December 18, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी को किसकी ‘नजर लगी’?

कुछ समय पहले तक शांत सिलीगुड़ी शहर अचानक अशांत कैसे हो गया? कहीं हत्या तो कहीं मारपीट, कहीं किसी का अपहरण तो कहीं लेनदन को लेकर चाकूबाजी की घटनाएं देखी सुनी जा रही है. कुछ लोग पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हैं, तो कई लोग ऐसे हैं जो ऐसी अवांछित घटनाओं के लिए परिस्थितियों को जिम्मेदार बताते हैं.

यह तो सभी जानते हैं कि कोई भी घटना यूं ही नहीं घटती. इसके पीछे परिस्थितियां जिम्मेवार होती हैं. अब सवाल यह उठता है कि परिस्थितियां तो पहले भी थी.पर ऐसी घटनाएं उस समय नहीं होती थी. अथवा बहुत कम होती थी जितनी कि वर्तमान समय में तेजी से घटनाएं घट रही है.

जब जब ऐसी घटनाएं घटती है तो राजनीतिक दलों के नेताओं को राजनीति करने का मौका मिल जाता है. विपक्षी पार्टियां घटनाओं को लेकर पुलिस प्रशासन को निकम्मा बताने लगती हैं तो सत्ता पक्ष पर भी हमले शुरू हो जाते हैं. शहर में पिछले दिनों घटी कई अपराधिक घटनाओं का विरोध विभिन्न दल और संगठन के लोग कर रहे हैं.

माकपा, भाजपा ,कांग्रेस जैसी पार्टियां ऐसे मौके पर भला चुप कैसे रह सकती हैं. दार्जिलिंग जिला माकपा ऐसी घटनाओं के विरोध में सड़क पर उतरी और यहां तक कि सिलीगुड़ी शहर को हत्यापुरी सिलीगुड़ी करार तक दे डाला. माकपा ने तो बकायदा शहर में जुलूस तक निकाला. वाममोर्चा के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि सिलीगुड़ी शहर में हो रही अपराधिक घटनाओं के पीछे सत्तारूढ़ दल का हाथ है. अथवा उनके संरक्षण में ही ऐसी घटनाएं घट रही हैं. पुलिस प्रशासन मौन है और जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है.अशोक भट्टाचार्य ने तो यहां तक कह दिया कि जब पुलिस ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण नहीं कर सकती तो लोगों की क्या सुरक्षा कर पाएगी?

सिलीगुड़ी एक ऐसा शहर है, जहां विभिन्न धर्मों और भाषाओं के लोग निवास करते हैं. एक समय सिलीगुड़ी शहर में विभिन्न धर्म और वेशभूषा के लोगों में प्रेम और सद्भाव देखा जाता था. लोग एक दूसरे के काम आते थे.वर्तमान में ऐसा नहीं है. समय बदलने के साथ ही लोगों में हिंसा और ईर्ष्या ने जगह बना ली है. आज के सिलीगुड़ी में एक दोस्त दूसरे दोस्त की पीठ में छुरा घोप रहा है तो कोई पैसे के लेनदेन को लेकर किसी की हत्या कर रहा है. कहीं जमीन का मामला इतना तूल पकड़ रहा है कि लोग एक दूसरे के खून के प्यासे बन रहे हैं.

सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने वर्तमान में शहर में अबाध गति से बढ़ रही घटनाओं की शायद कल्पना तक नहीं की होगी. पुलिस शांति, सुरक्षा और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होती है. ऐसा नहीं है कि सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारी अपना कार्य और जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर रहे हैं.कहीं ना कहीं उनके अधिकार भी सीमित हैं. इसलिए पुलिस ज्यादा कुछ नहीं कर सकती. पुलिस का काम अपराधी को पकड़ना और उसे जेल की सलाखों तक पहुंचाना होता है. सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस ऐसा कर भी रही है.

फिर क्या कारण है कि शहर में अपराधिक घटनाओं में इजाफा हुआ है? हत्या ,किडनैपिंग ,गुंडागर्दी की घटनाओं को अंजाम देते समय अपराधी को कहीं भी पछतावा क्यों नहीं होता? अगर कारणों का विश्लेषण किया जाए तो एक बात निकल कर आती है, वह है लोगों में खत्म होती जा रही सब्र और धीरज की भावना. जानकारों का मानना है कि वर्तमान समय में लोगों के खानपान के तौर-तरीकों में बदलाव आया है. लोग मांसाहार होते जा रहे हैं. ऐसे में उनके खून में पशुता की भावना बढ़ती जा रही है.

हर व्यक्ति तनाव और गुस्से का शिकार है. अधिकांश लोग अपने गुस्से और तनाव पर नियंत्रण नहीं रख पाते. तब ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आती हैं.इसलिए सिलीगुड़ी में वर्तमान में घटित अपराधिक घटनाओं के लिए अगर कोई जिम्मेवार है तो इंसान की पशुता… उसका गुस्सा और तनाव, जिस पर उसका कोई नियंत्रण ही नहीं है! आपका इस बारे में क्या ख्याल है? आप इससे कितना सहमत हैं, अवश्य बताइएगा!

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