पहाड़ में टीईटी के मुद्दे पर भाजपा, हाम्रो पार्टी तथा अन्य संगठनों के नेताओं के जीटीए और जीटीए प्रमुख अनित थापा पर पिछले कई दिनों से चौतरफा हमले जारी हैं. जीटीए का टेट मुद्दा अब उस मुकाम पर पहुंच गया है, जहां विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने अब अदालत जाने की तैयारी शुरू कर दी है. हाम्रो पार्टी कानूनी कार्रवाई करेगी. जबकि भाजपा तथाकथित घोटाले की सीबीआई जांच कराना चाहती है. इन सभी के बीच जीटीए का खुलासा किसी धमाके से कम नहीं है. पहली बार जीटीए की ओर से इतना बड़ा बयान आया है. इसके साथ ही जीटीए के नेताओं ने तथ्यों के आलोक में कुछ ऐसी बातें कही है, जिस पर विरोधी भी समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या बयान दिया जाए!
जीटीए की ओर से जीटीए प्रमुख अनित थापा का बयान आया है. अनित थापा जैसे विरोधियों को ललकार रहे हैं कि वे तथ्यों के आधार पर बात करें. हवा में बात ना करें. उन्होंने कहा है कि वर्ष 2021 में आयोजित टेट परीक्षा संचालित करने का जीटीए को पूरा अधिकार था. परीक्षा का आयोजन सभी नियम प्रक्रियाओं का पालन करते हुए प्रशासन की मौजूदगी में किया गया. उस समय की एक-एक चीज व उत्तर पुस्तिका सब कुछ आज भी सुरक्षित है. उन्होंने सवाल उठाया कि पिछले 20 सालों से पहाड़ में टेट परीक्षा का आयोजन नहीं हुआ. लेकिन वहीं सिलीगुड़ी में टेट परीक्षा का आयोजन बराबर होता है. ऐसा क्यों?
यह कहा जा रहा है कि टेट परीक्षा का आयोजन राज्य स्तर पर किया जाता है तो क्या दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल का भाग नहीं है? राज्य सरकार ने पहाड़ में टेट परीक्षा का आयोजन क्यों नहीं कराया? उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जीटीए को टेट परीक्षा आयोजित करने का विशेष वैधानिक हक दिया था. ना कि जीटीए ने अपनी मर्जी से टेट परीक्षा का आयोजन कराया? अनित थापा ने कहा कि अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से कुछ भूल हुई है तो उसका सुधार राज्य और केंद्र स्तर पर ही होगा. जीटीए ने जो कुछ किया, नियम और कानून के दायरे में किया. उन्होंने दार्जिलिंग शिक्षा बोर्ड के पत्र और निर्देश का हवाला दिया, जिसने जीटीए को टेट परीक्षा आयोजित करने का फरमान जारी किया था.
उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों के नेता बेसिर पैर की बातें करते हैं. उन्हें कम से कम जीटीए के रूल्स और रेगुलेशन को जरूर पढ़ना चाहिए. और कोई भी बात तथ्यों के आधार पर कहना चाहिए. जीटीए के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी एसपी शर्मा ने खबर समय को बताया कि टेट परीक्षा को लेकर अलग-अलग दलों के नेताओं के बयान आ रहे हैं. आरटीआई का हवाला दिया जा रहा है.यह कहा जा रहा है कि फर्जी तरीके से जीटीए ने टीईटी परीक्षा का आयोजन किया था. विभिन्न नेताओं की ओर से जीटीए पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि जीटीए ने फर्जी टेट परीक्षा के जरिए करोड़ों की धनराशि का गबन किया है. इत्यादि… इसलिए अब समय आ गया है कि इसका खुलासा कर दिया जाए. इससे पता चल जाएगा कि कौन सच्चा और कौन झूठा है. कौन सच की राजनीति करता है. और कौन झूठ की राजनीति करता है.
एस पी शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जीटीए के लिए दो अधिसूचनाएं अलग-अलग समय में जारी की गई थी. इसमें स्पष्ट कहा गया था कि जीटीए को शिक्षक भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करने का पूरा हक है. इतना ही नहीं सरकार ने पेंशन मामले में भी जीटीए को अधिकार दिया था. पश्चिम बंगाल सरकार की पहली अधिसूचना 6 जून 2013 को जारी की गई थी. जिसमें जीटीए को शिक्षक भर्ती से संबंधित सभी मामलों का अधिकार दिया गया था. जबकि सरकार की दूसरी अधिसूचना 2022 में जारी की गई. इसमें पश्चिम बंगाल सरकार ने जीटीए को पेंशन और शिक्षा से संबंधित सभी मामलों को जीटीए के स्तर पर निपटाने का आदेश दिया था.
उन्होंने कहा कि जीटीए ने विधि सम्मत तरीके से सभी प्रक्रियाएं पूरी की. आज भी टेट परीक्षा से संबंधित सभी सामग्री जुबली परिसर में सुरक्षित हैं. जब उनसे यह पूछा गया कि विनय तमांग ने टेट परीक्षा को लेकर अपनी राय अलग क्यों दी थी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 26 दिसंबर 2020 को विनय तमांग ने जो बैठक करके सर्कुलर की बात की थी, उसमें पार्टी के कुछ लोग ही उपस्थित थे. लेकिन उसमें कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है. वह भी बिना किसी आधार पर. आरटीआई के मुद्दे पर उनका ध्यान आकृष्ट करने पर उन्होंने कहा कि आरटीआई ने जो जवाब दिया है, वह पूरे राज्य के लिए है ना कि जीटीए के लिए! उन्होंने कहा कि आरटीआई केवल गुमराह कर रहा है. और कुछ नहीं.
एसपी शर्मा ने हाम्रो पार्टी के नेता अजय एडवर्ड तथा भाजपा सांसद और प्रवक्ता राजू विष्ट के इस मुद्दे पर बयान को बचकाना बताया और कहा कि अजय एडवर्ड के बयान को गंभीरता से नहीं लिया जाता. जबकि उन्होंने राजू बिष्ट के ताज़ा बयान व सीबीआई जांच के लिए राजपाल को पत्र लिखने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजू बिष्ट का काम पत्र लिखते रहना है. वे पिछले कई वर्षों से पत्र लिखते रहते हैं. उनके पत्रों को कूड़ेदान में डाल दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हाम्रो पार्टी 44000 अभ्यर्थियों के परीक्षा में बैठने की बात कर रही है जबकि सच्चाई यह है कि केवल 17264 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. उनमें से 14584 अभ्यर्थियों के आवेदन को अप्रूव्ड किया गया था. 2680 आवेदन पत्रों को अस्वीकृत कर दिया गया था. जीटीए ने 12094 एडमिट कार्ड जारी किए थे.
जीटीए के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी एसपी शर्मा ने कहा कि राजू बिष्ट और हाम्रो पार्टी के नेता बयान दे रहे हैं कि जीटीए ने करोड़ों रुपए अभ्यर्थियों से वसूल किए थे. सच तो यह है कि आवेदन पत्र फीस के रूप में जीटीए ने लगभग 19 लाख रुपए संग्रह किए थे. आज भी जीटीए के सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के खाते में 377000 रूपये सुरक्षित हैं. हवा हवाई बात करने वाले नेताओं को बिना अध्ययन के कोई बात नहीं कहनी चाहिए. उन्हें पहले होमवर्क करना चाहिए. उसके बाद बयान देना चाहिए.
जीटीए के इस बड़े खुलासे के बाद हाम्रो पार्टी तथा भाजपा की क्या प्रतिक्रिया सामने आती है, यह देखना होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि अगर जीटीए ने विधि सम्मत तरीके से टेट परीक्षा का आयोजन किया था तो फिर इसका रिजल्ट सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? इसके साथ ही सवाल यह भी उठ रहा है कि जिन अभ्यर्थियों ने परीक्षा में बैठने के लिए काफी पैसे खर्च किए थे और परीक्षा दी थी तो उनका रिजल्ट तो आना चाहिए. लेकिन रिजल्ट नहीं आया क्यों? उसकी भरपाई कौन करेगा? जीटीए को इसका भी खुलासा करना चाहिए.
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