अगर आप धनतेरस पर सोने चांदी नहीं खरीद सके तो कोई बात नहीं. कम से कम एक झारू जरूर खरीद लें. क्योंकि झाड़ू भी लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है. झाड़ू को शास्त्रों में धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और शुभता को आकर्षित करती है. घर की साफ सफाई होने पर ही घर में लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए अपना दिल छोटा ना करें और सोने चांदी नहीं खरीद सके तो इसका मलाल ना करके झाड़ू ही खरीद कर ले आए…
18 अक्टूबर को सिलीगुड़ी समेत पूरे देश में धनतेरस मनाया जा रहा है. धनतेरस पर सोने चांदी के आभूषण खरीदना और उपयोग में लाना अत्यंत शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदा गया सोना हमेशा मंगल दायक होता है और घर में सुख संपत्ति लाता है. लेकिन आज ये दोनों ही आभूषण महंगाई में सातवें आसमान को छू रहे हैं. देश के कई शहरों में चांदी तो बाजार में मिल भी नहीं रही.
धनतेरस पर लोग चांदी खरीदने के लिए तैयार हैं. पर विडंबना है कि चांदी बाजार से नदारद है. धनतेरस पर चांदी के सिक्कों, बार और सिली की मांग लगातार बढ़ रही है. चांदी पिछले साल 75000 किलो औसत भाव पर मिल रही थी. 1 साल के अंदर यह दो लाख रुपए किलो पर पहुंच गई है. किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी. बहुत से स्त्री पुरुष चाहकर भी सोने चांदी खरीद नहीं पा रहे हैं.
धनतेरस पर सोने चांदी के गहने खरीदने की हमारी परंपरा रही है. खासकर महिलाएं धनतेरस पर सोने चांदी के आभूषण लेना जरूर पसंद करती हैं. किसी समय जब सोने और चांदी के आभूषण सस्ते थे तो अमीर गरीब सभी वर्ग की महिलाएं कुछ ना कुछ सोने चांदी के आभूषण खरीद ही लेती थीं. लेकिन आज गरीब और मध्यमवर्ग की महिलाएं अपने दिल के अरमान को दिल में ही दफन करने पर मजबूर हैं. क्योंकि 24 कैरेट का सोना प्रति 10 ग्राम 100000 से काफी ऊपर है और डेढ़ लाख प्रति 10 ग्राम की ओर अग्रसर है.
चांदी की कीमत भी उसी रफ्तार से आगे बढ़ रही है. चांदी प्रति 1 ग्राम 176 रुपए 50 पैसे बिक रही है यानी 1 किलो चांदी 176500 में मिलेगी. कुछ समय पहले तक सोने चांदी का यह भाव नहीं होता था. लेकिन आज गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाएं सोने और चांदी के बढ़ते भावों को देखकर अपने अरमानों का गला घोट रही है. सिलीगुड़ी में सोने चांदी की बहुत सी दुकाने हैं. हालांकि धनतेरस को देखते हुए इन दुकानों में ग्राहकों की भीड़ जरूर है, परंतु ऐसी भी नहीं है कि वहां सभी वर्गों की महिलाएं खरीददारी करने आ सकें.
अमीर महिलाएं आज भी प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा का पालन कर रही हैं और धनतेरस पर सोने चांदी के आभूषण खरीदना नहीं भूलती हैं. चाहे उनकी कीमत कुछ भी हो. स्वर्ण आभूषण खरीदना और घर लाना वे अपना सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानती हैं. ऐसी ही महिलाओं की ज्वेलर्स की दुकानों में भीड़ देखी जा रही है. सिलीगुड़ी के सोने चांदी के विक्रेता धनतेरस के उपलक्ष्य में सोने चांदी की खरीद पर विशेष छूट और ऑफर दे रहे हैं, ताकि सभी वर्गों की महिलाएं स्वर्ण आभूषण खरीद सकें.
ज्वेलर्स के द्वारा यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि सोने चांदी में निवेश करने का यह सही समय है. क्योंकि सोने चांदी का भाव और ऊपर जाएगा. सोना चांदी कभी भी घाटा नहीं देते. बहुत से दुकानदार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मेकिंग चार्ज तक छोड़ रहे हैं. लेकिन जो महिलाएं साधन संपन्न नहीं हैं, वे कम से कम चांदी का एक सिक्का जरूर खरीद कर रही हैं. जबकि गरीब और निम्न मध्यम वर्ग की महिलाएं धनतेरस पर अधिकतर झाड़ू की खरीददारी करती हैं. धनतेरस पर झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है. झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक भी माना गया है. इसीलिए झाड़ू की दुकानों में भी ऐसी महिलाओं की भीड़ दिख रही है.
बहरहाल धनतेरस पर आप जो भी खरीदे, अपनी क्षमता और आवश्यकता को देखते हुए ही खरीददारी करें. इस पर ध्यान ना दे कि सोने चांदी में निवेश करने का यह सही समय है. क्योंकि बाजार हमेशा एक सा नहीं रहता है. क्या पता कि कल सोने और चांदी के भाव धड़ाम से गिरे और आप अपना सर पीटते रह जाएं! इसलिए सोच समझ कर खरीददारी करें. स्वर्ण आभूषण लें या चांदी का सिक्का या फिर साधारण झाड़ू, सभी शुभता का प्रतीक है.