ईरान में फंसे नेपाल के नागरिक काफी परेशान हैं. जिस तरह से इजरायल ईरान के बीच युद्ध में ईरान में उथल-पुथल मची है, ऐसे में ईरान में बसे भारत, नेपाल और श्रीलंका के नागरिक भी काफी कष्ट झेल रहे हैं. वे ईरान से बाहर निकलना चाहते हैं. नेपाल के नागरिकों की तो हालत ऐसी है कि उन्हें लगता है कि वह मौत के द्वार पर पहुंच गए हैं और कभी भी कुछ हो सकता है. भारत संकट में घिरे अपने नागरिकों को ईरान से सुरक्षित ला रहा है. अब वह मौत के मुंह में जाने से नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी बचाएगा और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाएगा.
भारत सरकार के इस फैसले से नेपाल में काफी खुशी देखी जा रही है. नेपाल सरकार भी भारत की उदारता की प्रशंसा कर रही है और अपने नागरिकों के लौटने की प्रतीक्षा कर रही है. श्रीलंका में भी कुछ इसी तरह की खुशी देखी जा रही है. दोनों देश भारत का शुक्रिया अदा कर रहे हैं.
ऋषि मुनियों का देश भारत किसी समय विश्व गुरु रहा है.भारत ने हमेशा विश्व को रास्ता दिखाया है.भारत की पहचान वसुधैव कुटुंबकम है. भारत के पड़ोसी देशों में नेपाल, श्रीलंका जैसे छोटे देश भी शामिल हैं. भारत ने हमेशा अपने पड़ोसियों की मदद की है. बुरे समय में नेपाल और श्रीलंका को भारत ने हमेशा सहारा दिया. क्योंकि भारत इन देशों का बड़ा भाई भी है और पड़ोसी भी. भारत दोनों भूमिकाओं में खरा उतरा है.
एक बड़े भाई और पड़ोसी के नाते भारत ने नेपाल को हमेशा मदद की है. बिजली परियोजनाओं से लेकर जब-जब नेपाल को भारत की मदद की आवश्यकता पड़ी, भारत ने हमेशा मदद की. एक पड़ोसी का पड़ोसी के प्रति क्या धर्म होता है, यह भारत अच्छी तरह जानता है. इसलिए जब नेपाल और श्रीलंका ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई तो भारत इनकार नहीं कर सका.
भारत की ओर से ऑपरेशन सिंधु शुरू किया गया है. ईरान में बसे भारतीय मूल के छात्रों को सुरक्षित भारत लाने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है. भारत ने ऑपरेशन सिंधु अभियान तब शुरू किया था, जब ईरान और इजरायल के बीच जंग छिरी थी. ऑपरेशन सिंधु अभियान के प्रारंभ से ही ईरान में बसे भारतीय मूल के लोगों को लगातार भारत ला रहा है. इनमें छात्रों की संख्या सर्वाधिक है जो अपनी पढ़ाई के क्रम में ईरान में रहते हैं.
इजरायल ईरान के बीच युद्ध में ईरान बर्बादी की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है. ऐसे में ईरान के भारतीय और दूसरे देशों के नागरिक ईरान से सुरक्षित वापसी चाहते हैं. ईरान में नेपाल और श्रीलंका के बहुत से छात्र और नागरिक रहते हैं जो अपने वतन लौटना चाहते हैं. श्रीलंका और नेपाल सरकार ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई है और भारत की ओर से भी नेपाली तथा श्रीलंकाई मूल के नागरिकों को बचाने का आश्वासन दिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईरान में नेपाल के बहुत से छात्र और नागरिक संकट में घिर गए हैं. वह वापस नेपाल जाना चाहते हैं. लेकिन नेपाल सरकार की ओर से अपने नागरिकों को वापस लाने की कोई कारगर व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में नेपाल सरकार ने भारत से उनके नागरिकों को बचाने का अनुरोध किया है. नेपाल और श्रीलंका के अनुरोध पर ही भारत ने उनकी मदद का हाथ बढ़ाया है और यह विश्वास दिलाया है कि भारतीय नागरिकों के साथ-साथ नेपाली मूल के नागरिकों को भी भारत बचाएगा.
भारत ने यह फैसला ऐसे समय में किया है, जब इजरायल और ईरान के बीच घमासान जारी है. ईरान में भारतीय दूतावास की ओर से कहा गया है कि नेपाल के साथ-साथ श्रीलंका ने भी अपने नागरिकों को ईरान से निकालने का अनुरोध किया है. ऐसे में भारत सरकार ने फैसला किया है कि पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी ईरान से निकालने में मदद की जाएगी. भारतीय दूतावास की ओर से नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों के लिए एक इमरजेंसी नंबर भी जारी किया गया है. भारत सरकार के इस फैसले से नेपाल और श्रीलंका जैसे देश कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं.