वर्तमान समय में घरेलू विवाद घर-घर में दखल दे चुका है. ऐसा कोई परिवार नहीं, जहां घरेलू विवाद ना होता हो. पर घरेलू विवाद जब हावी होने लगे, तो परिवार बिखरने और बर्बाद होने का खतरा बढ़ जाता है. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार घरेलू विवाद को तूल देना नहीं चाहिए और जितना हो सके, धैर्य और शांति से काम लेना चाहिए. आजकल खानपान में आए बदलाव के कारण लोगों में वैसे भी धैर्य कम हो गया है. बात-बात पर गुस्सा होना और गुस्से में जो ना हो जाए, वह हो जाता है.
सिलीगुड़ी से लेकर जलपाईगुड़ी और उत्तर बंगाल में हाल फिलहाल में जितनी भी हत्या और हिंसा की घटनाएं घटी हैं, उन सभी घटनाओं के पीछे घरेलू विवाद, गुस्सा और मनुष्य के व्यवहार और प्रकृति में आ रहे बदलाव ही जिम्मेदार है. व्यक्ति सहनशीलता को खोता जा रहा है. यही कारण है कि छोटी-छोटी बात में मारपीट, हिंसा और हत्या तक की वारदात हो जाती है. पिछले एक हफ्ते में केवल जलपाईगुड़ी जिले में ही दो ऐसी घटनाएं प्रकाश में आई है, जहां पति-पत्नी के बीच झगड़े में पति गुस्से में हैवान बन गया और अपने ही हाथों अपना घर परिवार उजाड़ डाला.
सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में घटित आपराधिक वारदातों का अध्ययन विश्लेषण करने पर पता चलता है कि ऐसी घटनाएं नहीं होती, अगर व्यक्ति अपने गुस्से पर नियंत्रण और समस्याओं को सुलझाने की ज्यादा कोशिश करे. पुलिस का भी यही मानना है कि ऐसी वारदातों को शांति, धैर्य और सूझबूझ से रोका जा सकता है. लेकिन लोग जब घरेलू विवाद को तूल देने लगते हैं तो यह हिंसक हो जाता है. पुलिस ने आए दिन घटने वाली ऐसी वारदातों पर नियंत्रण पाने के लिए काउंसलिंग की अपील की है.
सिलीगुड़ी के प्रधान नगर थाना अंतर्गत दक्षिण पलाश नतून बाजार इलाके में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां गृह क्लेश से तंग आकर एक युवक ने आत्महत्या कर ली. उसकी पहचान मनोज बर्मन के रूप में हुई है. आरोप है कि मनोज को आत्महत्या के लिए उसकी पत्नी और ससुराल के लोगों ने बाध्य किया. मनोज अपनी पत्नी के साथ किराए के मकान में रहता था. बताया जाता है कि पति-पत्नी रोज ही लड़ाई झगड़ा करते थे. उनके बीच मारपीट भी होती थी. यह घरेलू विवाद इस कदर बढ़ गया कि पति को इससे निकलने का कोई अन्य रास्ता न सूझा तो उसने खुद को ही मिटा डाला.
जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी थाना क्षेत्र में रहने वाले राजकुमार उरांव भी एक पति था. पत्नी प्रमिला उरांव के साथ सामान्य घरेलू विवाद था, जो कि दूसरे परिवारों में भी देखा जाता है. बात कुछ नहीं थी. दरअसल पत्नी पति को बताए बगैर कर्मा पूजा का मेला देखने चली गई थी. जब वह मेला देखकर घर लौटी तो पति-पत्नी के बीच झगड़ा शुरू हुआ और देखते-देखते हिंसक रूप लेता चला गया. पति अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सका. उसने कुल्हाड़ी से पत्नी को काट डाला और फरार हो गया.
जलपाईगुड़ी जिले के ही गाजलडोबा इलाके में क्रांति चौकी के अंतर्गत अपालचंद गांव में पति राम प्रसाद बावली ने अपनी पत्नी विमला बावली की हत्या कर दी. यह घटना भी गुस्से पर नियंत्रण नहीं रखने और सूझबूझ का परिचय नहीं देने के कारण हुई. हत्यारा पति टोटो चलाता था. रामप्रसाद बावली अपनी पत्नी के साथ सुखी पूर्वक रहता था. उनके एक पुत्र और दो बेटियां थी. दंपति की दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है. जबकि उनका बेटा दूसरे राज्य में नौकरी करता है. किसी बात को लेकर पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ और हिंसक रूप लेता चला गया. पति ने पत्नी को मौत के घाट उतार दिया और फरार हो गया.
ऐसी और भी घटनाएं हैं. इन सभी घटनाओं में पूरा घर परिवार तबाह होता है. मरता एक व्यक्ति है. हत्या एक व्यक्ति की होती है. लेकिन पूरा परिवार उजड़ जाता है. कोर्ट कचहरी और थानों का चक्कर लगाने में एड़ियां घिस जाती हैं. घर बिक जाता है. पारिवारिक क्लेश वाली घटनाओं पर नियंत्रण के लिए मनोवैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि इन्हें किसी भी तरह तूल नहीं देना चाहिए और अपने गुस्से पर नियंत्रण रखने के लिए योग, इंद्रिय संयम से लेकर काउंसलरों की मदद लेनी चाहिए. सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस भी लोगों से यही अपील कर रही है.