बरसों बाद सिक्किम में कुदरत का कहर टूटा है. तीस्ता नदी ने भारी तबाही मचाई है. तीस्ता नदी के किनारे बसे कई गांव नदी में अचानक आई बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. सिक्किम के सीमावर्ती पश्चिम बंगाल और दार्जिलिंग जिले के कई क्षेत्रों में जान माल की भारी तबाही हुई है.
डैम के निकट बसे गांव का हाल काफी बुरा है. कई छोटी बस्तियां तो नदी के जल में समा गई. जबकि डैम के आसपास बसी आबादी भी बुरी तरह प्रभावित हुई है. सूत्रों ने बताया कि कालीझोड़ा के निकट एक गांव जल प्रलय की भेंट चढ़ गया. इस बस्ती ने जल समाधि ले ली है. लोगों ने बताया कि यह गांव अब दोबारा खड़ा नहीं होगा.क्योंकि इसके अवशेष भी खत्म होने को है.
जैसे ही आप सिलीगुड़ी से सेवक की ओर जाते हैं तो कोरोनेशन ब्रिज पार करने के बाद तीस्ता में बने कई छोटे बड़े डैम देखने को मिल सकते हैं. पहले डैम को पार करने के बाद रियांग रेलवे स्टेशन के नजदीक नेजोक नामक एक स्थान है. वहीं एक गांव तीस्ता नदी के तट पर बसा हुआ था. यह गांव नदी में समा चुका है. आज सुबह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिक्किम में आई बाढ और 23 सैनिकों के लापता होने की खबर जैसे ही सुनी, उन्होंने इस पर चिंता जताई और इसे X पर पोस्ट किया.
उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार सिक्किम और उत्तर बंगाल के कई जिलों के बाढ़ पीड़ितों के लिए सहायता देगी. उन्होंने उत्तर बंगाल के बाढ़ प्रभावित सभी लोगों से आग्रह किया है कि वह आपदाओं को रोकने के लिए जितना हो सके, सतर्कता बनाए रखें. प्रशासन आपदा प्रबंधन तैयारी तथा उपाय में जुट गया है. सूत्रों ने बताया कि दार्जिलिंग, कालिमपोंग और जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन ने तीस्ता नदी के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य के वरिष्ठ मंत्री तथा आईएएस अधिकारियों को बचाव तथा राहत कार्यों की निगरानी के लिए उत्तर बंगाल के बाढ़ प्रभावित जिलों में भेजा गया है. स्थिति पर कडी निगरानी रखी जा रही है. आ
आपको बताते चलें कि उत्तरी सिक्किम में लहोनेक झील पर अचानक बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई. इसके अलावा एक बांध से पानी छोड़े जाने के कारण भी हालात बिगड़ गए. इसके कारण एक तरफ जहां 23 सैनिक लापता हो गए हैं, तो दूसरी तरफ दर्जनों साधारण लोगों के गुम होने की भी गैर आधिकारिक रूप से सूचना मिल रही है.