पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी बी आनंद बोस का शुरू से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा उनकी सरकार के प्रति प्रेम रहने का आरोप प्रदेश भाजपा के नेता लगाते रहे हैं. सीबी आनंद बोस कई अवसरों पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तारीफ कर चुके हैं. उन्होंने बंगाल संस्कृति और बांग्ला भाषा की भी काफी तारीफ की है. इन सब को लेकर राज्य भाजपा के नेता राज्यपाल से नाराज चल रहे हैं.
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस ने बांग्ला भाषा सीखने के लिए औपचारिक शिक्षा की शुरुआत करने के लिए राज्य भवन में एक समारोह का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हुई थी.कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन वह कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके.
राजभवन में आयोजित कार्यक्रम हाथे खोरी समारोह अनुष्ठान था. बंगाल में बच्चे की शिक्षा की औपचारिक शुरुआत के लिए जो क्रिया विधि अपनाई जाती है, उसी को हाथे खोरी समारोह कहा जाता है. राज्यपाल आनंद बोस को एक बच्ची ने बांग्ला भाषा का ककहरा सिखाया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उपस्थित थी. और उन्होंने राज्यपाल की भूरी भूरी प्रशंसा की थी.
प्रदेश भाजपा के नेताओं को यह सब रास नहीं आ रहा है. प्रदेश भाजपा के नेता स्वप्न दासगुप्ता के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष, विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी तथा दूसरे नेताओं की नाराजगी को देखते हुए केंद्र ने राज्यपाल को दिल्ली तलब किया. हालांकि राज्यपाल भवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल आनंद बोस दिल्ली में एक भाजपा नेता के घर शादी के समारोह में शामिल होने गए थे.
सच्चाई चाहे जो भी हो, इसमें कोई शक नहीं कि आनंद बोस पहले राज्यपाल हैं, जिनका विरोध राज्य भाजपा के नेता ही करने लगे हैं. तथा उनकी कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं. विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले से ध्यान भटकाने के लिए राज्य सरकार का यह प्रायोजित कार्यक्रम है.दिलीप घोष ने राज्यपाल पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि राज्यपाल दूसरों के दिमाग पर काम कर रहे हैं. उन्होंने ऐसे कार्यक्रम को नाटक करार दिया.वही भाजपा के राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने राज्यपाल और ममता बनर्जी के कार्यक्रम को नौटंकी करार दिया है.
राज्यपाल के प्रति राज्य में भाजपा नेताओं की नाराजगी को केंद्र अनदेखा नहीं कर सकता. ऐसे में सूत्र बता रहे हैं कि राज्यपाल को या तो अपनी कार्यशैली में परिवर्तन लाना होगा और राज्य भाजपा नेताओं के साथ समन्वय रखते हुए राज्य सरकार की नीतियों का विरोध करना होगा अन्यथा हो सकता है कि आने वाले समय में राज्यपाल को बंगाल से कहीं और भेजा जा सके. सूत्र बता रहे हैं कि ज्यादा संभावना राज्यपाल को बंगाल से कहीं और भेजने की ही हो सकती है. बहर हाल यह देखना होगा कि आने वाले समय में राज्य के राज्यपाल के प्रति केंद्र का क्या रुख रहता है.