November 27, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी और आसपास में ‘भूईला’ कीड़े का आतंक!

यूं तो हर साल बरसात के महीने में एक विशेष प्रकार के जहरीले कीड़े, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘भूईला’ कहा जाता है, निकलते रहते हैं. परंतु इस बार इन भूईला कीड़ों ने सिलीगुड़ी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में आतंक मचा दिया है. कुछ ही दिनों पहले खबर समय पर सिलीगुड़ी नगर निगम के 5 नंबर वार्ड में विशेष प्रकार के जहरीले कीड़ों का आतंक दिखाया गया था. अब भूईला कीड़ो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

वर्तमान में हालात यह है कि सिलीगुड़ी के आसपास के ग्रामीण इलाके विशेष जहरीले कीड़ों से त्रस्त हो चुके हैं. भूईला जहरीले कीड़ों का आतंक सबसे ज्यादा सिलीगुड़ी के कावाखाली और पोराझाड़ इलाके में देखा जा रहा है. यहां घर-घर में भूईला देख सकते हैं.ये कीड़े इतने ढीठ हो गए हैं कि घर में, किचन में, यहां तक कि बिस्तर पर भी चढ जाते हैं, जिन्हें देखकर बच्चे काफी भयभीत हो जाते हैं. इन विशेष कीड़ो ने लोगों की नींद हराम कर रखी है.

पोराझाड़ के लोगों ने बताया कि इससे पहले भूईला का आतंक इतना नहीं देखा गया था. पहली बार इन विशेष कीड़ो ने यहां इतना ज्यादा आतंक मचाया है. उन्होंने बताया कि भूईला कीड़े रेंगते हुए पानी के बर्तन में भी आ जाते हैं.यहां तक कि घर के किचन और बिस्तर में भी आ जाते हैं. कई लोगों ने यह भी कहा कि उनके घर के दो मंजिल मकान पर भी रेंगते हुए यह कीड़े आ जाते हैं.

हालांकि यह कीड़े काटने वाले नहीं होते हैं. लेकिन त्वचा के संपर्क में आने पर इनके बालों से त्वचा के ऊपर चकते आ जाते हैं. तथा उस भाग में खूब खुजली होती है. कई बार तो खुजलाते खुजलाते वहां की त्वचा लाल हो जाती है. ऐसे में जख्म होने का भी खतरा बढ़ जाता है.

जानकार और अनुभवी लोगों ने बताया कि भुईला की कई प्रजातियां है. इसी तरह से यह कई रंगों में नजर आते हैं .छोटे से लेकर बड़े तक हो सकते हैं.उनका मानना है कि इस बार यह विशेष कीड़े जंगलों से पानी में बह कर आए हैं. पिछले दिनों सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में हुई भारी बरसात के बाद जब नदियों में बाढ़ आ गई थी, उसी क्रम में यह सभी कीड़े नदी के पानी में बहकर आए हैं .यहां बस्ती क्षेत्रों में प्रवेश कर गए हैं.

अब तो लोगों ने ताकि भुईला घर में घुस नहीं सके, गेट बंद कर रखना शुरू कर दिया है.परंतु घर की चारदीवारी और दीवारों से होते हुए फिर भी भूईला घर में घुसने से बाज नहीं आ रहे हैं. फिलहाल भूईला पर नियंत्रण के लिए ग्रामीणों के पास कोई अन्य उपाय नजर नहीं आ रहा है. अब तो वे मौसम बदलने का ही इंतजार कर रहे हैं.

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