अगर आप सिक्किम में रहते हैं और मांसाहार भोजन के आदी हैं तो आपके लिए कुछ समस्या हो सकती है. सिक्किम में चिकन, बकरी खसी, मछली आदि छोटे बड़े जीव जंतु और पक्षियों को मारने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.अगर आपने प्रतिबंध का उल्लंघन किया तो ₹1000 का जुर्माना आप पर लगाया जा सकता है. पूरे राज्य में सिक्किम सरकार के धार्मिक विभाग द्वारा जारी अधिसूचना लागू कर दी गई है. राज्य में इसका असर भी देखा जा रहा है.
हालांकि यह प्रतिबंध हमेशा के लिए नहीं है. इस प्रतिबंध का उद्देश्य यह भी नहीं है कि लोगों के खान-पान पर सरकार अपनी मर्जी थोपे या प्रतिबंध लगाये. बल्कि इस धार्मिक सरकारी प्रतिबंध का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक है और धार्मिक पवित्रता और शुचिता को बनाए रखना है. सिक्किम में तिब्बती कैलेंडर का पवित्र बौद्ध पखवाड़ा मनाया जा रहा है. यह 15 दिनों तक चलेगा. इस अवधि के दौरान सिक्किम में छोटी बड़ी सभी तरह की मांस की दुकानें बंद रहेंगी. इसका एकमात्र उद्देश्य यहां की धार्मिक परंपरा, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का सख्ती से पालन करना है.
यह उत्सव दार्जिलिंग में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है. यहां लोसर उत्सव को लेकर एक उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. दार्जिलिंग में लोसर महोत्सव तिब्बती संस्कृति की एक जीवंत अभिव्यक्ति है, जो पारंपरिक नृत्य संगीत और प्रार्थनाओं द्वारा चिन्हित है. इस उत्सव की शुरुआत मक्खन के दीए जलाने और उपहार के आदान-प्रदान से होती है. सड़कों को रंग-बिरंगे प्रार्थना झंडों से सजाया जाता है. ढोल की आवाज व मंत्रोच्चार से वातावरण एक अजीब कशिश में बदल जाता है.
उत्सव के दौरान कई तरह के नृत्य किए जाते हैं. इनमें चाम नृत्य, नकाबपोश नृत्य आदि इस त्यौहार का प्रमुख आकर्षण है.यह नृत्य बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है.त्यौहार में पारंपरिक तिब्बती संगीत और प्रार्थनाएं शामिल होती हैं. यह सभी उत्सव का एक प्रमुख अंग है. इस त्यौहार के दौरान मोमोज और फूफा जैसे पारंपरिक तिब्बती भोजन परोसे गए. लोगों ने चावल, चीनी और मक्खन से बनी एक विशेष मिठाई ड्रेसिंग को भी तैयार किया.
सिक्किम सरकार के धार्मिक विभाग द्वारा जो सर्कुलर जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि बौद्ध पवित्र दिन की पवित्रता बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है. 28 फरवरी से लेकर 14 मार्च और 29 मार्च को प्रभावी रहेगा. जब तक तिब्बती कैलेंडर का पवित्र बौद्ध पखवाड़ा चलता रहेगा, उस दौरान राज्य भर में पवित्रता का ध्यान रखा जाएगा. इसलिए सभी मांस की दुकाने बंद रहेगी. ना ही कोई व्यक्ति किसी पशु पक्षी अथवा जानवर की हत्या कर सकता है.
इसमें कहा गया है कि अगर राज्य के बाहर से मछली मंगाई गई है तो उसे यहां बेचा जा सकता है. लेकिन अगर सिक्किम राज्य के भीतर कोई मछली पकड़ने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. अगर आपके घर में इस दौरान कोई विवाह समारोह हो या फिर सामाजिक उत्सव और उसके लिए मांस की आवश्यकता है तो इसके लिए धार्मिक विभाग से पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त करना जरूरी है. अन्यथा पुलिस आपके घर पहुंच जाएगी.
इसी तरह से सिक्किम के चिड़ियाघरों में पशुओं को मांस आदि खिलाने के लिए धार्मिक विभाग से पूर्व लिखित अनुमति के बाद ही बाहर से मांस का आयात किया जा सकता है. सिक्किम राज्य की संस्कृति अहिंसा और धार्मिक विश्वास पर आधारित है. हर साल इस प्रतिबंध का पालन राज्य के लोग करते हैं. 15 दिनों के लिए मांसाहार सेवन पर एक तरह से प्रतिबंध लग जाता है. क्योंकि राज्य में मछली मारना, जानवर का वध करना प्रतिबंधित रहता है.
सिक्किम में इस अधिसूचना के बारे में लोगों को पहले से ही सूचित कर दिया गया है. दुकानदार भी इसका पालन कर रहे हैं. राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग, पशुपालन तथा पशु चिकित्सा सेवा विभाग, शहरी विकास विभाग, पुलिस प्रशासन, नागरिक विकास, कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा संबंधित सभी सरकारी विभागों को नोटिफिकेशन के बारे में अवगत कर दिया है. इसके अलावा राज्य के सभी जिलों के जिला अधिकारियों तथा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी अधिसूचना के कार्यान्वयन के लिए कहा गया है.
धार्मिक विभाग ने राज्य के लोगों से निवेदन किया है कि राज्य की जनता कम से कम 15 दिनों तक सहयोग बनाए रखे. सिक्किम में बौद्ध पवित्र दिनों में सागा दावा, लहाबाब दुचेन और डूकपा शे जी जैसे अनुष्ठान पर प्रतिबंध लागू किए जाते हैं. सिक्किम में आज से इसका असर देखा जा रहा है.