November 19, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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गरीबी और बेबसी क्या नहीं कराती! अपने कलेजे के टुकड़े को बेचने पर मजबूर हुई महिला!

‘देखो, तुमने एक-एक करके लाखों रुपए ले लिए हो. अब तुम्हें पैसे चाहिए तो कोई कीमती चीज गिरवी रख दो, अन्यथा अब मैं तुम्हें पैसे नहीं दे सकता! ‘

‘साब, मेरे पास इस लाल के अलावा कुछ भी नहीं है. आप कहिए तो मैं अपने कलेजे के टुकड़े को आपके हवाले कर देती हूं.परंतु मुझे पैसे की सख्त आवश्यकता है. मैं आज ही अपने पति से बात करूंगी. जैसे ही वह पैसा भेजेगा, मैं पाई पाई करके आपका पैसा चुका दूंगी.’

लेकिन व्यवसायी नहीं माना. उसने उस लाचार महिला को पैसे तभी दिए, जब महिला ने अपना बच्चा उसके हवाले कर दिया. कहा जाता है कि व्यवसायी को महिला का बच्चा काफी प्यारा लगा था. वह उस बच्चे को गोद लेना चाहता था. आखिरकार अपने मकसद में कामयाब हो गया.

आपने ऐसी घटनाएं तो काफी सुनी होगी. परंतु यह घटना कुछ अलग है. मालदा जिले की यह घटना काफी सनसनी पूर्ण और हैरान करने वाली है. जहां एक बेबस मां को अपने कलेजे के टुकड़े को बेचने के लिए मजबूर कर दिया गया. मालदा जिले में हरिशचंद्रपुर थाने के अंतर्गत एक गांव है पीपला. यहीं महिला रहती थी. उसका 18 महीने का एक बेटा है. महिला का पति विदेश में रहता है. गांव वाले बताते हैं कि महिला बेहद गरीब है. यहां तक कि दाने-दाने को मोहताज है.

कुछ लोगों की माने तो पीड़ित महिला काफी परेशान थी. वह खुद तो रुखा सूखा खा लेती थी. लेकिन बच्चे के लिए खाना वह नहीं जुटा पाती थी. एक छोटे बच्चे को खिलाने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था. बच्चे का दुख उससे देखा नहीं जाता था. इसलिए वह चाहती थी कि उसकी परवरिश किसी बड़े घराने में हो, ताकि उसके लाल को खाने के लाले नहीं पड़े.

महिला का पति विदेश में रहता है. आरंभ में वह अपनी पत्नी को नियमित रूप से पैसा भेजता था. लेकिन बाद में उसने पैसा भेजना मना कर दिया. ऐसे में महिला को अपने बेटे के पालन पोषण की बड़ी समस्या खड़ी हुई. जैसे तैसे गुजारा करके उसने अपने बेटे की परवरिश की. लेकिन कोशिश करके भी जब वह अपने जिगर के टुकड़े का पेट नहीं भर सकी, तब वह एक स्थानीय व्यवसायी विनोद अग्रवाल से मदद मांगने पहुंच गई.

विनोद अग्रवाल ने जितना संभव हो सका, महिला की आर्थिक मदद की. लेकिन कोई भी यूं ही किसी की मदद नहीं करता. कहा जाता है कि विनोद अग्रवाल की कोई संतान नहीं थी. उन्हें महिला के बेटे पर नजर थी. उन्होंने उसके बेटे को गोद लेने के लिए बेबस मां की मदद की. लाचार होकर महिला ने अपने लाडले का दुख दूर करने के लिए उसे व्यवसाई को सौंप दिया. बाद में जब यह घटना स्थानीय लोगों को पता चली, तब बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया.

कहा जाता है कि स्थानीय एक तृणमूल नेता और पूर्व पंचायत सदस्य ने इस मामले को राजनीतिक रंग दिया और गांव में बच्चा बिक्री करने का महिला पर आरोप लगाकर महिला के पैसे हड़पने की योजना बना ली. उसने एक अन्य तृणमूल नेता के साथ मिलकर यह चाल चली. आरोप है कि इन दोनों ही तथाकथित नेताओं ने महिला को उल्टे सीधे मामले में फंसा देने की धमकी देकर उससे सारे पैसे हड़प लिए जो व्यवसाय ने उसे दिए थे.

इसे लेकर गांव में एक पंचायत बुलाई गई. पंचायत की अध्यक्षता उन्हीं दोनों नेताओं ने की. पंचायत में उन्होंने साफ कहा कि बच्चा बिक्री करने की घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने महिला से डेढ़ लाख रुपए जो लिए थे, उनमें से 120000 रुपए स्थानीय व्यवसायी को लौटा दिए और उनसे बच्चा लेकर महिला को वापस दे दिया. लेकिन ₹30000 उन्होंने अब तक स्थानीय व्यवसायी विनोद अग्रवाल को नहीं लौटाया है. क्या ₹30000 कट मनी के तौर पर लिए गए हैं, इस बारे में कोई भी कुछ बताने को तैयार नहीं है. पंचायत में स्थानीय व्यवसाई को बुलाकर उनके 120000 रुपए लौटा दिए और बाकी ₹30000 नहीं दिए.

इस बारे में पूछे जाने पर तृणमूल नेता ने कहा कि वह बच्चा की बिक्री को रोकना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने व्यवसाई से बच्चे को लेकर महिला को सौंप दिया. व्यवसाई विनोद अग्रवाल को 120000 रुपए मिले हैं. जबकि ₹30000 उन्हें अभी तक नहीं मिले हैं. स्थानीय तृणमूल नेता इन रूपयों के बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं है. गांव में दबी जुबान से चर्चा है कि कट मनी के तौर पर यह रुपए लिए गए हैं. स्थानीय व्यवसाई विनोद अग्रवाल भी इस पर कुछ रोशनी डालने के लिए तैयार नहीं है.

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