक के लिए जरूरी है जो 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का है और मतदान का अधिकार रखता है। चुनाव आयोग इसे मतदाता पंजीकरण का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज मानता है।
एन्यूमरेशन फॉर्म का मुख्य उद्देश्य है नागरिक की पहचान, पता, जन्मतिथि और अन्य आवश्यक विवरण को प्रमाणित करना ताकि मतदाता सूची में किसी तरह की त्रुटि न रहे। इसे भरने के बाद संबंधित बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) आपके घर आकर विवरण की पुष्टि करते हैं। सत्यापन के बाद ही आपका नाम आधिकारिक मतदाता सूची में जोड़ा जाता है।
फॉर्म में क्या-क्या भरना होता है-
एन्यूमरेशन फॉर्म में व्यक्ति को अपनी बुनियादी से लेकर महत्वपूर्ण जानकारी तक देनी होती है, जैसे —
पूरा नाम (हिंदी और अंग्रेजी दोनों में)
पिता, माता या पति/पत्नी का नाम
स्थायी और वर्तमान पता
जन्मतिथि और उम्र
मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी (वैकल्पिक)
पहचान पत्र नंबर (जैसे आधार, पैन या ड्राइविंग लाइसेंस)
पेशा और शैक्षणिक योग्यता
यदि पहले किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र में नाम था, तो उसका विवरण
फॉर्म भरने के बाद BLO द्वारा इसकी जांच की जाती है। यदि कोई गलती या अस्पष्ट जानकारी होती है, तो नागरिक से स्पष्टीकरण मांगा जाता है। इससे मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और सटीक बनती है।
बहुत से लोग यह मानते हैं कि वोटर लिस्ट अपने आप अपडेट हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है।
एन्यूमरेशन फॉर्म यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति का नाम सही क्षेत्र, पते और पहचान के साथ दर्ज हो।
यह नागरिकता का दस्तावेज़ नहीं है, लेकिन यह आपके लोकतांत्रिक अधिकार का आधार बनता है — यानी मतदान करने का अधिकार।
यह फॉर्म गलत नाम या डुप्लीकेट एंट्री रोकने में भी मदद करता है। खासकर उन लोगों के लिए जो हाल ही में किसी नए शहर या राज्य में शिफ्ट हुए हैं, एन्यूमरेशन फॉर्म भरना बेहद जरूरी है।
इस प्रक्रिया को लेकर पश्चिम बंगाल में सियासी सरगर्मी तेज है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने SIR का विरोध करते हुए कहा है कि यह “वैध मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश” है।
ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि वे 4 नवंबर को कोलकाता में एक विशाल विरोध रैली निकालेंगी, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी शामिल होंगे।
ममता ने कहा, “जब तक मैं जिंदा हूं, बंगाल के लोगों का वोटिंग अधिकार कोई नहीं छीन सकता। यह फॉर्म लोगों को डराने और बांटने की कोशिश है।”
अभिषेक बनर्जी ने भी चेतावनी दी है कि अगर किसी वैध मतदाता का नाम लिस्ट से गायब पाया गया, तो “दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के दफ्तर का एक लाख लोगों के साथ घेराव किया जाएगा।”
राज्यभर में BLO की ट्रेनिंग के दौरान कई कर्मचारियों ने असंतोष जताया है।
कुछ महिला BLO ने कहा कि शाम के बाद फील्ड वर्क के लिए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी जा रही।
वहीं, शिक्षकों ने आरोप लगाया कि BLO ड्यूटी के दिनों में उन्हें स्कूल से “एबसेंट” मार्क किया जा रहा है।
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय सुरक्षा देना संभव नहीं है क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।
TMC ने 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक राज्यभर में हेल्प डेस्क स्थापित करने की योजना बनाई है, ताकि लोग अपने नाम की स्थिति जांच सकें।
बीजेपी ने इसे “राजनीतिक नाटक” बताते हुए कहा कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है जो चुनावी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की जाती है।
अब सबकी नज़रें कल से शुरू हो रहे SIR अभियान और एन्यूमरेशन फॉर्म भरने की प्रक्रिया पर हैं — जो न केवल वोटर लिस्ट की सटीकता तय करेगी, बल्कि आने वाले महीनों में बंगाल की राजनीति की दिशा भी।
