2024 का लोकसभा चुनाव इंडिया और बीजेपी के बीच लड़ा जाएगा. इससे पहले आज छह राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम घोषित किए गए. भाजपा के लिए यह एक झटका ही कहा जा सकता है कि सात विधानसभा सीटों में भाजपा की झोली में महज तीन सीटें ही आ सकी. जबकि शेष 4 सीटों पर इंडिया गठबंधन जीता है. भारतीय जनता पार्टी ने अपनी धुपगुड़ी सीट तृणमूल के हाथों गवा दी है.
आज जिन 7 विधानसभा सीटो के उप चुनाव के परिणाम घोषित किए गए, उनमें से उत्तर प्रदेश में घोसी, झारखंड में डुमरी, त्रिपुरा में धनपुर और बोक्सा नगर, जबकि उत्तराखंड में बागेश्वर सीट, पश्चिम बंगाल में धुपगुडी और केरल में पुथुपली सीट शामिल है. घोसी सीट समाजवादी पार्टी की थी. वहां से समाजवादी पार्टी ही विजई हुई है. उत्तराखंड में बागेश्वर सीट भाजपा के पास थी. यहां से भाजपा उम्मीदवार ही जीता है. लेकिन पश्चिम बंगाल में धूपगुड़ी सीट जो भाजपा की थी, वहां भाजपा अपनी सीट बरकरार नहीं रख पाई और तृणमूल के हाथों गवा दी है.
त्रिपुरा में दो विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुए थे, धनपुर और बोक्सा नगर. धनपुर सीट भाजपा की थी.यहां भाजपा अपनी सीट बरकरार रख पाई है.जबकि बोक्सा नगर सीट पर माकपा का कब्जा था. भाजपा ने यह सीट माकपा से छीन ली है. ताज्जुब की बात यह है कि त्रिपुरा में पिछले महीने जो इतना बड़ा कांड हुआ था, उसका चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ा. बल्कि यह भाजपा के पक्ष में ही गया है. इसलिए त्रिपुरा में लाख चुनौतियों के बीच भाजपा गेनर साबित हुई है.
केरल में भाजपा का कोई जनाधार नहीं है. केरल की पुथुप्पली सीट कांग्रेस की झोली में थी. यहां से कांग्रेस ही विजई हुई है.जबकि झारखंड राज्य में डुमरी सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास थी और झारखंड मुक्ति मोर्चा अपनी सीट बरकरार रख पाई है. इस तरह से अगर हम इंडिया गठबंधन और भाजपा गठबंधन के बीच तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो इंडिया गठबंधन 4 सीट जीतकर भाजपा गठबंधन पर भारी पड़ा है.
लेकिन अगर सीट के अनुसार विश्लेषण करें तो त्रिपुरा राज्य में भाजपा ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को हराकर उसकी सीट पर कब्जा जमाया है. लेकिन वही पश्चिम बंगाल में धुपगुडी सीट भाजपा ने तृणमूल के हाथों गवा दी है. अतः हम कह सकते हैं कि भाजपा गठबंधन और इंडिया गठबंधन का स्कोर 50-50 हुआ. भाजपा को सिर्फ पश्चिम बंगाल में नुकसान उठाना पड़ा है.
यह चुनाव परिणाम क्या कहता है. इसका विश्लेषण करना भी जरूरी है. इस चुनाव परिणाम से हम यह नहीं कह सकते कि इंडिया गठबंधन भाजपा पर भारी है या फिर भाजपा गठबंधन इंडिया पर भारी है. दोनों का 50-50 स्कोर है.तो क्या यह स्कोर आगामी लोकसभा चुनाव में भी दिखेगा. यह कहना कुछ जल्दबाजी होगी. लेकिन इन सबसे अलग अगर हम पश्चिम बंगाल की बात करें तो काफी कुछ समझ में आ जाता है.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है. तृणमूल कांग्रेस इंडिया गठबंधन का अहम सहयोगी है. पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की थी. तब विपक्ष ने तृणमूल कांग्रेस पर वोट लूटने का आरोप लगाया था. मगर विधानसभा उपचुनाव में ऐसा नहीं था. क्योंकि यह चुनाव केंद्रीय बलों की निगरानी में कराया गया था. धुपगुरी सीट पर भाजपा का कब्जा था. यहां से तृणमूल कांग्रेस की जीत के मायने अलग हैं.
यह साफ संकेत है कि आगामी लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस भाजपा के दांत खट्टे कर सकती है. तृणमूल कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है.जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत गिरा है. विभिन्न चैनलों द्वारा अब तक कराए गए सीटों के अनुमानित पर्यवेक्षण से भी पता चलता है कि यहां भाजपा को अपनी जीती हुई सीट बचाने के लिए भी कठोर परिश्रम करना होगा. तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल से भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए एक सोची समझी रणनीति बना रही है. तृणमूल कांग्रेस जानती है कि लोकसभा चुनाव में अगर इंडिया गठबंधन जीतता है तो इसमें तृणमूल कांग्रेस की बड़ी भूमिका होगी.
यही कारण है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस भाजपा को चारों खाने चित करने की तैयारी कर रही है. आज धूपगुड़ी उपचुनाव में TMC की बड़ी जीत को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा बनाम इंडिया गठबंधन के नजरिए से देखा है. मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि धुपगुडी की जीत धुपगुडी के मतदाताओं की जीत है और इसलिए उनका आभार. लेकिन इसके साथ ही भाजपा गठबंधन हारा है और इंडिया गठबंधन जीता है. ममता बनर्जी ने कहा है कि जहां-जहां इंडिया गठबंधन जीता है, वहां के मतदाताओं का आभार और बधाई!
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी धुपगुरी के मतदाताओं का आभार व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि इस जीत ने यह जतला दिया है कि उत्तर बंगाल पुरी तरह तृणमूल कांग्रेस के साथ है.बहरहाल एक सीट के चुनाव परिणाम से किसी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं है. लेकिन यह सही है कि उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेताओं के हौसले बुलंद हुए हैं.
हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी देर है. तब तक कई स्थितियां आएंगी और बदलेंगी भी. क्योंकि अभी इंडिया गठबंधन को कई चुनौतियों पर खड़ा उतरना होगा. दूसरी तरफ भाजपा गठबंधन भी शांत होकर नहीं रहेगा. इस चुनाव परिणाम से भाजपा को भी कुछ सीखने का मौका मिलेगा तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन को भी अपनी जीत को व्यापक बनाने की रणनीति बनाने का भी अवसर मिलेगा. फिलहाल तो हम यही कह सकते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा वर्सेस इंडिया गठबंधन के बीच 50-50 का मुकाबला रहने वाला है. कम से कम इस चुनाव परिणाम से यह संकेत जाता है.