बिहार में पूर्ण शराबबंदी है. लेकिन वहां शराब सब जगह मिल जाती है. बिहार के मुख्यमंत्री कहते हैं कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी को लागू किया गया है. जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी है तो वहां शराब क्यों बेची जा रही है. शराब पीकर लोगों की मौत क्यों हो रही है. बिहार में शराब कहां से आती है, क्या शासन प्रशासन के अधिकारियों को पता नहीं है?
क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह पता नहीं है कि बिहार में चोरी छुपे शराब बेची जा रही है. और तो और, नीतीश कुमार कह रहे हैं कि बिहार की जनता ने शराबबंदी को स्वीकार किया है.अगर बिहार की जनता ने शराबबंदी को स्वीकार किया है तो फिर पीने वालों और मरने वालों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है?
बिहार में शराब पीने से कोई पहली बार दर्जनों लोगो की मौत नहीं हुई है बल्कि इससे पहले भी बिहार में शराबबंदी कानून के बाद शराब पीकर सैकड़ों लोग मरे हैं. मुख्यमंत्री बयान देते हैं कि जो पिएगा वह मरेगा. यह बयान एक मुख्यमंत्री का बयान नहीं हो सकता है. नीतीश कुमार बिहार की जनता के मुखिया हैं और उनकी तरफ से इस तरह का बयान कहीं ना कहीं उनकी गैर जिम्मेदारी को दर्शाता है.
बिहार में शराब पीकर 45 से अधिक लोगों की मौत और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गैर जिम्मेदाराना बयान की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है. लोग बड़ी संख्या में कमेंट कर रहे हैं. खासकर सिलीगुड़ी और विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले बिहार के मूलनिवासी कमेंट कर रहे हैं कि बिहार से तो अच्छा बंगाल है!
बंगाल में शराबबंदी नहीं है. यहां ठेकों की भरमार है. लोग काफी संख्या में पीते भी हैं, परंतु शराब से यहां मौत नहीं होती है. जहरीली शराब के एक दो मामले ही सामने आए हैं. यहां जहरीली शराब पीकर इतनी बड़ी तादाद में मरने की घटना कभी नहीं हुई.
यह सभी जानते हैं कि शराब सेहत के लिए हानिकारक है. इसके बावजूद लोग शराब पीते हैं. एक रास्ता बंद होता है तो लोग दूसरा रास्ता निकाल लेते हैं. दूसरा रास्ता ढूंढने के चक्कर में ही जहरीली शराब पीकर मरने की घटनाएं सामने आती है. विशेषज्ञो का कहना है कि जब लोग शराब छोड़ नहीं सकते तो फिर उन्हें पीने देना ही चाहिए. कम से कम खुलकर जहरीली शराब तो नहीं पिएंगे.
जहां चोरी अथवा छुपाकर काम किया जाता है, वही गलत होने के ज्यादा आसार रहते हैं. यही कारण है कि बिहार में ऐसी घटनाएं बार-बार घटित हो रही है. सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह के कॉमट्स भी आ रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि नीतीश कुमार अपनी जिद पूरी करने के लिए वहां लोगों को उनके हाल पर छोड़ रहे हैं.
बहर हाल अब वक्त आ गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ठंडे दिमाग से बिहार में जारी शराबबंदी कानून की समीक्षा करें और लोगों की भावनाओं तथा राजनीतिक दलों के नेताओं से चर्चा करके इस पर फैसला लें. अन्यथा बिहार में इस तरह के हादसे आगे भी होते रहेंगे.