मोहम्मद अब्बास को सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश किया जा रहा था. आज उसने सफेद रंग की नई टी-शर्ट पहन रखी थी. चेहरे पर कोई भाव नहीं था. सहज और सपाट. लेकिन बाल अच्छे तरीके से संवारे गए थे. वह चुप था. मीडिया कर्मी मोहम्मद अब्बास से कुछ पूछने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन उसने आज अपनी जुबान नहीं खोली. वह सुन रहा था. लेकिन बोल नहीं रहा था. पुलिस के साथ चल रहा था. शायद मोहम्मद अब्बास को पुलिस ने पहले से समझा रखा था कि मीडिया के सामने उसे अपनी जुबान नहीं खोलनी है.
मोहम्मद अब्बास माटीगाड़ा की एक स्कूली बालिका की हत्या का मुलजिम है. उसने बालिका को बहला फुसलाकर उसके साथ गलत काम करने की कोशिश की. लेकिन जब बालिका तैयार नहीं हुई तब उसने पत्थर मारकर उसकी हत्या कर दी. यह लगभग दो महीने पहले की बात है. मोहम्मद अब्बास पर आरोप है कि उसने लगभग 2 महीने पहले एक स्कूली बालिका का अगवा किया और उसकी जघन्य तरीके से हत्या कर दी. इसी मामले में मोहम्मद अब्बास को कोर्ट में पेश किया गया था.
रिमांड अवधि पूरी होने के बाद मोहम्मद अब्बास न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है. उसे नियमित तरीके से कोर्ट में पेश किया जा रहा है. उसकी तरफ से कोर्ट में पैरवी करने के लिए कोई वकील तो नहीं है.अदालत द्वारा नियुक्त वकील भी एक प्रतीक मात्र है और वह संवैधानिक दायित्व का पालन करने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. दूसरी ओर माटीगाड़ा पुलिस ने भी मोहम्मद अब्बास के खिलाफ चार्जशीट आज ही पेश किया है. अब इस पर जिरह होगी. सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील बहस करेंगे. इसके पश्चात अदालत का फैसला आएगा.
हर बार की तरह आज भी सिलीगुड़ी कोर्ट में मोहम्मद अब्बास की जमानत के लिए विशेष नियुक्त वकील की ओर से कागजात पेश किए गए. लेकिन जज महोदय ने उसकी जमानत की याचिका को ठुकरा दिया और उसे न्यायिक हिरासत में भेजे जाने का आदेश दिया. पुलिस की सुरक्षा के बीच मोहम्मद अब्बास को पुलिस वैन में बैठकर वापस जेल भेज दिया गया. अगली पेशी 20 नवंबर को होगी.
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अंतर्गत माटीगाड़ा थाना की पुलिस ने आखिरकार माटीगाड़ा के बहुचर्चित स्कूली बालिका हत्याकांड में हत्या के आरोपी मोहम्मद अब्बास के खिलाफ चार्ज शीट पेश कर ही दिया. सूत्रों ने बताया कि मोहम्मद अब्बास के खिलाफ पुलिस पहले ही चार्जशीट कोर्ट में पेश कर देती, परंतु कुछ तकनीकी कारण आ गए थे, जिसकी वजह से पुलिस चार्जशीट पेश नहीं कर सकी.
किसी भी मुकदमे में चार्जशीट पेश करने के लिए पुलिस को 3 महीने का वक्त दिया जाता है.हालांकि ऐसा बहुत कम देखा गया है जब पुलिस तय समय सीमा के भीतर आरोपी के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल करती है. इसका लाभ मुल्जिम को मिलता है. मुलजिम पुलिस की चूक का फायदा उठाकर जमानत पर आसानी से रिहा हो जाता है. जज के पास भी आरोपी को जमानत देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता. अधिकांश मामलों में यही देखा गया है.
परंतु यह पहला ऐसा मामला है, जहां सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस, इन्वेस्टिगेशन अधिकारी तथा माटीगाड़ा पुलिस के अधिकारियों ने तय समय सीमा से पहले ही कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दिया. इसके लिए माटीगाड़ा पुलिस और मुकदमे के आई ओ प्रशंसा के पात्र हैं. मुलजिम के खिलाफ सबूत जुटाने और चार्जशीट तैयार करने में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का भी प्रमुख हाथ बताया जाता है.
पुलिस ने मोहम्मद अब्बास के खिलाफ चार्जशीट में दो अतिरिक्त धाराएं जोड़ी है. पास्को मामले के अलावा इसमें आईपीसी की धारा 363 भी ऐड किया गया है. 363 आईपीसी के अंतर्गत किसी बालिका को अगवा करने का मामला बनता है. पुलिस ने इस धारा को भी इसमें जोड़ा है. यानी मुलजिम मोहम्मद अब्बास पर पुलिस ने किडनैपिंग का मामला बनाया है. अब इस चार्जशीट पर कोर्ट में बहस होगी. क्योंकि बचाव पक्ष की तरफ से कोई भी काबिल वकील केस लड़ने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि संक्षिप्त बहस के बाद अदालत मुलजिम को अपराधी घोषित करते हुए सजा का आदेश जारी कर सकती है.
कानून के जानकार मानते हैं कि ऐसे मामलों में जब बचाव पक्ष की तरफ से पुरजोर बहस या अपील नहीं रखी जाती, तो कोर्ट का फैसला जल्दी आता है. समझा जाता है कि इस मामले का फैसला जल्दी आएगा और पीड़ित पक्ष को जल्द ही इंसाफ भी मिलेगा.