October 5, 2025
Sevoke Road, Siliguri
weather alert north bengal

भारी वर्षा और भूस्खलन से समतल और पहाड़ में त्राहि-त्राहि! 20 से अधिक लोगों की मौत की आशंका!

Caution! Heavy rain in the plains and landslides in the mountains are expected!

मौसम विभाग की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई है. रात भर बारिश होती रही. मेघगर्जन के साथ ही बिजलियां भी चमकती रही और हवाओं का शोर ऐसा था, जैसे किसी अनहोनी का पूर्वाभास करा रहा हो. समतल से लेकर पहाड़ तक त्राहि त्राहि मच गई है. मिल रही जानकारी के अनुसार पहाड़ में भूस्खलन में 20 से अधिक लोगों की मौत की आशंका है. हालांकि अधिकृत तौर पर छह लोगों के मरने की पुष्टि हुई है.

उत्तर बंगाल में आई भारी तबाही के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल सिलीगुड़ी के दौरे पर आ रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूस्खलन में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति शोक व्यक्त किया है और आपदा प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है. जीटीए प्रशासन से लेकर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी, नेता, विधायक, सभी पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आए हैं.

पहाड़ की जीवन रेखा NH-10 को भूस्खलन के चलते बंद कर दिया गया है. चित्रे से सेतीझोड़ा के बीच कई स्थानों पर भारी भूस्खलन हुआ है.पोखरियोंग बाजार में भारी भूस्खलन के बीच जान माल की तबाही हुई है. नागराकाटा में बारिश ने ऐसा कहर मचाया कि अब तक का पिछला सारा रिकॉर्ड टूट गया. विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं से पीड़ितों की सहायता की अपील की है.

सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी,अलीपुरद्वार, कूचबिहार, दार्जिलिंग, कालिमपोंग, कर्सियांग, मिरिक,Dooars, सब जगह लोगों का बुरा हाल… संचार से लेकर सड़क यातायात प्रभावित हुआ है. कई इलाकों में रात से ही बिजली गुल है. और बर्बादी का मंजर ऐसा है कि देख कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. सिलीगुड़ी में निचले इलाकों में रहने वाले खासकर महानंदा नदी के तट पर बसे गांव के लोगों का सबसे बुरा हाल है.

महानंदा नदी में आई बाढ़ में किसी का सिलेंडर बह गया, तो किसी की अलमारी और किचन का सारा सामान. सुबह तक महानंदा नदी बांध के आगोश से बाहर थी. पोराझार,नौका घाट के पास बांध टूट गया. जिस वजह से यहां कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. नदी का पानी सड़क तक को छूने लगा. रात से ही बिजली गायब है. बिजली विभाग बिजली बहाल करने में जुटा हुआ है. महानंदा नदी ही नहीं बल्कि तीस्ता नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बढ़ रही है. माल नदी का भी जलस्तर तटवर्ती इलाकों में बाढ जैसा दृश्य उत्पन्न कर रहा है.

सबसे ज्यादा तबाही पहाड़ में हुई है. सिलीगुड़ी दार्जिलिंग मार्ग बंद है. दूधिया में लोहा का पुल टूट गया है. लोहा का पुल मिरिक और कर्सियांग को जोड़ता है. स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सावधान किया है. रात की बारिश में सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग, कर्सियांग, मिरिक जाने वाले कई मार्गों में भूस्खलन हुआ है. राष्ट्रीय राजमार्ग 110 स्थित हुसैन खोला में भूस्खलन के चलते सड़क संपर्क टूट गया है. इसके अलावा कई अन्य इलाकों में भी भूस्खलन हुआ है. स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल बचाव एवं राहत कार्य में जुटा हुआ है.

पहाड़ में सड़कों पर मलबे एवं कीचड़ पड़े हुए हैं. फिसलन इतनी ज्यादा है कि आपदा प्रबंधन दल लोगों को सड़कों पर जाने से रोक रहे हैं. प्रशासन ने लोगों को भूस्खलन प्रभावित इलाकों से अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर जाने की व्यवस्था कर दी है. अस्थाई तौर पर कैंप लगाए गए हैं. प्रभावित इलाकों से लोगों को निकाल कर शिविर में पहुंचाया जा रहा है.

मिरिक में तबाही इतनी भयंकर है कि भूस्खलन में मकान दबने से छह लोगों की मौत हो गई है. स्थानीय प्रशासन ने भूस्खलन वाले संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को निकालने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की व्यवस्था की है. सड़क संपर्क ठप है. आपातकालीन सेवाओं के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की गई है. दार्जिलिंग प्रशासन ने कई गांवों को खाली करा लिया है. पहाड़ में पर्यटन स्थलों की तबाही रोंगटे खड़े कर रही है. उत्तर बंगाल की कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. माल बाजार, Dooars आदि क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के लिए दार्जिलिंग, कालिमपोंग, अलीपुरद्वार और कूचबिहार जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. यहां सोमवार तक भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग ने बताया है कि अगले 24 घंटे में यह बारिश मुर्शिदाबाद, बीरभूम, नदिया जिले में भी तबाही मचा सकती है. मौसम विभाग की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन ने स्कूलों को बंद करने का नोटिस जारी कर दिया है. इसके अलावा निचले इलाकों में अलर्ट घोषित कर दिया गया है. बहरहाल इसमें कोई शक नहीं है कि पिछले दिनों कोलकाता और आसपास के इलाकों में तबाही का जो मंजर देखा गया था, कुछ ऐसा ही नजारा आज उत्तर बंगाल में देखा जा रहा है.

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