सांसद राजू बिस्ता ने केंद्र से की तत्काल कार्रवाई की अपील
दार्जिलिंग की वादियों, चायबगानों और प्राकृतिक सौंदर्य को देखने लाखों पर्यटक हर साल यहां आते है लेकिन अब यहां तक पहुंचना स्वयं एक जंग बन गया है। इसी ज्वलंत मुद्दे को संसद में जोरशोर से उठाया दार्जिलिंग के सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने।
उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग, जिसे कभी “पूर्व का स्वर्ग” कहा जाता था, आज बदहाल सड़कों और ट्रैफिक जाम के कारण न केवल पर्यटकों के लिए, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
ब्रिटिश काल में बना NH-110 (पूर्व NH-55), जिसकी क्षमता सीमित है, अब रोज़ाना 15,000 से अधिक वाहनों का बोझ झेल रहा है, जिससे घंटों लंबा ट्रैफिक जाम आम हो गया है।
राजू बिष्ट ने बताया कि इससे छात्रों, मरीजों, दफ्तर जाने वालों और पर्यटकों सभी को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। उन्होंने सिलिगुड़ी से बालासन होकर दार्जिलिंग को जोड़ने वाले एक वैकल्पिक राजमार्ग के निर्माण की मांग रखी, जो न केवल मौजूदा हाईवे पर दबाव कम करेगा बल्कि kurseong, मिरिक, सोनादा, रंगबुल, सुखिया पोखरी और पोखरेबोंग जैसे अपेक्षित क्षेत्रों को भी विकास की धारा से जोड़ेगा।
इतना ही नहीं, सांसद ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘पर्वतमाला योजना’ के तहत आधुनिक रोपवे नेटवर्क विकसित करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि घूम से दार्जिलिंग, दार्जिलिंग से बिजनबाड़ी, डेलो से कालिम्पोंग और कालिम्पोंग से चितरे तक रोपवे लिंक बनाए जाएं, जिससे ना केवल यात्रा आसान और हरित होगी, बल्कि पर्यटन को भी नई ऊंचाइयां मिलेंगी।
राजू बिस्ता ने संसद में कहा:
“दार्जिलिंग को ट्रैफिक से नहीं, विकास से पहचान दिलाने का वक्त आ गया है।”
उनकी इस पहल को क्षेत्र के नागरिकों, व्यवसायियों और युवाओं से भरपूर समर्थन मिल रहा है। अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार पर टिकी हैं — क्या दार्जिलिंग को उसकी खोई हुई गरिमा और सुगम भविष्य मिल पाएगा?