भारत सरकार कहती है कि महंगाई घटी है. लेकिन आप क्या ऐसा कह सकते हैं? वैसे महंगाई का आकलन साग सब्जियों की खरीद बिक्री से निर्धारित होता है. फुटकर महंगाई दर सितंबर महीने की आ चुकी है. सितंबर महीने में भारत की मुद्रास्फीति दर घटकर 3 महीने के निचले स्तर पर 5.02% पर आ गई है. सरकार कहती है कि इससे उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली है. लेकिन क्या सचमुच उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है?
सिलीगुड़ी के बाजार में वर्तमान में हर वस्तु का दाम काफी बढ़ गया है. जहां तक साग सब्जियों की कीमत का प्रश्न है, कोई भी हरी सब्जी ₹70 से लेकर ₹80 प्रति किलो से कम नहीं है. भिंडी, करेला, फूलगोभी, बैंगन समेत विभिन्न सब्जियों की कीमत सितंबर महीने से ही काफी बढ़ गई है. हाल ही में सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में हुई बरसात ने इसमें और इजाफा किया है.इसी तरह से अन्य उपभोक्ता सामान के दाम में भी उछाल आया है. जैसे दाल, चीनी, चावल, आटा, आदि के भाव तेजी से बढे हैं. दाल की कीमत लगभग रोजाना ही बढ़ रही है.तेल का दाम भले ही कम हुआ हो,लेकिन तेल के दाम में कमी का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं हो रहा है.
पहले सरकारी आंकड़ो पर आते हैं. खाद्य मुद्रास्फीति जो समग्र उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का लगभग आधा हिस्सा है, सितंबर में यह घटकर 6.56% पर आ गया है. अगस्त में यह 9.94% था. बताया गया है कि खाना पकाने के तेल की कीमतों में 14% से अधिक की गिरावट आई है. लेकिन सिलीगुड़ी के उपभोक्ताओं को पता है कि सिलीगुड़ी के खुदरा बाजार में तेल की कीमत में पिछले दो महीनो से कोई बदलाव नहीं आया है. जब तेल सस्ता हुआ है तो उसका फायदा उपभोक्ताओं को क्यों नहीं हो रहा है.
अब मसाला की बात करते हैं. लाल मिर्च से लेकर जीरा, काली मिर्च, हल्दी, धनिया आदि सभी मसालो के दाम काफी बढ़ गये है. सबसे ज्यादा लाल मिर्च, जीरा और काली मिर्च के दाम बढ़े हुए हैं. मसालों की कीमत में 23.06% की वृद्धि हुई है. यह ठीक है कि टमाटर का भाव जो कुछ समय पहले ₹200 किलो था, उसमें भारी कमी आई है. टमाटर वर्तमान में ₹30 से लेकर ₹40 प्रति किलो खुदरा बाजार में बिक रहा है. लेकिन क्या एक टमाटर के भाव में कमी आने से महंगाई दर में गिरावट आ गयी है? प्याज का भाव तो अभी भी ₹40 प्रति किलो खुदरा बाजार में बिक रहा है.
सितंबर महीने का यह आंकड़ा है. लेकिन नवंबर महीने में जब अक्टूबर महीने का आंकड़ा आएगा तो निश्चित रूप से यह आंकड़ा बदल जाएगा ,जो वर्तमान में दिख रहा है. अगर मुद्रास्फीति की दर में गिरावट आरबीआई की उम्मीद के अनुरूप है, तो नवंबर महीने में अक्टूबर महीने का जो आंकड़ा आएगा उस पर आरबीआई को फिर से विचार करना पड़ सकता है. वर्तमान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आरबीआई के 2 से 6% तक सीमा के चार प्रतिशत मध्य बिंदु के करीब है.
जानकार मानते हैं कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में और वृद्धि होगी. क्योंकि इजरायल हमास युद्ध के चलते वैश्विक संकट उत्पन्न हो सकता है.इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतें भी मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं. इसके अलावा अनियमित मानसून को भी अर्थशास्त्री अच्छा नहीं मानते हैं और उनकी नजर में यह महंगाई को सीधे बढ़ाता है.
सिलीगुड़ी के बाजार से जुड़े व्यापारियों तथा विक्रेताओं का कहना है कि वर्तमान में साग सब्जियों की कीमत में जो उछाल आया है, इसका प्रमुख कारण स्थानीय है. क्योंकि सिलीगुड़ी के आसपास तीस्ता और दूसरी सहायक नदियों में आई बाढ़ के चलते सब्जी की खेती नष्ट हो गई है. इसका असर बाजार पर दिख रहा है. उन्होंने बताया कि नवंबर महीने से सब्जी की कीमत में कमी आएगी. उससे पहले यह संभव नहीं है. वर्तमान में तो यही कह सकते हैं कि सरकारी आंकड़ो में भले ही महंगाई घटी हो, लेकिन जनता की नजर में महंगाई चरम पर पहुंच गई है. खासकर सिलीगुड़ी के लोग ऐसा ही महसूस कर रहे हैं.