November 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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क्या सिलीगुड़ी की ‘निर्भया’ को मिलेगा इंसाफ?

सिलीगुड़ी में 24 दिसंबर को वार्ड नंबर 43 की रहने वाली रेणुका खातून की दिल दहला देने वाली हत्या तथा उसके शव के टुकड़े की घटना की गूंज आज भी सुनाई पड़ रही है. जिस तरह से दिल्ली में निर्भया हत्याकांड का मामला लंबे समय तक गूंजता रहा और निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए लगातार इंडिया गेट पर मोमबत्ती रैली निकाली जाती रही, ठीक उसी तरह की घटना सिलीगुड़ी में भी देखी जा रही है.

सिलीगुड़ी की ‘निर्भया’ को इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है. अब राजनीतिक दल भी इसमें कूद पड़े हैं.रोज ही काफी संख्या में निर्भया के समर्थक मोमबत्ती रैली निकल निकाल रहे हैं और उसके हत्यारे को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं.

पहले संक्षेप में इस घटना पर प्रकाश डाल देते हैं ताकि आपको घटना की याद ताजा हो जाए. घटना 24 दिसंबर की है. सिलीगुड़ी नगर निगम के 43 नंबर वार्ड की रहने वाली रेणुका खातून अचानक ही कॉलेजपाड़ा से गायब हो गई. घर के लोगों ने उसे जहां-तहां तलाश किया. फिर रेणुका के अपहरण का मामला थाने में दर्ज करवा दिया गया. पुलिस ने इस मामले का इन्वेस्टिगेशंस करना शुरू किया.

पता चला कि रेणुका का अपहरण उसके पति ने किया था. उसने उसका अपहरण कर एक धारदार हथियार से उसे मौत के घाट उतार दिया तथा उसकी लाश के दो टुकड़े करके फांसीदेवा के पास नहर में प्रवाहित कर दिया. पुलिस के इन्वेस्टिगेशन के बाद रेणुका के शौहर को गिरफ्तार कर पुलिस ने उसे रिमांड पर ले लिया. पुलिस की कड़ी पूछताछ के बाद रेणुका के पति अंसारुल ने अपना अपराध कबूल कर लिया.

सिलीगुड़ी के लिए यह घटना किसी अजूबे से कम नहीं थी.आखिर कोई व्यक्ति इतना हैवान कैसे हो सकता है!हत्या तो हत्या, किसी की लाश के टुकड़े करना यह दर्शाता है कि हत्यारा किस मानसिकता का है!

रेणुका का हत्यारा जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया है. लोग उसे फांसी दिलाने की मांग कर रहे हैं. ठीक दिल्ली के निर्भया हत्याकांड की स्टाइल में! पर कानून लोगों की भावनाओं से नहीं चलता. कानून को सबूत और साक्ष्य चाहिए. सबूत और गवाह ही रेणुका उर्फ निर्भया को सच्चा इंसाफ दिला सकेंगे. अब देखना होगा कि पुलिस इस मामले में कब तक अभियुक्त के खिलाफ चार्जशीट पेश करती है और न्यायालय का इस पर क्या फैसला आता है!

हालांकि पिछले इतिहास को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ऐसे मामलों में कोर्ट का फैसला जल्दी नहीं आता. जिस तरह से निर्भया के मामले में हुआ था. डर है कि कहीं कोर्ट का फैसला आने से पहले ही निर्भया को शीघ्र इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे लोगों की आवाज दब कर ना रह जाए!

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