आपने सुना ही होगा कि सारे तीरथ बार बार… गंगासागर एक बार! हमारी मान्यताओं और शास्त्रों में गंगासागर के बारे में कुछ ऐसा ही कहा गया है. इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी है. परंतु उसे बाद में जानेंगे. सबसे पहले यह जानते हैं कि इस बार का गंगासागर मेला अद्भुत और स्पेशल क्यों है!
इस बार गंगासागर मेला अब तक के आयोजित सभी मेलों में सबसे अलग और अद्भुत होने जा रहा है. मेले में सर्वाधिक भीड़ होने का अनुमान लगाया जा रहा है. क्योंकि इलाहाबाद में कुंभ मेला का आयोजन नहीं हो रहा, इसलिए पूरे भारत और विदेशों से भी तीर्थयात्री गंगासागर मेले में आएंगे. यही कारण है कि गंगासागर मेले की तैयारी के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनका मंत्रिमंडल मुस्तैदी से कार्य कर रहा है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गंगासागर मेले की तैयारी के लिए अपने मंत्रिमंडल के 10 मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है. वह खुद इसकी मॉनिटरिंग भी कर रही है. चीन में कोरोना विस्फोट और भारत में इसकी धमक के बीच गंगासागर मेले के आयोजन में पूरी सावधानी बरती जा रही है. तीर्थ यात्रियों को कोविड नियमों का पालन करना जरूरी है. इसके अलावा गंगासागर मेले में आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को राज्य सरकार की ओर से तीर्थयात्री का फोटो लगा विशेष प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जिसमें शुभकामना संदेश भी होगा.
पहली बार गंगासागर मेले में कपिल मुनि मंदिर समेत बंगाल के सभी प्रमुख मंदिर दिखेंगे. तीर्थयात्री यहां कालीघाट, दक्षिणेश्वर, तारापीठ, तारकेश्वर आदि मंदिरों की झलक देख सकेंगे. इसके अलावा पहली बार यहां ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया जा रहा है, जो तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का केंद्र भी है. राज्य सरकार की ओर से मेला की तैयारी और सागर पूजन का भी विशेष प्रबंध किया गया है. 12 जनवरी से 14 जनवरी तक 3 दिनों तक आरती की जाएगी. सागर आरती में एक सौ लोग ढाक बजाएंगे, जबकि 40 पंडित सागर की पूजा-अर्चना करेंगे. इसके अलावा 100 महिलाएं पूजा के समय शंखनाद करेंगी.
गंगासागर मेला के आयोजन का प्राचीनतम इतिहास रहा है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा सागर ने अश्वमेध यज्ञ किया था. राजा सागर की लोकप्रियता सभी लोको में थी. देव लोक के भगवान इंद्र को राजा सागर की लोकप्रियता से जलन होने लगी. तब उन्होंने अश्वमेध के घोड़ों को चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया. राजा सागर ने अपने सभी साठ हजार पुत्रों को घोड़ों की तलाश करने के लिए भेजा तो अश्वमेध के सभी घोड़े कपिल मुनि आश्रम के आसपास बंधे दिखे. जब राजा सागर को पता चला तो उन्होंने कपिल मुनि पर चोरी का इल्जाम लगा दिया.
इस पर कपिल मुनि को गुस्सा आया. उन्होंने राजा सागर के सभी पुत्रों को शाप दे दिया और वे वहीं मृत्यु को प्राप्त हो गए. बाद में राजा सागर को पूरी बात का पता चला तब उन्होंने कपिल मुनि से माफी मांगी और पुत्रों को जीवित करने का आग्रह किया. कपिल मुनि ने राजा सागर को सलाह दी कि ऐसा तो मुमकिन नहीं है, परंतु उनके पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति केवल गंगा ही दे सकती है.
कपिल मुनि की सलाह से राजा भागीरथ ने माता पार्वती की तपस्या की. उसके बाद गंगा मकर संक्रांति के दिन धरती पर अवतरित हुई. गंगा ने राजा सागर के सभी साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया और सागर में विलीन हो गई. तभी से गंगासागर एक पवित्र तीर्थ स्थल बन गया है और कहा जाता है कि सारे तीर्थों में गंगासागर सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. यहां मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है. कपिल मुनि को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है. यहां कपिल मुनि का आश्रम देखने लायक है.