आखिर वही हुआ जिसका डर था. आज दार्जिलिंग नगरपालिका के विश्वासमत के खेल में बीजीपीएम ने बाजी मार ली.कड़ी सुरक्षा और फोर्स की उपस्थिति में विश्वास मत कराया गया. धारा 144 लागू की गई थी. बीजीपीएम ने बाजी मार ली. इसकी व्यूह रचना पहले से ही तैयार तैयार मानी जा रही थी. विनय तमांग ने उत्पन्न हालात के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और कहा कि दार्जिलिंग में लोकतंत्र खतरे में है.
दार्जिलिंग नगर पालिका में कुल 32 सीटे हैं.इनमें से अनित थापा के भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा को 16 सीटें मिली थी जबकि अजय एडवर्ड की हमरो पार्टी को 18 सीटें हासिल हुई थी.इनमें से छह पार्षद पहले ही भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा में शामिल हो गए थे. तृणमूल कांग्रेस के पार्षद ने भी भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा का समर्थन कर दिया था. उसी समय स्पष्ट हो गया था कि हमरो पार्टी का दार्जिलिंग नगरपलिका से नियंत्रण हट जाएगा और आज इसका प्रमाण भी मिल गया.
विनय तमांग ने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए कहा कि पहाड़ में लोकतंत्र बुरे दौर में चल रहा है. भ्रष्टाचार का राज है. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ध्यान आकर्षित किया है. उन्होंने कहा है कि अगर पार्टी उन पर अनुशासनिक कार्रवाई करती है तो इसका जवाब देने को तैयार हैं. पार्टी से इस्तीफा देने के बाद विनय तमांग ने कहा कि पहाड़ के गोरखा लोगों की सेवा और पहाड़ की बुनियादी समस्याओं के हल की दिशा में वे लगातार कार्य करते रहेंगे.
एक दिन पहले पहाड़ में अजय एडवर्ड के साथ विमल गुरुंग और विनय तमांग एक मंच पर आ गए थे.इन तीनों नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन कर एक स्वर में कहा था कि पहाड़ पर लोकतंत्र खतरे में है. उनका इशारा भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा की ओर था, जिनके अनुसार भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा अवैध तरीके से दार्जिलिंग नगरपालिका पर कब्जा करना चाहता है. जिसका वे विरोध कर रहे थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि दार्जिलिंग नगर पालिका में पार्षदों की खरीद-फरोख्त चल रही है.
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि विनय तमांग अब क्या करेंगे. क्या अब वे एक नई पार्टी बनाएंगे अथवा अपनी पुरानी पार्टी जी जे एम में लौटेगे या फिर हमरो पार्टी में शामिल होंगे. उनके बयानों में अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. हालांकि उन्होंने संकेत दिया है कि वह जल्द ही अपनी राजनीतिक स्थिति को वास्तविक धरातल पर लाएंगे.