September 2, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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नशेड़ी सिलीगुड़ी पुलिस के लिए बन रहे मुसीबत!

रात्रि का समय था. भक्ति नगर पुलिस स्टेशन के लॉकअप में दो आरोपी पड़े थे. दोनों ही नशेड़ी थे. उन दोनों पर चोरी का आरोप था. अभी उन्हें लॉकअप में रखे हुए दो घंटे से भी ज्यादा समय नहीं हुआ था कि तभी उन्होंने सीधा पुलिस से नशे की पुड़िया की मांग कर डाली. भक्ति नगर पुलिस को लगा कि लॉकअप में मुल्जिम ऐसा करते ही हैं. इसलिए अधिकारियों ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन तभी उन युवकों ने चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया.

फिर वे फर्श पर बैठ गए और अपने हाथ पैर पटकने लगे. खुद के हाथों खुद के बाल नोचने लगे. उन्होंने खुद को लहू लुहान करने की कोशिश की. यह देखकर पुलिस अधिकारियों में अफरा तफरी मच गई. आखिरकार दोनों को काबू में रखने के लिए उसी रात को डॉक्टर बुलाना पड़ा. डॉक्टर ने दवा देकर उन्हें शांत किया. रात भर पुलिस परेशान रही और अगले दिन दोनों आरोपियों को जलपाईगुड़ी अदालत में पेश करके जेल भेज दिया.

सिलीगुड़ी पुलिस स्टेशन में भी कुछ दिन पहले एक ऐसा ही मामला सामने आया था. पुलिस ने चोरी के एक आरोपी युवक को गिरफ्तार करके लॉकअप में डाल दिया था. आरोपी लॉकअप में रखे जाने के साथ ही पुलिस से नशे की पुड़िया मांगता रहा. लेकिन जब पुलिस ने उसकी आवाज अनसुनी कर दी तब उसने अपना पेट पकड़ लिया और अजीब अजीब सी हरकतें करने लगा. कहीं मुल्जिम कुछ गलत कदम ना उठा ले, इस डर से सिलीगुड़ी थाना के अधिकारी ने उपयुक्त व्यवस्था की. तब जाकर पुलिस की जान में जान आई.

केवल भक्ति नगर और सिलीगुड़ी थाने की ही यह बात नहीं है. सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अंतर्गत सभी थानों और आउटपोस्ट की यही कहानी है. जब पुलिस किसी नशेड़ी को गिरफ्तार करती है तो पुलिस को सारी रात नींद नहीं आती है. पिछले 2 महीने के भीतर सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस ने चोरी और छिनताई के अधिकांश मामलों में जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें से अधिकतर नशेड़ी निकले.

सिलीगुड़ी शहर में बढ़ रही चोरी एवं छिनताई की घटनाओं में पकड़े जा रहे अधिकतर अपराधियों पर किए गए एक अध्ययन में एक बात स्पष्ट हो गई है कि अधिकतर अपराधी नशे की पूर्ति के लिए चोरी और छिनताई की घटनाओं को अंजाम देते हैं. अध्ययन में कहा गया है कि ऐसे नशेड़ियों को अपने परिवार और बच्चों का पेट भरने की कोई चिंता नहीं होती है. उनका सिर्फ एक ही मकसद होता है कि किसी तरह उनके नशे की खुराक पूरी होती रहे. जब घर में पैसा नहीं मिलता है तब वे बाहर आपराधिक घटनाओं में लिप्त हो जाते हैं.

सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस ऐसे सामान्य चोरों और उठाईगिरों को गिरफ्तार करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेती है. उनकी भरसक यही कोशिश होती है कि किसी भी तरह से ऐसे लोगों से उनका पिंड छूटे.पर अगर सीधा आरोप तय होता है और उस स्थिति में पुलिस के लिए आरोपी को पकड़ने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं होता है, तब पुलिस सबसे पहले यही पता लगाती है कि आरोपी क्या आदतन नशेड़ी है? क्योंकि अगर आरोपी नशेड़ी है तो नशेड़ी को लॉकअप में रखने तक पुलिस को काफी पसीना बहाना पड़ता है.

ऐसे लोगों के लिए डॉक्टर, दवा तथा दूसरे प्रबंध करने होते हैं. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी नशेड़ी को लॉकअप में रखने के बाद उनकी बेचैनी बढ़ जाती है. वे अजीब अजीब पागलों जैसी हरकत करने लगते हैं. खुद पर जुल्म करते हैं. चीखते और चिल्लाते हैं.नशे की तलब बढ़ने पर वे पुलिस अधिकारियों से नशे की पुड़िया मांगते हैं. न देने पर गाली गलौज भी करते हैं. कई नशेड़ी तो नशे की पुड़िया नहीं मिलने पर बेहोश हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें होश में लाने के लिए ठंडा पानी लॉकअप में रखना जरूरी होता है. जब उन्हें नशे की तलब होती है और वे चीखने चिल्लाने लगते हैं, तब उनके सिर पर पानी डाला जाता है.

अगर इसके बावजूद भी उन्हें आराम नहीं मिलता है तो डॉक्टर और दवा का प्रबंध करना पड़ता है. सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के डीसीपी राकेश सिंह का मानना है कि चोरी और छिनताई के मामले में पकड़े जाने वाले ज्यादातर आरोपी नशेड़ी होते हैं. हमारे कानून में सीधे नशेड़ी को गिरफ्तार करने का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन जब ऐसे लोग आपराधिक मामलों के आरोपी होते हैं तब पुलिस उन पर हाथ डालती है और उनके खिलाफ कार्रवाई करती है. ऐसे नशेड़ियों को लॉक अप में रखना पुलिस के लिए सर दर्द होता है. कोर्ट में हाजिर करने से पहले पुलिस को उनका तमाम ख्याल रखना पड़ता है.

सिलीगुड़ी के नशेड़ियों से आजिज आ चुके पुलिस अधिकारी अब सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में सरकारी स्तर पर नशा मुक्ति केंद्रों की बात करने लगे हैं. उनका मानना है कि नशेड़ियों को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें नशा मुक्ति होम में भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए. यह नियम भी है. लेकिन संसाधनों की कमी के कारण पुलिस अधिकारियों को स्वयं ही नशेडियों की देखभाल करनी होती है. पुलिस का उनसे तभी पिंड छूटता है जब उन्हें अदालत में पेश करके न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है. क्योंकि न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद ऐसे आरोपियों को अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है.

अगर सिलीगुड़ी से नशा, नशेड़ी और अपराध को कम करना है तो सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस को नशे के खिलाफ लगातार अभियान चलाते रहने के साथ ही नशेड़ियों को रखने के लिए नशा मुक्ति केंद्रो के मुद्दे पर भी ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा नशेड़ियों के लिए उपयुक्त चिकित्सा और डॉक्टर का विशेष प्रबंध भी किया जाना जरूरी है.

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