वर्ल्ड कप चैंपियन सिलीगुड़ी की बेटी रिचा घोष स्टार बन चुकी हैं. ऐसे में अगर वह कुछ मांगती हैं तो उसे ठुकरा देना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होता. रिचा घोष ने कहा है कि सिलीगुड़ी में खेल संसाधनों की भारी कमी है. खासकर खेलों में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. इसलिए सिलीगुड़ी में खेल संसाधनों का विकास होना चाहिए. अगर यहां एक बड़ा स्टेडियम होता तो यहां से अनेक खेल प्रतिभाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर सकती हैं.
क्रिकेट की दुनिया में शोहरत हासिल करने का रिचा घोष का सपना तो पूरा हो गया. लेकिन सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में बहुत सी खेल प्रतिभाएं होंगी, जो रिचा की तरह स्टार बनना चाहती हैं, लेकिन सिलीगुड़ी में खेल संसाधनों का अभाव उनकी प्रतिभा को कुंठित कर रहा है. गरीबी और आर्थिक विपन्नता के कारण बहुत सी खेल प्रतिभाएं खेलों की दुनिया में अपना मुकाम बनाने के लिए सिलीगुड़ी से बाहर जाने और करियर बनाने में सक्षम नहीं हैं. यह तो रिचा घोष ही थीं, जिसने अपने माता-पिता के आशीर्वाद और सहयोग से अपना सपना साकार करने के लिए कोलकाता में अपना करियर बनाया और उसने जो संघर्ष किया है, इसकी भी एक अलग कहानी है. अगर माता-पिता का उनके संघर्ष के दिनों में साथ नहीं मिला होता तो आज रिचा इस मुकाम पर नहीं पहुंची होती.
रिचा स्वयं कहती भी हैं कि अगर मैं कोलकाता नहीं जाती तो राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मेरा सपना अधूरा ही रह जाता. रिचा घोष सिलीगुड़ी की रहने वाली है. वह सिलीगुड़ी के सुभाष पल्ली इलाके में अपने माता-पिता के साथ रहती हैं. रिचा घोष के पिता मानवेंद्र घोष खुद एक क्रिकेटर रह चुके हैं. वह अपनी बेटी के पहले कोच भी रहे हैं. उन्होंने ही अपनी बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाया है. पिता ने सिर्फ राह दिखाई, जबकि बेटी ने मेहनत, लगन, साहस और समर्पण से अपना करियर बनाया.
मीडिया से बात करते हुए रिचा घोष ने अपने दर्द का इजहार करते हुए यह जतलाने की कोशिश की है कि सिलीगुड़ी में खेल गतिविधियों की कमी और संसाधनों का अभाव यहां के खिलाड़ियों की प्रतिभा को दम तोड़ने पर मजबूर कर देता है. यहां खिलाड़ियों को ऊपर उठने के लिए एक बड़े स्टेडियम की आवश्यकता है, जो सिलीगुड़ी में उपलब्ध नहीं है. यही कारण है कि पिता मानवेंद्र घोष ने अपनी बेटी को कोलकाता भेज दिया, जहां खेलते हुए रिचा घोष ने अपनी प्रतिभा साबित की और खेल के प्रति लगन और समर्पण भाव ने उसे पहले 19 वर्ल्ड कप, WPL और बाद में वनडे वर्ल्ड कप में यह मुकाम दिलाया है.
रिचा घोष सिलीगुड़ी की खेल प्रतिभाओं खासकर महिला खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहती हैं और यह चाहती हैं कि उनके लिए यहां खेल संसाधन विकसित हो. काफी समय से सिलीगुड़ी में एक बड़े स्टेडियम की मांग की जाती रही है. आज रिचा ने भी यह मांग कर दी है तो ऐसे में एक बार जरूर बंगाल सरकार इस पर विचार करेगी. जानकार मानते हैं कि आने वाले समय में पश्चिम बंगाल सरकार अथवा राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय खेल संगठन रिचा घोष की इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं.
