आजकल पूरे प्रदेश में यह चर्चा का केंद्र बना है. क्या गंगासागर का कपिल मुनि आश्रम समुद्र में समाने वाला है? क्या यह प्राचीन धरोहर नष्ट होने जा रहा है? दरअसल यह सवाल पूर्णिमा के दिन उठी समुद्र की लहरों की तबाही और विनाशकारी शक्तियों के द्वारा धाम को नुकसान पहुंचाने से उत्पन्न हुआ है. इस पर विभिन्न संगठनों के लोगों ने चिंता व्यक्त की है और धाम को बचाने के लिए प्रशासन, सरकार और सनातनी लोगों से अपील की है. खतरा बड़ा है.
प्राचीन कपिल मुनि आश्रम के वजूद पर सवाल खड़े होने लगे हैं. समुद्र के मध्य स्थित यह आश्रम लगातार समुद्री लहरों के कटाव को झेल रहा है. कपिल मुनि आश्रम को लेकर धार्मिक संगठनों में भी चिंताएं देखी जा रही है. कई लोग बता रहे हैं कि कलयुग में कपिल मुनि आश्रम समुद्र में समा जाएगा. समुद्र की लहरें बड़ी बेरहमी से आश्रम को नुकसान पहुंचा रही है. होलिका दहन के दिन समुद्र की लहरों ने भयानक रूप से आश्रम को नुकसान पहुंचाया था.
आश्रम की ओर जाने वाली सड़के बदहाल हो चुकी है. चाक नंबर 1 से लेकर स्नान घाट की सड़क पर समुद्र का कटाव चल रहा है. जब यहां मेला का आयोजन कराया गया था, तो राज्य सरकार ने समुद्र तट के किनारे तटबंध और सड़कों का पुनर्निर्माण कराया था. इसके बावजूद स्नान घाट संख्या 2 और 3 को बंद करना पड़ा था. तीर्थ यात्रियों को घाट संख्या 1,5 और 6 पर स्नान करने के बाद कपिल मुनि मंदिर तक जाने के लिए दूसरे रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ा था.
पूर्णिमा को आए ज्वार में समुद्र में बड़ी-बड़ी लहरें उठी थी. इससे तटबंध बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे. अब कपिल मुनि आश्रम और समुद्र के बीच की दूरी बहुत कम रह गई है. मौसम वैज्ञानिक मौसम के बदलाव पर भी हैरान है और समुद्र की विकरालता पर भी हतप्रभ है. विशेषज्ञ कपिल मुनि आश्रम की सुरक्षा की बात कर रहे हैं. अब तो कपिल मुनि आश्रम को लेकर राजनीतिक बयान बाजी भी शुरू हो गई है. भाजपा ने कहा है कि राज्य सरकार ने गंगासागर मेले पर करोड़ों रुपए खर्च किए थे. लेकिन यह सारा पैसा टीएमसी के नेता खा गए.
जो भी हो, यह समय आरोप और प्रत्यारोप का नहीं है. बल्कि कपिल मुनि आश्रम को बचाने का है. इसके लिए राज्य सरकार, पर्यावरण , केंद्र सरकार, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक सभी को आगे आना चाहिए. कपिल मुनि आश्रम के बारे में श्रीमद् भागवत और स्कंद पुराण के अलावा कई अन्य धार्मिक ग्रंथो में उल्लेख किया गया है.
कपिल मुनि को भगवान नारायण का छठा अवतार माना जाता है. उनका प्रादुर्भाव कर्दम ऋषि और माता देवहूती के संयोग से हुआ था. श्रीमद् भागवत कथा में भगवान कपिल ने अपनी माता को सृष्टि और प्रकृति के 24 तत्वों का उपदेश किया और उसके बाद उत्तराखंड में जाकर तपस्या करने लगे थे. उन्होंने भगवान राम के पूर्वज सागर के 100 पुत्रों को भस्म कर दिया था. उसके बाद यहां गंगासागर आ गए. भागीरथ अपने पुरखों को तर्पण के लिए गंगा को धरती पर ले आए थे .सांख्य दर्शन के प्रवर्तक कपिल मुनि ने कपिल गीता जैसी कई रचनाएं लिखी हैं.