सावन महीने में कांवर और तीर्थ यात्रा की परंपरा कोई आज की नहीं है.सदियों से चली आ रही है.सावन मास में जब प्रकृति हरी-भरी नजर आती है, जीव जंतुओं में एक विशेष उत्साह और उमंग रहती है, तब लाखों शिव भक्त कांवर यात्रा पर चल पड़ते हैं. वे गंगाजल लेकर पैदल ही कावड़ लेकर चल पड़ते हैं. सड़क पर चलते कतारबद्ध कांवड़ियों को देखकर एक विशेष दिव्यता और आनंद की अनुभूति होती है.
ऐसी परंपरा हिंदुस्तान की संस्कृति में ही देखी जा सकती है. शिवलिंग पर जल अर्पण करने की यह परंपरा बताती है कि भारत तप, समर्पण और विश्वास का केंद्र है. कांवड़ यात्रा एक अनुष्ठान ही नहीं है बल्कि भारत की आस्था को जीवंत रखने और दुनिया को यह एहसास दिलाने के लिए कि भगवान शिव ही एकमात्र सत्य है.
इसलिए हमें सदा ही सदमार्ग पर चलना चाहिए और श्रद्धा और भक्ति की धारा को हमेशा प्रवाहित रहने देना चाहिए. पहला सावन बीत गया है. दूसरे सावन की तैयारी चल रही है. लेकिन श्रद्धालु तो हर दिन बाबा बैद्यनाथ धाम में एकत्र हो रहे हैं. प्रशासन की ओर से बैद्यनाथ धाम में बहुत ही सुंदर व्यवस्था की गई है. शिवलोक परिसर में कांवरिये 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी कर रहे हैं. बीच-बीच में बरसात हो जाती है तो कांवरिए बाबा की भक्ति में मगन हो जाते हैं और एक ही नारा गुंजायमान होता है ,बोल बम का नारा है बाबा तेरा सहारा है…
सावन के महीने में सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में गली गली में बोल बम सुनने को मिलेगा. बाजार में बोल बम के टंगे कपड़ों की खरीदारी से पता चलता है कि भोले बाबा का दर्शन करने वाले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरे देश में ऐसा ही आलम है. सिलीगुड़ी के लोग या तो बाबा बैद्यनाथ धाम जाते हैं या फिर जल्पेश. विभिन्न सामाजिक संगठनों और प्रशासन के द्वारा कांवड़ियों के लिए अनेक सुंदर व्यवस्थाएं की गई है.
देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए केवल भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी शिव भक्त कांवर लेकर जाते हैं. पूरे महीने भर यहां भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है. 12 ज्योतिर्लिंग की व्यवस्था ऐसी है कि पहली बार शिव भक्तों को एक दिव्य अनुभूति प्राप्त हो रही है. हमारे खबर समय के संवाददाता ने बताया कि श्रद्धालु शिव लोक परिसर में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन कर धन्य हो रहे हैं.
खबर समय के संवाददाता ने बताया कि शिवलोक परिसर में प्रदर्शनी के माध्यम से गुजरात के द्वारका स्थित नागेश्वर, तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम,महाराष्ट्र के एलोरा में स्थित घृष्णेश्वर , गुजरात स्थित सोमनाथ, आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन एवं मध्य प्रदेश स्थित ओंकारेश्वर, उत्तराखंड स्थित केदारनाथ, बनारस स्थित काशी विश्वनाथ, महाराष्ट्र स्थित त्रयंबकेश्वर, मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर, महाराष्ट्र में स्थित भीमा शंकर, झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ मंदिर को दिखाया जा रहा है.
शिवलोक परिसर में प्रदर्शनी लगाकर कांवड़ियों, शिव भक्तों तथा आम नागरिकों को झारखंड पर्यटन विभाग की ओर से आकर्षित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि शिव पुराण में ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन किया गया है.
शिव पुराण में ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन किया गया है. शास्त्रों में साफ लिखा है कि जब-जब ब्रह्मांड में अधर्म बढ़ता है तब तब भगवान शिव ज्योति के रूप में प्रकट होते हैं और लोक कल्याण के लिए लिंग रूप में अवतरित होते हैं. देवघर का ज्योतिर्लिंग न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि हमारे विचारों के अनुसार मुक्ति और ब्रह्म से एकतत्व का द्वार भी है. अगले सोमवार तक देवघर के श्रावणी मेले में बोल बम भक्तों की संख्या में कई गुना इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है.