परंपरा से माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को वसंत ऋतु और सरस्वती पूजा मनाई जाती है. वर्ष 2023 में 26 जनवरी के दिन ही माघ शुक्ल पक्ष पंचमी है. उसी दिन बसंत ऋतु का आगमन होगा और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना होती है. दोनों एक ही दिन होने से लोग कन्फ्यूजन में है कि एक साथ दोनों त्यौहार किस तरह से मना पाएंगे!
परंतु 26 जनवरी के साथ साथ बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा मनाने का अपना ही आनंद है. परंतु कुछ युवा समझ नहीं पा रहे हैं कि दोनों बड़े त्यौहार को 1 दिन में कैसे मना पाएंगे? माघ शुक्ल पक्ष पंचमी 25 जनवरी 2023 को सुबह 12:34 से लेकर अगले दिन 26 जनवरी की सुबह 10:38 तक रहेगी. इसलिए सरस्वती पूजा 26 जनवरी को ही मनाई जाएगी. जबकि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस है.गणतंत्र दिवस के सारे कार्यक्रम 11:00 बजे तक संपन्न हो जाते हैं. ऐसे में कुछ लोगों को लगता है कि सरस्वती पूजा मनाने के चक्कर में राष्ट्रीय त्यौहार कहीं हाथ से निकल ना जाए!
यह भी कि राष्ट्रीय त्यौहार मनाने के चक्कर में कहीं सरस्वती पूजा को पर्याप्त समय ना दे सके. कोई भी त्यौहार हो, उसे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है.इसके लिए वक्त बड़ी बात नहीं है. यह बड़े सौभाग्य की बात है कि दोनों ही महत्वपूर्ण त्यौहार एक दिन पड़े हैं. ऐसे में दोनों ही त्यौहारो को अत्यंत आनंद और उत्साह के साथ मनाया जा सकता है.
सिलीगुड़ी में दुर्गा पूजा के बाद सरस्वती पूजा का अपना ही आनंद होता है. बड़े धूमधाम से सरस्वती पूजा घर-घर में मनाई जाती है. छात्रों से लेकर शिक्षक, संस्थान और निजी कार्यालयों में मां की प्रतिमा रखकर पूजा अर्चना की जाती है. सिलीगुड़ी के नौकाघाट कुम्हार टोली आदि स्थानों में मां सरस्वती की प्रतिमाओं का निर्माण तथा उसे अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है. प्रतिमाकार अपने कार्यों में व्यस्त हैं.
इस बार मूर्ति कारों के चेहरे पर दुर्गा पूजा के समय से ही खुशी देखी जा रही है. छोटी बड़ी प्रतिमाओं के बड़ी संख्या में ऑर्डर मिले हैं. इसलिए मूर्तिकार व्यस्त हैं. अगर मूर्ति कारों की व्यस्तता देखनी हो तो सिलीगुड़ी के महानंदापाडा स्थित कुम्हारटोली जाकर देख सकते हैं या फिर नौकाघाट में देखा जा सकता है.
यूं तो सिलीगुड़ी में कई स्थानों पर मूर्ति कारों के द्वारा प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है, परंतु कुम्हारटोली काफी प्रसिद्ध है. कुम्हार टोली में प्रतिमा बनाने की लगभग 30 दुकानें हैं, जहां लगभग 400 मूर्तिकार काम करते हैं. मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे इन मूर्तिकारों को लगता है कि इस बार उनकी आमदनी में इजाफा होगा. प्रतिमाएं महंगी बिक रही हैं. यहां से पहाड़ और समतल के दूर-दूर इलाकों में प्रतिमाएं भेजी जाती है.
सिलीगुड़ी के अनेक मूर्तिकारों ने बताया कि इस बार पिछली बार से अधिक संख्या में मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं. प्रतिमा निर्माण के लिए कच्ची सामग्री महंगी होने से प्रतिमाओं की कीमत भी बढी है. इसलिए ऑर्डर भी महंगा हुआ है. एक मूर्तिकार ने बताया कि प्रतिमा निर्माण के लिए दूर-दूर से मिट्टी म॔गाई जाती है. हाल के दिनों में मिट्टी की कीमत में काफी इजाफा हुआ है. इसके अलावा प्रतिमा निर्माण के लिए पुआल ,लकड़ी, कील, रंग आदि वस्तुओं के दाम में भी वृद्धि हुई है. फिर भी लोगों में भारी उत्साह है. श्रद्धा और उत्साह के आगे कीमत कोई मायने नहीं रखती.
एक तरफ सिलीगुड़ी में सरस्वती पूजा का बाजार सजने लगा है, तो दूसरी तरफ 26 जनवरी की तैयारी भी चल रही है.अब देखना होगा कि लोग एक ही दिन मनाए जाने वाले 26 जनवरी और सरस्वती पूजा के त्यौहार को किस तरह से मनाते हैं!