सिलीगुड़ी में दर्जनों निजी नर्सिंग होम और निजी अस्पताल हैं, जहां वर्तमान में रोगियों की भीड़ भाड़ बहुत कम है. एक वक्त था,जब मरीजों की कतार लगी रहती थी. डॉक्टर से लेकर नर्स तक परेशान! किसी को बात करने तक की फुर्सत नहीं होती थी. वह वक्त भी लोगों ने देखा है. परंतु वर्तमान में सच्चाई तो यह है कि कई अस्पतालों में डॉक्टर से लेकर नर्स और दूसरे स्टाफ भी बैठे-बैठे जम्हाई लेते नजर आते हैं.
वर्तमान में यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि अस्पतालों अथवा नर्सिंग होम में रोगी बहुत कम आ रहे हैं. सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल से जुड़े एक व्यक्ति ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि वर्तमान में कई छोटे अस्पतालों की वित्तीय अवस्था काफी खराब हो गई है. नर्सों और स्टाफ को समय पर वेतन भी नहीं दिया जा रहा है. कारण बहुत कम संख्या में मरीज अस्पताल आ रहे हैं. या फिर साधारण मरीज ही अस्पताल पहुंच रहे हैं.
सिलीगुड़ी के कई निजी अस्पतालों ने बाहर से अनेक योग्य मह॔गे डॉक्टरों को रोगियों की सेवा देने के लिए रखा है. ऐसे प्रतिष्ठित डॉक्टरों को समय पर वेतन देना अस्पताल प्रबंधन के लिए भारी पड़ रहा है. सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल में काम करने वाले सब स्टाफ ने बताया कि अस्पताल में महंगे चिकित्सकीय उपकरण है. लेकिन उनका उपयोग बहुत कम हो रहा है. बड़े-बड़े डॉक्टर हैं. नर्स और एक दर्जन से ज्यादा स्टाफ हैं. सब खाली हैं.
अस्पताल में एंबुलेंस सेवा भी है. लेकिन ड्राइवर को चक्कर लगाने की बहुत कम जरूरत पड़ रही है. मरीज के इंतजार में कई डॉक्टर तो समय से पहले ही केविन छोड़ देते हैं या फिर केविन में बैठे-बैठे मोबाइल देखते रहते हैं या फिर कोई पुस्तक पढ़ते नजर आते हैं. ना केवल छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम की यही स्थिति है. बल्कि बडे बडे अस्पताल और नर्सिंग होम में भी कमोबेश यही नजारा देखा जा रहा है.
सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल के एक स्टाफ ने बताया कि पटना अथवा कोलकाता से सिलीगुड़ी में मरीज देखने के लिए कई डॉक्टर महीने में एक से अधिक बार आते हैं. पिछले कुछ समय से यहां मरीज की तादाद कम होने से उन्होंने अपने समय में कटौती की है. इसी तरह से रेगुलर दवाओं को छोड़ दिया जाए तो कई मेडिकल शॉप दिन भर खाली नजर आते हैं.मेडिकल शॉप के कर्मचारी दुकान में पड़े पड़े बोर हो जाते हैं.
वर्तमान में सिलीगुड़ी में गर्मी तेज पड़ रही है. फिलहाल यहां किसी महामारी का कोई संक्रमण भी नहीं है. इस तरह से कहा जाए तो यह सूखा मौसम चल रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि सूखे मौसम में संक्रमण की स्थिति कमजोर पड़ जाती है. लेकिन जैसे ही मौसम परिवर्तन होगा, आर्द्रता अथवा नमी बढ़ेगी, वातावरण में रोगाणु और बैक्टीरिया की संख्या भी बढ़ती जाएगी. ऐसे में लोग अधिक बीमार पड़ेंगे.
कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा नहीं है कि लोग बीमार नहीं हो रहे हैं परंतु यह बीमारी साधारण तौर पर दवा लेने से ही ठीक हो जाती है. सिलीगुड़ी में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल और सिलीगुड़ी जिला अस्पताल है. अधिकतर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लोग सरकारी अस्पतालों का ही रुख कर लेते हैं. ऐसे में निजी अस्पतालों में रोगियों की संख्या में गिरावट स्वभाविक ही कहा जाएगा. पर हर समय यही स्थिति नहीं रहने वाली है!
सिलीगुड़ी के एक निजी नर्सिंग होम के प्रबंधक ने स्वीकार किया कि कि सिलीगुड़ी के लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क हो रहे हैं. वे अपने शरीर का विशेष ख्याल रखते हैं. इस मौसम में अगर लोग कम बीमार हो रहे हैं तो यह अच्छी बात है. चाहे निजी अस्पताल हो अथवा सरकारी, डॉक्टर भी यही चाहते हैं कि लोग स्वस्थ रहें ताकि अस्पतालों का चक्कर लगाना ना पड़े. उनका कहना था कि अस्पताल रोगी की सेवा के लिए होता है. ऐसे में अस्पताल अथवा नर्सिंग होम को घाटा नफा का यह व्यवसाय नहीं है.उन्होंने कहा कि मेरी शुभकामना सिलीगुड़ी के लोगों के साथ है!