सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में कई ऐसे मैदान और पार्क हैं, जहां लोग सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए जाते हैं. अगर आप अपने नजदीकी मैदान अथवा पार्क में घूमने जाते हों तो यह मत समझिए कि सब कुछ आपके अनुकूल मिलेगा. यहां पहले से भी कुछ लोग बैठे होते हैं. खासकर नौजवान लड़के, जो शराब से लेकर सभी तरह के नशे का सेवन करते मिल जाएंगे. इन्हें कुछ कहने का आप साहस भी नहीं कर पाएंगे.ये पलट कर आपको जवाब दे सकते हैं या फिर कुछ कहने पर हाथापाई पर उतर जाएंगे.
यह तो सुबह का नजारा है. जबकि शाम का नजारा तो आपकी कल्पना से भी अद्भुत होगा. शाम के समय किसी भी पार्क अथवा खेल मैदान में जाने से आपके साथ कुछ बुरा भी हो सकता है. अंधेरे का फायदा उठाकर कुछ बदमाश आपके साथ छिनताई भी कर सकते हैं. दिन में भी खेल मैदान अथवा खाली प्लॉट में खुल्लम-खुल्ला यह सब चलता है. लोग उधर से गुजरते हैं. उन्हें देखते भी हैं. लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता. कोई दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहता है. पुलिस को सूचित करने से भी कोई लाभ नहीं होता. यह उनका रोज का धंधा है. ना तो उन्हें पुलिस का डर है और ना ही कानून का. अब तो महिलाएं भी ऐसे मैदान और पार्कों में जाने से डरने लगी हैं. पता नहीं कब कौन सा नशेड़ी उनके साथ छेड़खानी कर बैठे. शाम में तो यहां सब कुछ खुल्लम-खुल्ला होता है.
जानकार बता रहे हैं कि शहर में चोरी डकैती की बढ़ती घटनाओं का नशे से काफी गहरा संबंध है. चोर, बदमाश पीने पिलाने के क्रम में ही चोरी की योजना बनाते हैं. इन चोरों के पास कोई काम नहीं होता. इन्हें रोज पीना चाहिए और पीने के लिए पैसा चाहिए. घर में माता-पिता से पैसा नहीं मिलता. इसके लिए वे चोरियां करते हैं. शहर के छ॔टे बदमाश और शातिर चोर मिलकर इलाके की रेकी करते हैं और फिर अपनी योजना को अंजाम देते हैं. सूत्रों ने बताया कि चोरी की यह सभी योजनाएं शहर के खेल मैदान और खाली पार्को में ही बनाई जाती है और योजना को अंजाम दिया जाता है.
कुछ दिन पहले शहर के कंचनजंघा स्टेडियम खेल मैदान और बाघाजतिन मैदान में नशेरियों के द्वारा हंगामे की खबर सुर्खियों में थी. कुछ दिनों तक पुलिस ने अभियान चलाया तो इलाके में सुकून का वातावरण दिखा. लेकिन जैसे ही पुलिस का अभियान कमजोर पड़ा, एक बार फिर से नशेड़ियों का इन अड्डों पर कब्जा हो गया है. अब तो शाम होते ही लोगों ने यहां आना-जाना ही छोड़ दिया है. यही हाल सिलीगुड़ी के लगभग सभी छोटे बड़े खेल मैदानों, खाली पार्कों और माट का है. शहर के शांति प्रिय और सभ्य लोगों के लिए कोई भी सार्वजनिक स्थान सुरक्षित नहीं रहा है.
लोगों का आक्रोश इस बात को लेकर है कि पुलिस प्रशासन ऐसे सार्वजनिक स्थानों को लेकर कोई योजना नहीं बनाती है, जबकि लोगों का दावा है कि शहर में बढ़ रही चोरी की घटनाओं की योजना इन्हीं खेल मैदानो और पार्कों में तैयार की जाती है. अगर पुलिस ऐसे अवांछित तत्वों के खिलाफ सख्त कदम उठाए तो शहर में बढ़ रही चोरी की घटनाओं में काफी कमी आ जाएगी. क्योंकि चोर यहीं से चोरी करने के लिए जाते हैं. सिलीगुड़ी शहर के आसपास जैसे एनजेपी इलाका, कावाखाली इलाका, मेडिकल इलाका, नौका घाट इलाका, महानंदा नदी का इलाका, तुलसी नगर, समर नगर इलाके के अलावा शहर के लगभग सभी छोटे बड़े खेल मैदान बदमाशों, चोरों और नशेड़ियों के अड्डे के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं.
वर्तमान में नशेड़ियों, बदमाशों और चोरों के लिए नौका घाट ब्रिज का इलाका एक सुरक्षित पनाहगाह बन गया है. स्थानीय निवासियों ने बताया कि शाम ढलते ही यहां नशेड़ी नदी की रेत पर, पुल के नीचे बैठकर नशापन करने लगते हैं. कभी-कभी बदमाशों के बीच मारपीट भी हो जाती है. आसपास के इलाकों में चोरी की योजना यहीं बनती है. चोरी के बाद लूटे गए सामान का बंटवारा भी चोरों के बीच यहीं होता है. इस तरह से कहा जा सकता है कि अगर शहर में बढ़ रही चोरी की घटनाओं पर नियंत्रण पाना है, तो सर्वप्रथम पुलिस प्रशासन को इन सभी चिन्हित तथा बदनाम इलाकों में निगरानी बढ़ा देनी चाहिए और खुले में शराब पीने वाले लोगों, बदमाशों और चोरों से निपटने की रणनीति बनानी चाहिए.