लगभग सात लाख की आबादी वाला सिक्किम प्रदेश भारत के सभी प्रदेशों में सुंदर, स्वच्छ और अनुशासित शहर माना जाता है. यहां पुलिस प्रशासन भी चुस्त है और शासन संचालन प्रक्रिया भी विधि सम्मत है. पहाड़ी प्रदेश सिक्किम की जलवायु एक तरफ सिक्किम को रमणीक बनाती है तो दूसरी ओर स्थानीय लोगों की मुसीबत का भी कारण बन जाती है.
यूं तो सिक्किम में अधिकतर सरकारी नौकरी करने वाले लोग मिल जाएंगे. एक समय था जब सिक्किम में घर-घर कोई ना कोई सरकारी नौकरी में लगा हुआ व्यक्ति मिल जाता था. परंतु अब शायद ऐसा नहीं है. क्योंकि शासन प्रशासन से लेकर आबादी और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी व्यापक बदलाव आया है. इसके अलावा नौकरी के घटते अवसर ने भी यहां के नौजवानों की बेरोजगारी बढ़ाई है. लेकिन यह समस्या अकेले सिक्किम का नहीं है. बल्कि पूरा देश इस समस्या से जूझ रहा है.फिर भी जो आंकड़े सामने आए हैं ,निश्चित रूप से सिक्किम सरकार के लिए चिंता बढा रहे हैं.
सिक्किम में एसकेएम सरकार सत्ता में है. मुख्यमंत्री हैं प्रेम सिंह तमांग. जबकि विपक्ष में एसडीएफ है. एसडीएफ के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने सिक्किम सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि सिक्किम सरकार के शासनकाल में बेरोजगारी दर बढ़ी है. उन्होंने कहा है कि जब 2019 में उनकी सरकार थी तो उस समय राज्य में बेरोजगारी दर 2.1% थी. लेकिन 2023 में बेरोजगारी दर बढ़कर 20% से भी ऊपर चली गई है.
पवन चामलिंग ने राज्य में बढ़ती बेरोजगारी दर को लेकर एक विस्फोटक बयान दिया है और कहा है कि वर्तमान सरकार की नीति सही नहीं है. यही कारण है कि राज्य में बेरोजगारी दर बढ़ी है. पवन चामलिंग ने प्रेम सिंह तमांग को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि यह सरकार पूंजीपतियों की सहायता कर रही है.बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में पैसा निवेश कर रही है. इसके कारण ही राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है.
पवन सिंह चामलिंग ने आरोप लगाया है कि सिक्किम प्रदेश बेरोजगारी दर के मामले में पूरे भारत में चौथे स्थान पर है. सिक्किम की वर्तमान सरकार रोजगार सृजन करने में विफल साबित हुई है. आरोप है कि सिक्किम सरकार ने राज्य के कुल बजट का 60 से 70% राज्य की बड़ी परियोजनाओं में लगा दिया. उन्होंने कहा है कि पीएस गोले की सरकार ने अपने व्यापारिक मित्रों को लाभ पहुंचाने की कोशिश में राज्य और राजस्व का भारी नुकसान किया है. अगर पवन चामलिंग द्वारा पेश किया गया आंकड़ा सही है तो निश्चित रूप से बुद्धिजीवियों के बीच इस पर आलोचना हो सकती है और यह संकेत पीएस गोले सरकार के लिए खतरे की घंटी जैसा है!