TMC विधायक हुमायूं कबीर के मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने को लेकर पश्चिम बंगाल की सियासत गरमा गई है. इस बीच राजपाल सी वी आनंद बोस ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अगर हुमायूं कबीर के बयान के बाद राज्य में कानून एव॔ व्यवस्था की स्थिति में कोई गिरावट आती है,तो एक्शन लेना होगा. राज्यपाल ने प्रीवेंटिव अरेस्ट का आदेश दिया है. इन्होंने इस बारे में राज्य सरकार को पत्र भेजा है.
TMC के विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद जिले में बाबरी मस्जिद बनाने की कसम खा रखी है. इसको लेकर बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश के राजनीतिक गलियारे में तूफान उठ खड़ा हुआ है. टीएमसी पर चौतरफा हमले हो रहे थे. वक्त की नजाकत को भांपते हुए टीएमसी ने हुमायूं कबीर को समझाने की कोशिश की. लेकिन वह नहीं माने. आखिरकार टीएमसी ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. टीएमसी के इस फैसले की सराहना की जा रही है.
हुमायूं कबीर पार्टी से निकाले जा चुके हैं. लेकिन अभी भी उनकी अकड़ ढीली नहीं हुई है. उन्होंने कहा है कि अब मैं नई पार्टी बनाऊंगा. लेकिन बाबरी मस्जिद मरते दम तक बना कर रहूंगा. उन्होंने कहा है कि 22 दिसंबर को वह अपनी नई पार्टी का ऐलान करेंगे. हुमायूं कबीर का मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने के ऐलान के बाद टीएमसी की छवि धूमिल हो रही थी.
सूत्र बता रहे हैं कि टीएमसी का एक गुट इसके लिए किसी तरह से तैयार नहीं हो रहा था. स्वयं ममता बनर्जी भी नहीं चाहती थी कि चुनाव से पहले इस तरह की कोई घोषणा हो, जिससे कि पार्टी की छवि हिंदू विरोधी बन सके. कोलकाता के मेयर और मंत्री फिरहाद हकीम ने बताया है कि हुमायूं कबीर को उनके बयानों के लिए पहले चेतावनी दी गई थी. लेकिन वह अपनी जिद पर अड़े रहे. इसके बाद पार्टी ने उन्हें सस्पेंड कर दिया.
एक संवाददाता सम्मेलन में टीएमसी नेता फिरहाद हकीम ने कहा कि हुमायूं कबीर ने अचानक फैसला किया है. यह किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है. उनके इस कदम के पीछे बीजेपी की बंटवारे की राजनीति को बढ़ावा देने की पॉलिसी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अगर हुमायूं कबीर ने कोई दूसरा नाम चुना होता अथवा वे मुर्शिदाबाद में स्कूल अथवा कॉलेज बनाने की घोषणा करते तो अच्छा होता! लेकिन उन्होंने बंटवारे की राजनीति को बढ़ावा दिया और तृणमूल कांग्रेस हमेशा से इसके खिलाफ रही है.
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की पॉलिसी रही है बांटो और राज करो. लेकिन तृणमूल कांग्रेस सभी को साथ लेकर चलती है. और पार्टी इसमें भरोसा करती है. उन्होंने श॔का व्यक्त की है कि हुमायूं कबीर भाजपा की बंटवारे की राजनीति में शामिल हो गए थे. इसलिए पार्टी ने सोच समझकर उन्हें पार्टी से निलंबित किया है. हुमायूं कबीर का बयान सुर्खियों में था. उन्होंने डंके की चोट पर कहा था कि चाहे मुझे पार्टी से इस्तीफा ही क्यों नहीं देना पड़े, लेकिन मैं मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाकर ही रहूंगा. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह बाबरी मस्जिद बनवाने के लिए अपनी जान भी दे देंगे.
हुमायूं कबीर के ऐलान के बाद भाजपा की ओर से कहा गया कि हुमायूं कबीर मस्जिद बना सकते हैं. लेकिन बाबरी मस्जिद नहीं. कांग्रेस ने हुमायूं कबीर को अस्पताल बनाने की सलाह दी. कांग्रेस नेता शुभंकर सरकार ने हुमायूं कबीर को समझाने और मस्जिद की जगह पर अस्पताल बनाने की सलाह दी थी. भाजपा नेता दिलीप घोष का बयान आया था कि कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन पर मस्जिद बना सकता है. लेकिन बाबर के नाम पर इस देश में मस्जिद नहीं बनेगी.
जो भी हो, विधायक हुमायूं कबीर पार्टी से बाहर हो चुके हैं और अब उन्हें राजनीतिक भविष्य तय करना होगा. बंगाल में टीएमसी और भाजपा ही एकमात्र ऐसे दल हैं, जहां किसी नेता का भविष्य तय होता है. हुमायूं कबीर नई पार्टी बनाने की बात कहते हैं. यह देखना होगा कि 22 तारीख को क्या सचमुच वे नई पार्टी बनाते हैं या केवल उनकी बयानबाजी मात्र है. बहरहाल विधायक हुमायूं कबीर अभी भी दावा कर रहे हैं कि वे बाबरी मस्जिद का शिलान्यास करने जा रहे हैं और इस कार्यक्रम में लगभग दो लाख लोगों के आने की उम्मीद है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या विधायक हुमायूं कबीर का यह सपना साकार हो सकेगा?
