किसी विद्वान ने बड़ा सोच समझ कर मॉडर्न सिटी की परिभाषा दी है. इसके अनुसार एक मॉडर्न सिटी में कुछ अपराध, कुछ विकास व कुछ अविश्वास होता है. इसके साथ ही मॉडर्न सिटी वह होता है, जहां यातायात का विकास नजर आता है. सिलीगुड़ी के संदर्भ में यह परिभाषा सटीक बैठती है. क्योंकि यहां अपराध भी है तो विकास भी है और जहां तक यातायात की बात है तो इस दिशा में प्रशासन तेजी से आगे बढ़ रहा है.
आने वाले समय में तेनजिंग नोर्गे बस टर्मिनस का आधुनिकीकरण होगा. यह बस टर्मिनस बड़ा बनाया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने 9 एकड़ जमीन दे दी है. बस टर्मिनस को किस तरह से भव्य व आधुनिक बनाया जाए, इस पर विचार करने के लिए इसी महीने बस टर्मिनस प्राधिकरण एडवाइजरी काउंसिल की बैठक हो रही है. इसके चेयरमैन सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव बनाए गए हैं. जबकि डिप्टी चेयरमैन दिलीप दुगड़ को बनाया गया है. तेनजिंग नोर्गे बस टर्मिनस का डिजाइन तैयार करने के लिए दिल्ली के एक आर्किटेक्टर से बातचीत चल रही है.
सिलीगुड़ी शहर में यातायात को नया पर लग गया है. आने वाले कुछ दिनों में यहां तीन-तीन बस टर्मिनस नजर आएंगे. तीन बत्ती बस टर्मिनस के अलावा तेनजिंग नोर्गे बस टर्मिनस और माटीगाड़ा का परिवहन नगर बस टर्मिनस होगा. सिलीगुड़ी शहर का लुक बदल रहा है. पहले यहां टिन और लकड़ी के छोटे-छोटे मकान होते थे. अब यहां बहुमंजिली इमारतो का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही सड़कों का भी कायाकल्प हो रहा है. बिजली और लाइट में भी सुधार हुआ है. पिछले एक दशक में सिलीगुड़ी में काफी विकास हुआ है.
देश के बड़े-बड़े महानगरों में बड़े-बड़े कांड होते हैं. सिलीगुड़ी में भी छोटे बड़े कांड हो रहे हैं. हर दिन एक नई कहानी सामने आती है. लेकिन जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता और ना ही प्रशासन को. जनता अपना काम करती है और प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करता है. एक महानगर में लूट, चोरी, छिनताई, स्मगलिंग इत्यादि रोजमर्रे के जीवन का हिस्सा हो जाता है.
सिलीगुड़ी में यह सब कुछ दिख रहा है. यहां एक ही दिन में 35 लाख रुपए से अधिक के मादक पदार्थ बरामद होते हैं. इसी शहर में दवाई के नाम पर मादक पदार्थ के गोदाम का पुलिस खुलासा करती है. इसी शहर में हत्या, रेप, चोरी, छिनताई, डकैती आदि घटनाएं घट रही है.लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. यह सब रोजमर्रे का हिस्सा बन गया है.
वर्तमान समय में सिलीगुड़ी के लोगों का अपनों पर से भरोसा उठता जा रहा है. लोग खुद में सिमटते जा रहे हैं.उन्हें यह मतलब नहीं है कि दूसरे लोग क्या करते हैं अथवा उनके बारे में क्या विचार रखते हैं. और जहां ऐसी स्थिति होती है वहां अविश्वास कुंडली मार कर बैठ जाता है. क्या यह सब कुछ सिलीगुड़ी में नहीं दिख रहा है?अगर ऐसा है तो सिलीगुड़ी शहर कोलकाता के बाद राज्य में दूसरे महानगर की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है. यह अलग बात है कि वैधानिक रूप से सिलीगुड़ी शहर को महानगर में परिवर्तित होने के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा.