पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के चंदन नगर के कारीगरों की केवल बंगाल में ही नहीं, बल्कि देशभर में हमेशा मांग रहती है. चंदन नगर की लाइटिंग का जवाब नहीं है.यहां का एक-एक कारीगर अद्भुत है. 6 दशक हो गए. चंदन नगर की लाइटिंग और यहां के अद्भुत कारीगर विश्व प्रसिद्ध हैं.
सिलीगुड़ी के कई प्रसिद्ध पूजा क्लबो ने महीनो पहले चंदन नगर के कारीगरों को बुक किया है. अब वह धीरे-धीरे सिलीगुड़ी पहुंचने लगे हैं. लाइटिंग में इन कारीगरों का कमाल देखने को मिलेगा. इस बार दर्शकों को चंद्रयान 3 की छवि देखने को मिल सकती है. चंद्रयान को जीवंत करने का कमाल केवल चंदन नगर के कारीगर ही दिखा सकते हैं.
मिली जानकारी के अनुसार 1960 के दशक में चंदन नगर की लाइटिंग प्रकाश में आई थी. उसे लोगों ने काफी सराहा. इसके बाद कई डेकोरेटर्स आते गए. उनके कारीगरों ने कमाल दिखाना शुरू कर दिया. बताया जाता है कि चंदन नगर लाइटिंग के जनक हैं श्रीधर दास. उनकी शुरुआत आज देश-विदेश में मशहूर हो चली है. चंदन नगर लाइटिंग से जुड़े एक कारीगर ने बताया कि चंदन नगर लाइटिंग और डेकोरेटर्स की एक बड़ी विशेषता यह है कि लाइटिंग और डेकोरेशन हमेशा सामाजिक संदेश देती है.
यहां के कारीगरों की भरसक कोशिश यही रहती है कि वह कुछ नया करके दिखाएं. वे काफी मेहनती होते हैं. चंदन नगर के कारीगरों ने इससे पहल ताजमहल, राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटना, संसद भवन पर हमले सहित कई हादसों को जीवंत करके दिखाया है. इस बार चंद्रयान-3 को जीवंत करके दिखाना उनके लिए एक चुनौती है.
सिलीगुड़ी में विश्वकर्मा पूजा से ही दुर्गा पूजा के लिए पंडाल का निर्माण शुरू हो गया है. गणेश पूजा और उसके बाद दुर्गा पूजा की तैयारी काफी समय पहले से ही चलती है. यहां की कई प्रसिद्ध पूजा आयोजन समितियां हमेशा कुछ हटकर दिखाना चाहती हैं और इसके लिए चंदन नगर के कारीगरों पर ही भरोसा किया जाता है. कम खर्चे में बेहतर लाइटिंग और पंडाल की सज्जा केवल चंदन नगर के कारीगर ही दे सकते हैं.
इस बार सिलीगुड़ी में चंद्रयान-3 की सबसे ज्यादा मांग है.लेकिन कारीगरों की मजबूरी है. क्योंकि यह काम कम समय में पूरा नहीं किया जा सकता. इस थीम को जीवंत बनाने के लिए पर्याप्त समय चाहिए होता है. जो कारीगर यहां आ रहे हैं, उनसे कम समय में इस थीम पर काम करना संभव नहीं लगता है. एक कारीगर ने बताया कि अगर किसी पूजा आयोजन समिति को किसी थीम पर काम कराना है तो कम से कम 6 महीने पहले से ही सूचित करना होता है. उसी के हिसाब से डेकोरेशन तैयार किया जाता है. फिर भी उनकी कोशिश रहेगी कि नई थीम पर कुछ अलग काम किया जाए.
चंदन नगर के लगभग 25 डेकोरेटर लाइटिंग के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.अभी से लेकर दिसंबर तक उनका धंधा चलता है. क्योंकि दुर्गा पूजा के बाद जगधात्री पूजा, दिवाली, क्रिसमस, नया साल का डेकोरेशन करना होता है.कारीगरों पर काम का दबाव हमेशा बना रहता है. विगत कुछ वर्षों में चंदन नगर में अनेक लड़कों ने भी कारीगरी का काम सीख लिया है और वह चंदन नगर से बाहर डिमांड पर भेजे जाते हैं.
सिलीगुड़ी में कुछ पूजा क्लबो के द्वारा चंद्रयान-3 के अलावा शांतिनिकेतन के मॉडल पर मंडप सज्जा की जानकारी मिली है. आपको बताते चलें कि शांतिनिकेतन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है और यह बंगाल के लिए गौरव की बात है. ऐसे में सिलीगुड़ी के कुछ पूजा क्लब शांति निकेतन मॉडल को पसंद कर रहे हैं. यह चंदननगर के कारीगरों के लिए कोई पेचीदा काम नहीं है. इस बार सिलीगुड़ी में चंद्रयान 3 के अलावा शांतिनिकेतन की भी झलक देखने को मिल सकती है.