क्या लड़कियों को देर रात बाहर नहीं निकलना चाहिए? यह सवाल जरूर बहस का विषय है. परंतु जब किसी मुख्यमंत्री के द्वारा यह कहा जाता है कि लड़कियों को देर रात बाहर नहीं निकलना चाहिए तो इस पर सवाल उठेंगे ही. क्या प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था खराब है? क्या पुलिस मनुष्य खासकर लड़कियों की हिफाजत करने में सक्षम नहीं है? ऐ
ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें कम नहीं हो पा रही है. उत्तर बंगाल में बाढ़ पीड़ितों के बीच सहायता सामग्री बांटने के क्रम में तीन भाजपा नेताओं पर जानलेवा हमले की घटना की आलोचना झेल रही मुख्यमंत्री की मुश्किलें चुनाव आयोग और केंद्र सरकार ने यह कहकर बढ़ा दी है कि बंगाल और पूरे देश में SIR लागू किया जाएगा और अब राज्य में मेडिकल कॉलेज की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है. ऐसे में मुख्यमंत्री का एक विवादित बयान सुर्खियों में है.
अगर यह बात किसी मंत्री या तृणमूल नेता की ओर से कही जाती तो शायद इस पर ज्यादा शोर नहीं मचता. लेकिन यह बात स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कही है, जिनके हाथों में प्रदेश की कानून एवं व्यवस्था की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी है. यही कारण है कि सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक ममता बनर्जी के बयान की आलोचना की जा रही है. भाजपा नेताओं ने तो इसे एक मुद्दा बना लिया है और वे प्रचारित कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने मान लिया है कि प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा उनकी सरकार नहीं कर सकती है.
दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने मुख्यमंत्री के इस बयान की निंदा करते हुए कहा है कि आश्चर्य होता है कि प्रदेश की मुखिया ने महिलाओं के प्रति इस तरह का बयान दिया है. इससे पता चलता है कि उनकी महिलाओं के प्रति मानसिकता क्या है? मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद पीड़िता के पिता ने कहा है कि उनका मुख्यमंत्री से भरोसा टूटा है. उन्होंने कहा है कि वे अपनी बेटी को उड़ीसा ले जाना चाहते हैं और उड़ीसा में ही पढ़ाना चाहते हैं. उन्होंने कहा है कि उनकी बेटी के साथ जो हुआ, उससे उनका बंगाल की कानून एवं व्यवस्था से भरोसा उठ गया है.
यह पूरा मामला दुर्गापुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज से जुड़ा हुआ है. इस कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली द्वितीय वर्ष की उड़ीसा की छात्रा के साथ 10 अक्टूबर को सामूहिक दुष्कर्म हुआ था. लड़की रात में अपने दोस्त के साथ डिनर के लिए कॉलेज कैंपस से निकलने लगी .तभी वहां तीन लोग पहुंच गए और उन्होंने मेडिकल कॉलेज के कैंपस के पास ही छात्रा के साथ दुष्कर्म किया. उस समय छात्रा अकेली थी और छात्रा का दोस्त घटनास्थल से फरार हो गया था.
मुख्यमंत्री ने कहा था कि 3 हफ्ते पहले उड़ीसा में समुद्र तट पर तीन लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया गया था. उड़ीसा सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की जा रही है? उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे पता है, यह घटना जंगल के इलाके में हुई थी. मुझे नहीं पता कि क्या हुआ. उन्होंने कहा कि लड़कियों को रात में बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए… उनके इस बयान पर काफी शोर शराबा हुआ है. रविवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह बयान दिया था.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक कदम और आगे बढ़कर कहा था कि पुलिस हर व्यक्ति पर नजर नहीं रख सकती. उन्होंने सवाल किया था कि रात 12:30 बजे कॉलेज की छात्रा कॉलेज परिसर से बाहर कैसे निकली? उन्होंने कहा कि निजी मेडिकल कॉलेज की भी कोई जिम्मेदारी बनती है. छात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करना कॉलेज की जिम्मेदारी है. पुलिस हर समय किसी छात्रा की आवाजाही पर नजर नहीं रख सकती है. उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी भी दोषी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.
सोशल मीडिया और प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना की जा रही है. उनके इस बयान को गैर जिम्मेदाराना बयान माना जा रहा है और देश भर में विरोध हो रहा है. टिप्पणी को लेकर हो रही आलोचनाओं पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जवाब सामने आया है. उन्होंने कहा है कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है. उन्होंने कहा कि मैंने कहा था कि हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों को हॉस्टल से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. लेकिन मीडिया ने इसे आम बना दिया और कहा कि महिलाओं को रात में बाहर नहीं जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं आगे से प्रेस से ही नहीं मिलूंगी. उन्होंने कहा कि अगर मैं कहती हूं कि मैं चावल खाती हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं चावल हूं. मेरे साथ यह राजनीति मत करो. मुख्यमंत्री की सफाई के बाद अब देखना होगा कि मीडिया और राजनीतिक दल खासकर भाजपा इसे किस रूप में लेती है. फिलहाल मुख्यमंत्री उत्तर बंगाल में आपदा पीड़ितों के बीच राहत सामग्री का वितरण, व्यवस्था और पुनर्मूल्यांकन करने में जुटी हुई है.