सिक्किम एक ऐसा पर्वतीय प्रदेश है, जहां ओलावृष्टि कोई बड़ी घटना नहीं है.आए दिन सिक्किम में ओलावृष्टि, बारिश, तूफान और भूस्खलन की घटनाएं सामने आती रहती हैं. पिछले दिनों बर्फीले तूफान की घटना में कम से कम 7 लोगों की जानें चली गई थी. जबकि कम से कम 13 लोग हादसे में घायल हुए थे. मृतकों में सिलीगुड़ी का भी एक युवक था.
इस घटना ने सिक्किम के साथ-साथ पूरे देश को हिला कर रख दिया था. क्योंकि सिक्किम में यह पहली घटना थी, जहां इस तरह का प्राकृतिक हादसा हुआ और देखते ही देखते 7 लोग काल के गाल में समा गए. यह मंजर कुछ ऐसा था कि अब यहां जरा भी ओलावृष्टि होती है तो ऐसा लगता है कि एक बार फिर से सिक्किम पर मुसीबत टूटने जा रही है. ऐसी किसी घटना पर यहां के लोगों की सिहरन बढ़ जाती है. राहत की बात यह है कि आज कुछ ऐसा नहीं था.
हिमालय का यह क्षेत्र अक्सर प्राकृतिक विपदाओं से दो-चार होता रहता है. आज एक बार फिर से बिन बुलाए मेहमान की तरह ओलावृष्टि ने यहां के लोगों की परेशानी बढ़ा कर रख दी है. सिक्किम में ओलावृष्टि वर्तमान में भय की आशंका को जन्म देता है. सिक्किम में पर्यटक आमतौर पर बर्फबारी का आनंद उठाते हैं. लेकिन पिछली घटना ने पर्यटकों को भी भयभीत करके रख दिया है.
जख्म गहरा है और ताजा है. ऐसे में सिक्किम में हो रही ओलावृष्टि यहां के लोगों और खासकर पर्यटकों के लिए कहीं ना कहीं मुसीबत बन रही है. राहत की बात यह है कि आज ओलावृष्टि गंगटोक में हुई है. हालांकि आवागमन पर इसका असर पड़ा है.
सिक्किम के बारे में यह कहा जाता है कि यहां कब मौसम किस करवट ले ले, कोई नहीं जानता. मौसम की अनिश्चितता के कारण ही सिक्किम में विकास भी प्रभावित होता है. लेकिन सिक्किम के वेदर पर किसी का जोर नहीं है. सिक्किम में मौसम की अनिश्चितता के कारण ही यहां हवाई सेवा विकसित नहीं हो पाती है.
सूत्रों ने बताया कि आज सिक्किम के कई इलाकों में हुई बर्फबारी ने मौसम को काफी सुहावना बना दिया. सिलीगुड़ी और समतल इलाके में एक तरफ तो लोग गर्मी और बढ़ते तापमान का सामना कर रहे हैं. तो दूसरी और पहाड़ों में मौसम काफी रमणीक हो रहा है. सिक्किम में अचानक मौसम के बदलाव से पर्यटक खुश तो हैं, परंतु जब जब ऐसे प्राकृतिक हादसे होते रहेंगे, पर्यटक भी पिछली घटना को याद कर कहीं ना कहीं भयभीत भी होते रहेंगे!