ऐतिहासिक महत्व का सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन, जहां कभी देश के बड़े-बड़े महापुरुष, नेता, क्रांतिकारी अपना पांव रख चुके हैं, आज दिन के सन्नाटे और रात के अंधेरे में अपना वजूद तलाशता नजर आ रहा है. शाम के समय यहां स्टेशन कार्यालय पर टिमटिमाती रोशनी जरूर नजर आती है, जब रेलगाड़ी यहां से गुजरती है. उसके बाद अंधेरा ही अंधेरा! बरसों से सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन जर्जर हालत में खड़ा गांधीजी को याद करता अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहा है. पता नहीं कब इसके दिन फिरेंगे.
एक समय सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन को हेरिटेज का दर्जा दिए जाने की मांग हो रही थी. रेल मंत्रालय की ओर से भी उत्साह दिखाया गया था. वर्तमान में वह सब गायब हो चुका है. सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन के बारे में यह कहा जाता है कि 16 जून 1925 को बीमार देशबंधु चितरंजन दास को देखने के लिए महात्मा गांधी सियालदह से दार्जिलिंग मेल द्वारा सिलीगुड़ी आए थे और इसी स्टेशन पर उतरे थे. यहीं से वह दार्जिलिंग गए थे.
सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन पर महात्मा गांधी के अलावा रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस चितरंजन दास स्वामी विवेकानंद जैसी महान विभूतियों के पैर पड़ चुके हैं. उनसे जुड़ी यादों को संरक्षित करने के लिए इस स्टेशन को हेरिटेज के तौर पर विकसित करने को लेकर बार-बार मांग की जाती रही है. सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष से लेकर सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव तक प्रयास कर चुके हैं. गौतम देव ने तो यहां तक कहा था कि अगर रेल मंत्रालय सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन का कायाकल्प नहीं कर सकता तो सिलीगुड़ी नगर निगम इसे करने में सक्षम है.
आपको याद होगा कि पिछले साल सितंबर महीने में सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन परिसर में विश्व पर्यटन दिवस मनाया गया था. इसे लेकर ऐतिहासिक सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन पर दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे ट्रेन तथा पूरे उत्तर बंगाल के इतिहास से संबंधित चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में गौतम देव भी शामिल हुए थे. उन्होंने सिलीगुड़ी के टाउन स्टेशन के जर्जर हाल पर चिंता जताई थी.
ब्रिटिश काल में बना इतना महत्वपूर्ण यह रेल स्टेशन वर्तमान में जर्जर हालत में नजर आ रहा है. यहां दिन में यात्री नहीं बल्कि असामाजिक तत्व जुआ खेलते मिल जाएंगे या फिर शाम के समय चोर उच्चको का यहां अड्डा जमने लगता है. यहां अपराध भी ज्यादा होते हैं. वर्तमान में इस स्टेशन से होकर मीटर गेज, ब्रॉड गेज और नैरोगेज की लाइनें गुजरती है. इन सभी कारणों से यह स्टेशन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. अगर सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन को हेरिटेज का दर्जा नहीं दिया जाता, तब भी कम से कम इसका तुरंत कायाकल्प तो किया ही जाना चाहिए.
सूत्र बता रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्रीय रेल मंत्री बनी थी, तब सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन का कायाकल्प किए जाने को लेकर बात आगे बढ़ी थी. लेकिन उसके बाद से सब कुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. यह अजीब बात है कि यूनेस्को toy ट्रेन को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करता है, लेकिन जिस मुख्य स्टेशन से toy ट्रेन गुजरती है, अंग्रेजी काल के बने ऐसे सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन पर उसका ध्यान नहीं है. लेकिन अब उम्मीद बंधी जरूर है. क्योंकि एनजेपी स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाया जा रहा है. रेलवे के द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्रों के विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है. राशि भी खर्च की जा रही है. ऐसे में सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन का कायाकल्प होने की संभावना दिख रही है.