सिलीगुड़ी शहर का विस्तार किया जा रहा है. सिलीगुड़ी के आसपास पड़ी खाली जमीनों में बिल्डिंग निर्माण का कार्य चल रहा है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद के अंतर्गत कई ऐसे इलाके हैं, जहां इन दिनों बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों,मॉल तथा मार्केट कांपलेक्स के निर्माण का कार्य चल रहा है. उदाहरण के लिए कावाखाली, माटीगाड़ा, चंपा सारी, देवीडांगा, रानीडांगा इत्यादि इलाके हैं जहां आवास निर्माण के लिए बिल्डिंग प्लान पास कराने की प्रक्रिया चल रही है.
लेकिन क्या सिलीगुड़ी महकुमा परिषद के इन इलाकों में आवास निर्माण के लिए बिल्डिंग प्लान पास होगा? यह सवाल हर उस व्यक्ति की जुबान पर है जो इन दिनों इन क्षेत्रों में जमीन लेकर उस पर बाकायदा इंजीनियर से भवन निर्माण करवाना चाहता है. ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद इन क्षेत्रों में बिल्डिंग निर्माण नहीं किया जा सकता. अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी तथा प्रशासनिक कार्रवाई संभव है.
वास्तव में यह सारा मामला महानंदा वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ा है, जिसको लेकर ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त है. कोर्ट के आदेश के बाद सिलीगुड़ी महकमा परिषद ने इन इलाकों में बिल्डिंग प्लान जारी करना बंद कर दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी शहर के इन इलाकों में 1000 बिल्डिंग निर्माण प्लान को रोक दिया गया है. यह सभी इलाके हैं, पाथर घाटा ग्राम पंचायत, माटीगाड़ा, अठारहखाई,चंपासारी, देवीडांगा, रानीडांगा, कावाखाली इत्यादि.
महानंदा वन्यजीव अभयारण्य की सीमा के चारों ओर 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्र को महानंदा वन्यजीव अभयारण्य के लिए संवेदनशील जोन माना गया है. ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार इन क्षेत्रों में किसी भी तरह का बिल्डिंग निर्माण नहीं किया जा सकता. उपरोक्त सभी इलाके संवेदनशील जोन में आते हैं. ऐसे में अगर कोर्ट के आदेश का पालन होता है तो इन क्षेत्रों में किसी भी तरह का बिल्डिंग निर्माण नहीं किया जा सकता .सिलीगुड़ी महकुमा परिषद के सभाधिपति अरुण घोष भी मानते हैं कि इन क्षेत्रों में बिल्डिंग निर्माण नहीं किया जा सकता. तभी तो 1000 बिल्डिंग निर्माण की प्रक्रिया रोक दी गई है.
ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि इन इलाकों में चल रहे निर्माण कार्य को क्या रोक दिया जाएगा? क्या इन इलाकों में बिल्डिंग प्लान की प्रक्रिया अभी ठंडे बस्ते में ही रहेगी? नौकाघाट ब्रिज पार करते ही कावाखाली पोराझाड़ इलाके में इस समय बिल्डिंग निर्माण की प्रक्रिया बाधित है. जबकि कुछ दिनों पहले यहां एक कंपनी सैकड़ों मजदूरों से निर्माण कार्य करवा रही थी.अब वहां निर्माण कार्य नहीं दिख रहा है.इसका मतलब यह है कि सिलीगुड़ी महकुमा परिषद इन इलाकों में ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन करवाने के लिए मजबूर है.
कहा जा रहा है कि इन इलाकों में बन रहे मॉल, मार्केट कांप्लेक्स, बिल्डिंग इत्यादि निर्माण कार्यों में पर्यावरण नियमों का पालन नहीं किया गया है. इंजीनियर वर्ग ने बिना किसी ठोस तथा न्याय संगत दृष्टिकोण को अपनाए कुछ रसूखदार लोगों के बल पर नक्शा पास कराया है. अब पर्यावरण व वन मंत्रालय की नजर में यह मामला आने के साथ ही महानंदा वाइल्डलाइफ को लेकर उठाए गए कदमों को कार्यान्वित करने के लिए सिलीगुड़ी महकुमा परिषद ने कमर कस ली है.
इन इलाकों में निर्माण कार्य की कुछ विधि सम्मत प्रक्रिया है. उसका पालन किए बगैर कोई भी बिल्डिंग निर्माण नहीं किया जा सकता.महानंदा वन्यजीव अभयारण्य के संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण कार्य के लिए पंचायत समिति से अनुमति लेना आवश्यक होता है. पंचायत समिति सिलीगुड़ी महकुमा परिषद को कागज सौंपेगी. उसके बाद महकमा परिषद के द्वारा जगह का निरीक्षण किया जाएगा. बिल्डिंग प्लान को लेकर भी नियम और शर्तें हैं.
अगर 12 मीटर से अधिक ऊंचा निर्माण कार्य किया जाता है तो बिल्डिंग प्लान राज्य सरकार को भेजा जाएगा. इससे कम ऊंचा निर्माण कार्य के लिए महकमा परिषद की इजाजत लेनी चाहिए. महकमा परिषद और पंचायत समिति मिलकर समस्या का समाधान और बिल्डिंग प्लान की जांच पड़ताल करते हैं.
सूत्र बता रहे हैं कि इन इलाकों में किसी भी तरह के निर्माण कार्य में ना तो कचरा प्रबंधन,जल संरक्षण तथा वृक्षारोपण का ध्यान रखा जाता है और ना ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जाता है.ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपनी जांच में यह पाया है. उसके बाद ही निर्माण कार्य पर रोक लगाया और स्थानीय प्रशासन को इसका पालन करने का सख्त आदेश दिया है. ऐसे में अगर यहां निर्माण कार्य करते हुए अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण तथा वृक्षारोपण यानी पर्यावरण नियमों का पालन करते हुए निर्माण किया जाता है तो संभव है कि प्रशासन इसकी मंजूरी दे सके!