पिछले लगभग 1 साल से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई है. ऐसे में डीजल और पेट्रोल के भाव क्या बढेंगे या क्या घटेंगे? उपभोक्ता असमंजस में हैं. सरकार भी मौन है और तेल कंपनियां उदासीन है.
जहां तक कच्चे तेल का अंतरराष्ट्रीय बाजार है, कच्चे तेल की कीमतें लगातार घट रही हैं.रूस यूक्रेन युद्ध के बाद मार्च 2022 में कच्चे तेल की कीमत $139 प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. वर्तमान में कच्चे तेल की कीमत 75 से 76 डॉलर तक आ चुकी है. इसके बावजूद तेल कंपनियों ने डीजल और पेट्रोल की कीमतों में कोई कमी नहीं की है. अब इन कंपनियों पर डीजल और पेट्रोल की कीमतें घटाने का दबाव बढ़ रहा है. भारत में तीन तेल कंपनियां हैं. यह है इंडियन आयल कारपोरेशन, भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड तथा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड.
ये तेल कंपनियां अपना घाटा पूरा होने तक तेल की कीमतों में कटौती से इनकार कर चुकी है. हालांकि सूत्र बताते हैं कि तेल कंपनियां काफी हद तक अपने घाटे की भरपाई कर चुकी है. इस बात को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी मानते हैं.उन्होंने संकेत भी दिया है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने पर विचार कर सकती हैं.
चर्चा तो यह भी है कि इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. उससे पहले तेल कंपनियों द्वारा तेल की कीमतों में कटौती की घोषणा की जा सकती है. कुछ जानकार मानते हैं कि इसमें कुछ विलंब हो सकता है. परंतु अगर मार्केट की स्थिति ऐसी बनी रही तो निश्चित रूप से डीजल और पेट्रोल की कीमतें घट सकती हैं. क्योंकि तेल कंपनियों पर कीमतें घटाने का भारी दबाव बना हुआ है.
तेल कंपनियों के अधिकारियों के बयान ऐसा कोई संकेत नहीं करते जिससे कि पता चले कि हाल फिलहाल में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में कमी की जा सकती है. अधिकारियों का कहना है कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी आने से पेट्रोल और डीजल पर मार्जिन बढ़ने के बावजूद इनकी खुदरा कीमतों में बदलाव तभी होगा जब सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां पिछले साल हुए घाटे की भरपाई कर लेंगी.
अब देखना है कि तेल कंपनियां अपने घाटे की भरपाई कब तक कर पाती हैं? अब देखना होगा कि इन तेल कंपनियों पर सरकार का दबाव कितना बढ़ पाता है और क्या तेल कंपनियां सरकारी दबाव में आएंगी? वैसे जानकार तो यही मानते हैं कि डीजल और पेट्रोल की कीमतों में कमी तो आएगी, लेकिन इसके लिए लोगों को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. शायद विधानसभा चुनाव से पहले इस संबंध में एक बड़ी घोषणा तेल कंपनियों के द्वारा की जा सके!