शराब पीकर गाड़ी चलाना कानूनन अपराध है. पकड़े जाने पर पुलिस चालान करती है. इसके बावजूद शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की कोई कमी नहीं. कहीं ना कहीं सख्त कानून का अभाव भी दिखता है. जिस वजह से वाहन चालकों में यह लापरवाही देखी जाती है. देखा जाता है कि पकड़े जाने पर वाहन चालक ट्रैफिक पुलिस को ले देकर मामले का निपटारा करा लेते हैं.
ट्रैफिक नियमों में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ दंड का प्रावधान के पीछे मूल भावना यह है कि लोग सुरक्षित वाहन चलाएं और दुर्घटना से बचें. हमारे देश में जितनी सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, उनमें सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण होती है. अब तक के अध्ययन से यह स्पष्ट हो चुका है. आलोचक मानते हैं कि अगर कानून सख्त हो तथा उसका सख्ती से पालन किया जाए तो शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कसेगा. इसके साथ ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी भी आएगी.
कोलकाता पुलिस ने अब शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेना शुरू कर दिया है. मिली जानकारी के अनुसार अगर नशे में धुत होकर कोई व्यक्ति वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है तो ट्रांसपोर्ट विभाग की मदद से ऐसे वाहन चालक का ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. ट्रैफिक पुलिस को सख्त किया जा रहा है. केवल इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति वाहन चलाते हुए फोन पर बात करता है तो पकड़े जाने पर ट्रैफिक पुलिस परिवहन विभाग को उसका लाइसेंस रद्द करने के लिए भेज सकती है. कोलकाता में विभिन्न आरटीओ की मदद से शराबियों के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. वाहन चालको का ड्राइविंग लाइसेंस केवल 7 दिनों के अंदर ही रद्द कर दिया जाएगा. इसके साथ ही 24 घंटे के अंदर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
सिलीगुड़ी में हालांकि ट्रैफिक पुलिस इस तरह की कार्रवाई अभी नहीं कर रही है. परंतु समझा जाता है कि कोलकाता पुलिस की तर्ज पर सिलीगुड़ी पुलिस और ट्रैफिक विभाग आने वाले समय में ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर सकती है. कोलकाता पुलिस को प्रारंभिक सफलता मिलती है तो अन्य आरटीओ क्षेत्र में विस्तार भी होगा और इसके साथ ही सिलीगुड़ी तथा दूसरे शहरों में इस पद्धति को शुरू किया जा सकता है.
ट्रैफिक नियमों के अनुसार निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में शराब पीकर गाड़ी चलाने पर पकड़े जाने पर न्यूनतम 3 महीने के लिए लाइसेंस रद्द किया जा सकता है. वर्तमान कानून के अनुसार अधिकतम 1 साल के लिए लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पहले एसीपी रैंक के अधिकारी के पास लाइसेंस रद्द करने का अधिकार होता था. अब ट्रांसपोर्ट विभाग को सीधे भेजा जा रहा है. इस कानून को लाने का एकमात्र मकसद शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर नकेल कसना है. हालांकि आरोपियों को अदालत में अपने बचाव का पूरा हक रहेगा.