पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बंगाल में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. सभा में उन्होंने कहा था कि 2024 के चुनाव में भाजपा का लक्ष्य पहले से ज्यादा सीटे जीतने का है. उन्होंने विश्वास पूर्वक कहा कि भाजपा पहले से ज्यादा सीटें जीतेगी. अगर अमित शाह ऐसा कहते हैं तो जरूर इसके पीछे कोई ना कोई तथ्य होगा ही. क्योंकि अमित शाह हवा में बात नहीं करते!
पश्चिम बंगाल में शिक्षा में घोटाले की खबरें तथा इसकी चपेट में एक एक करके अनेक विधायक सामने आ रहे हैं. कई तो जेल पहुंच गए हैं और कई जेल पहुंचने की कगार पर हैं. अगर घोटालों की बात करें तो कई घोटाले चर्चा में है.इनमें से प्रोफेसर नियुक्ति घोटाला, कोयला घोटाला, प्रधानमंत्री आवास घोटाला इत्यादि भी शामिल है.
ईडी और सीबीआई के निशाने पर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के विधायक ज्यादा सामने आ रहे हैं. जबकि भाजपा विधायकों पर दाग भी नहीं देखा जा रहा है. इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई बार कटाक्ष कर चुकी है कि भाजपा के विधायक बेदाग हैं इसलिए कि वे भाजपा में है. जबकि गैर भाजपा विधायक पर ईडी और सीबीआई का शिकंजा इसलिए कस रहा है कि वह भाजपा में नहीं है.
आपको बताते चलें कि केंद्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन एजेंसी, आयकर विभाग, सीबीआई सभी जांच एजेंसियां इन दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ कमर कस कर मैदान में उतर चुकी है. केवल बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में इन जांच एजेंसियों के द्वारा विपक्षी नेताओं के खिलाफ छापेमारी जारी है. कई बड़े-बड़े सुरमा पकड़े गए हैं. 2024 आते-आते कई और लोग उनके रडार पर होंगे. जितने नेताओं के यहां जांच एजेंसियों की छापेमारी चल रही है, उनमें से अधिकतर गैर भाजपा विधायक अथवा नेता ही हैं. विपक्ष को इसी बात का आक्रोश है कि केवल गैर भाजपा विधायकों के घर पर ही छापे क्यों पड़ते हैं. भाजपा विधायकों के यहां छापे क्यों नहीं पड़ते?
केंद्रीय जांच एजेंसियां बगैर सबूत अथवा साक्ष्य के कुछ भी नहीं करती. यह सच है कि हमाम में सभी नंगे होते हैं. राजनीति के क्षेत्र में लगभग सभी दलों के नेता अथवा मंत्री दूध के धुले नहीं हैं. सत्ता पक्ष हो अथवा विपक्ष, राजनीति के क्षेत्र में कोई भी नेता दावे के साथ नहीं कह सकता कि उसने जीवन में कोई गलत काम नहीं किया हो यानी उसका जीवन बेदाग हो. लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई कुछ चुनिंदा नेताओं पर ही क्यों होती है? यह सवाल ऐसा है कि इसका कोई सीधा उत्तर नहीं हो सकता. विपक्ष जहां इसे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई नाम देता है. वहीं सत्तापक्ष इसे कानून के तहत वैधानिक कार्रवाई मानता है.
आज केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई में रायगंज के एक और तृणमूल विधायक शिकंजे में आ गए. नाम है कृष्णा कल्याणी, जो पहले भाजपा के विधायक थे. बाद में वे तृणमूल कांग्रेस में चले गए. आज सुबह प्रवर्तन निदेशालय तथा आयकर विभाग के अधिकारियों ने उनके घर को चारों तरफ से घेर कर छापा डाला. हालांकि छापे में क्या- क्या बरामद हुआ है, अब तक पता नहीं चल पाया है. परंतु इस घटना ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुछ दिनों पहले एक सभा में दिए गए बयान की याद दिला दी जब उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में बंगाल से अधिक से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य प्रदेश भाजपा नेताओं को दिया है.
जानकार मानते हैं कि आने वाले समय में बंगाल में विपक्षी नेताओं के घरों पर ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई लगातार चलती रहेगी. क्योंकि उनका मानना है कि कई ऐसे नेता हैं जो संदिग्ध हैं और वे देर सवेर जांच एजेंसियों के शिकंजे में आ सकते हैं.आज की ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाई यूं तो रायगंज में हुई है,परंतु धुआं सिलीगुड़ी में भी उठा है. सिलीगुड़ी के पास सालुगरा में एक प्रसिद्ध रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े व्यवसाई के घर पर भी छापा पड़ा है. रायगंज से उठी चिंगारी सिलीगुड़ी में और कहां कहां तक भड़केगी, यह तो पता नहीं. परंतु इतना तय है कि आने वाले कुछ महीनों में तृणमूल कांग्रेस के कई और हैवीवेट नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के शिकंजे में होंगे!