November 17, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिक्किम के नेपाली को विदेशी कहने का मुद्दा लोकसभा में उठेगा! सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका होगी दाखिल!

सिक्किम के नेपालियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा विदेशी टैग करने का मामला लगातार गरमाता जा रहा है. सिक्किम की सत्तारूढ़ पार्टी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा द्वारा इसके विरोध में रैली निकाले जाने के बाद यह फैसला किया गया है कि इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया जाएगा तथा सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी 2023 को सिक्किम में बसे नेपाली समुदाय को लेकर अपने फैसले में उन्हें अप्रवासी टैग किया और इसके बाद से ही यह मामला लगातार गरमा रहा है. दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिष्ट से लेकर सिक्किम के स्थानीय कुछ नेता सुप्रीम कोर्ट की ऐसी टिप्पणी को लेकर आक्रामक हैं तथा इसे सिक्किम के विकास में सिक्किम नेपाली समुदाय के श्रम और खून पसीने को मजाक बताकर सिक्किम के नेपाली समुदाय की भावनाओं को भड़का भी रहे हैं.

सिक्किम की हमरो सिक्किम पार्टी के नेता वाइचुंग भूटिया समेत सिक्किम रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष के वी राय लगातार राज्य सरकार पर हमले कर रहे हैं. वाईचुंग भुटिया ने फरवरी में सिक्किम एकता रैली का आह्वान तक कर दिया है. स्थानीय क्षेत्रीय अन्य दलों के नेता भी वाईचुंग के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.

दार्जिलिंग के भाजपा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने सिक्किम के नेपाली समुदाय के लिए सुप्रीम कोर्ट का अप्रवासी टैग आपत्तिजनक माना है और कहा है कि न्यायालय के किसी भी फैसले पर उन्हें कोई आपत्ति तो नहीं है, परंतु इस तरह की टिप्पणी करने से देश में सिक्किम की एकता और अखंडता कमजोर होती है. . उन्होंने माना है कि ऐसी टिप्पणी करने से सिक्किम में असंतोष उत्पन्न होगा और सामुदायिक एकता कमजोर होगी.

राजू बिष्ट सिक्किम के लोगों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. उन्होंने इस मुद्दे को उचित प्लेटफार्म पर उठाने की बात भी कही है.देखा जाए तो गोरखा को विदेशी चिन्हित करने का मामला कोई आज का नहीं है. हमेशा ही इस तरह की टिप्पणियां सामने आती रहती हैं. चाहे दार्जिलिंग हो या सिक्किम कभी कोर्ट तो कभी राजनीतिक दलों के नेता टीका टिप्पणी करते रहते हैं. लेकिन अगर गोरखा समुदाय के इतिहास की बात करें तो चाहे दार्जिलिंग हो या सिक्किम उनके आधुनिक विकास के अस्तित्व से पहले से ही वह उसका हिस्सा रहे हैं.

सिक्किम के मूल निवासी भूटिया और लेपचा माने जाते हैं. परंतु सिक्किम के गोरखा नेपाली प्राचीन काल से ही सिक्किम के अंग के रूप में सिक्किम को सजाने और सिक्किम के विकास से साथ साथ जुड़े हुए हैं. 1975 में भारत में सिक्किम के विलय तक गोरखा सिक्किम के इतिहास, राजनीति और समाज का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं. सिक्किम के अब तक के 6 मुख्यमंत्रियों में से पांच जातीय गोरखा समुदाय के हैं. जिनमें सिक्किम के वर्तमान मुख्यमंत्री पीएस तमांग भी शामिल है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के सिक्किम के नेपाली समुदाय को लेकर किए गये अप्रवासी टैग का कोई मायने नहीं रह जाता है.

यह सभी जानते हैं कि सिक्किम के नेपाली समुदाय सिक्किम की राजनीति, सिक्किम के आधुनिक विकास और भारत के विकास में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन इन सबके बावजूद इतिहास बताता है कि भारत के गोरखा को कई बार अपने भारतीय होने की कीमत चुकानी पड़ी है. 1975 से लेकर 1999 तक उत्तर पूर्व भारत में भूमि पुत्र आंदोलन में लगभग 100000 गोरखा लोगो को उनकी पैतृक भूमि से बेदखल किया गया.

दार्जिलिंग के भाजपा सांसद नेपाली गोरखा के पक्ष में एकजुट खड़े हुए हैं. वे कहते हैं कि यह कोई नई बात नहीं है. क्योंकि दार्जिलिंग में भी जब-जब गोरखा के लिए संवैधानिक अधिकारों की मांग की जाती रही है, तब तब उन्हें विदेशी करार दिया जाता रहा है. परंतु यह पहला मामला है जब सुप्रीम कोर्ट ने गोरखा लोगों की भावनाओं को आहत किया है.इस तरह की टिप्पणी निश्चित रूप से व्यक्ति की भावनाओं को आहत करती है और इससे समुदाय, संस्कृति और एकता खंडित होती है. बहर हाल यह मुद्दा कब तक राजनीति की धुरी और सुर्खियों में बना रहता है.अभी से इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता. गोरखा लोगों की सरकार से आस बंधी है. अब देखना है कि केंद्र सरकार सिक्किम के नेपाली गोरखा को किस तरह से न्याय दिला पाती है . इस बीच सिक्किम के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू से बात की है जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल किए जाने की बात हो रही है

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