माटीगाड़ा के बहुचर्चित बालिका हत्याकांड की चर्चा एक बार फिर से आरोपी मोहम्मद अब्बास के बयान से तेज हो गई है. मोहम्मद अब्बास ने पहली बार कैमरे के सामने कहा है कि उसे टॉर्चर किया जा रहा है. वह कुछ बताना चाहता है… वह निर्दोष है!
आज मुल्जिम अब्बास को सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश किया गया. जहां कोर्ट के आदेश पर उसके मुकदमे की पैरवी करने के लिए विशेष रूप से नियुक्त वकील पक्ष ने मुलजिम की जमानत लेने के लिए जमानत के कागजात प्रस्तुत किये, लेकिन माननीय न्यायाधीश ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए एक बार फिर से 11 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
पहली दो-तीन पेशियों के दौरान जिस मुलजिम ने अपनी जुबान तक नहीं खोली, उसने आज अदालत में पेश होने से पहले मीडिया को बताया कि उसके साथ टॉर्चर किया जा रहा है. उसकी यह बात हलक से नहीं उतर रही है. सवाल तो यह उठता है कि उसने यह बात कोर्ट में माननीय न्यायाधीश के समक्ष क्यों नहीं बताई? सवाल यह भी है कि भारत के कानून में न्यायिक हिरासत में किसी भी विचाराधीन कैदी के साथ पुलिस अथवा संबंधित पक्ष के लोग गलत व्यवहार नहीं कर सकते.ना ही मुलजिम के साथ टॉर्चर तो दूर की बात रही, पुलिस उससे पूछताछ भी नहीं कर सकती है. अगर पुलिस न्यायिक हिरासत में आरोपी से पूछताछ करना चाहती है तो सर्वप्रथम उसे अदालत की अनुमति लेनी होती है. फिर उसने क्यों कहा कि उसके साथ टॉर्चर किया जा रहा है?
कहीं मोहम्मद अब्बास का खुद के बचाव के लिए यह कोई हथकंडा तो नहीं है? उसके इस बयान से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या मोहम्मद अब्बास अब कानून के दावपेच को समझने लगा है? इससे पहले कई पेशियों के दौरान मोहम्मद अब्बास अपनी बिंदास स्टाइल ,मुस्कान और हावभाव से यह जतला चुका है कि उसे अपने अपराध का कोई प्रायश्चित नहीं है. हर बात जब वह अदालत में पेश हुआ है तो उसके पहनावे से लेकर हाव भाव में भी बदलाव देखा गया है.
आज वह फिर से एक नई ड्रेस में नजर आया था और उसके अंदाज भी बदले हुए थे. पुलिस की मौजूदगी में वह बयान दे रहा था कि उसके साथ टॉर्चर हो रहा है. कहीं ना कहीं,यह भी लगता है कि दिन पर दिन उसका मनोबल बढ़ता जा रहा है. यह भी संकेत मिल रहा है कि कुछ लोग मोहम्मद अब्बास को कानूनी दाव पेच सीखा रहे हैं तथा उसे कानूनी प्रक्रियाओं से रास्ता निकालने के लिए तैयार कर रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि मोहम्मद अब्बास पहले से काफी बदला हुआ है. कुछ लोगों का मत है कि मोहम्मद अब्बास को जमानत पर रिहा करने के लिए, क्योंकि पुलिस के पास अभी तक कोई अकाट्य सबूत या साक्ष्य नहीं है, इसलिए अब्बास के सिपहसालार उसे गाइड कर रहे हैं. इसी के अनुरूप उसके आज के बयान को देखा जा रहा है. अपने इस बयान के जरिए वह अदालत को भटकाना चाहता है. जानकार मान रहे हैं कि कोर्ट परिसर में मोहम्मद अब्बास ने जो बयान दिया है, वह सच कैसे हो सकता है! क्योंकि अगर सचमुच कोई उसके साथ टॉर्चर कर रहा है तो उसे यह बात अदालत में रखनी चाहिए या पुलिस को बताना चाहिए.
दूसरी तरफ न्यायिक हिरासत में आरोपी या विचाराधीन कैदी को आम कैदियों की तरह नहीं रखा जाता और ना ही उसके साथ गलत व्यवहार किया जाता है. क्योंकि ऐसा आरोपी मजिस्ट्रेट की निगरानी में रखा जाता है. इसलिए वहां किसी तीसरे की मौजूदगी को कोर्ट बर्दाश्त नहीं करता. ऐसे में भला उसके साथ टॉर्चर कौन कर सकता है? अब्बास के साथ टॉर्चर तो उस समय होना चाहिए जब वह पुलिस हिरासत में था. क्योंकि पुलिस हिरासत में पूछताछ के क्रम में पुलिस आरोपी के साथ मारपीट तक कर सकती है. उस समय तो अब्बास ने कोई शिकायत नहीं की. और अब वह न्यायिक हिरासत में है तो टॉर्चर की बात बता रहा है. इसका मतलब क्या है?
आखिर उसके दिमाग में क्या चल रहा है? इस तरह के नाना प्रकार के सवाल उठ खड़े हुए हैं. अदालत पक्ष ने उसके आरोपों के मद्देनजर सीधा जवाब दिया है कि कोई भी व्यक्ति कोर्ट के बाहर कुछ भी बयान दे सकता है. उसके बयान का महत्व तब होता है जब वह अदालत में न्यायाधीश के समक्ष अपनी बात रखता है. जिसे रिकॉर्ड में शामिल किया जाता है. कुछ लोगों की माने तो मोहम्मद अब्बास अपने बचाव और जमानत के लिए स्वांग रचने लगा है. कानून के जानकारो का मानना है कि जिस तरह के हथकंडे का प्रयोग कर रहा है, अगर पुलिस ने निर्धारित अवधि के भीतर चार्ज शीट पेश नहीं किया तो संदेह का लाभ देकर अदालत उसे बरी भी कर सकती है अथवा जमानत पर रिहा कर सकती है.
इसलिए पुलिस को अपनी इन्वेस्टिगेशन बढ़ा देना चाहिए. इसके साथ ही उसके खिलाफ अकाट्य सबूत और दूसरे तथ्यों को इकट्ठा करके अदालत में प्रस्तुत करना चाहिए. माटीगाड़ा पुलिस इसी दिशा में कार्य कर रही है. इस मामले का जल्द से जल्द फैसला हो सके, सिलीगुड़ी के लोग भी यही चाहते हैं.अब देखना है कि 11 अक्टूबर को जब मोहम्मद अब्बास की अगली पेशी होगी, तो वह क्या नया हथकंडा लेकर आता है?