November 18, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी नगर निगम का रिकॉर्ड रूम सील,SMC विरोधियों के निशाने पर!

कोलकाता हाई कोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के आदेश के बाद सिलीगुड़ी नगर निगम के रिकॉर्ड रूम में ताला लगा दिया गया है. न्यायाधीश महोदय अभिजीत गंगोपाध्याय ने मामले की जांच का आदेश सीआईडी को सौंपा है. इसके अलावा उन्होंने सिलीगुड़ी नगर निगम आयुक्त सोनम वांगदी भूटिया को काफी फटकार लगाई है, जिन्होंने अदालत में मामले से जुड़े आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत नहीं किया था. इसके बाद से ही सिलीगुड़ी में राजनीतिक हलचल और विभिन्न दलों के नेताओं के बयान और सुर बदल गए हैं. वे कॉरपोरेशन पर ऊंगली उठा रहे हैं.

यह मामला बर्दवान रोड पर स्थित एक बिल्डिंग से जुड़ा हुआ है. आरोप है कि बिल्डिंग निर्माण में हेरा फेरी की गई है और नियमों तथा कानून को ताक पर रखा गया. आरोप है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने बगैर सत्यापित के बिल्डिंग निर्माण को हरी झंडी दी. सिलीगुड़ी के रिकॉर्ड रूम में ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जो बिल्डिंग की वैधता को प्रमाणित कर सके. सिलीगुड़ी नगर निगम के अधिकारियों द्वारा सफाई दी जा रही है कि यह मामला अत्यंत पुराना है और आज सब कुछ डिजिटल हो गया है.

न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के फैसले पर टिप्पणी करते हुए सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने कहा कि माननीय न्यायाधीश के फैसले को हम मानते हैं. लेकिन जिस समय का यह मामला है, उस समय डिजिटल व्यवस्था नहीं थी. वर्तमान बोर्ड तो नया है और सब कुछ डिजिटल तरीके से काम हो रहा है. ऐसे में पुराने मामले से संबंधित दस्तावेज कहां गायब हो गए, यह हमें देखना होगा. हम इस पर बैठक करेंगे और विचार करेंगे.

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय का फैसला उन्हें मंजूर है. लेकिन अच्छा होता कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाती, क्योंकि सीआईडी तो राज्य सरकार की ही जांच एजेंसी है. सिलीगुड़ी से भाजपा विधायक शंकर घोष ने भी माननीय न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि बिल्डिंग पास करने से संबंधित दस्तावेज कहां गायब हो गए, यह जरूर आश्चर्य का विषय है. इसकी जिम्मेदारी सिलीगुड़ी नगर निगम की ही है.

उधर वाम मोर्चा ने भी सिलीगुड़ी नगर निगम पर हमला करना शुरू कर दिया है. वाममोर्चा के प्रवक्ता ने कहा कि माननीय न्यायाधीश महोदय के फैसले का वह स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा है कि वाम मोर्चा के शासनकाल में कोई भी गैर कानूनी काम नहीं होता था. बिल्डिंग निर्माण में नियमों और कानून का पूरा ध्यान रखा जाता था.

यह पूरा मामला बर्दवान रोड पर स्थित एक भवन से जुड़ा हुआ है. ट्रस्टी के कुछ लोगों ने कोलकाता हाई कोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच में एक मुकदमा दायर किया था, जिस पर अदालत में सुनवाई शुरू हुई. सरकारी पक्ष से वांगदी भूटिया कई बार अदालत में उपस्थित हुए. लेकिन वह कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सके. माननीय न्यायधीश महोदय ने वांगदी भूटिया को कई बार मौका दिया. लेकिन वे हर बार आवश्यक दस्तावेज के साथ अदालत में अपना पक्ष नहीं रख सके. वह हर बार यही कहते रहे कि दस्तावेज तलाशे जा रहे हैं. इसके बाद अदालत ने उन्हें कोर्ट में ही काफी फटकार लगाई और इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी. अब इस मामले की जांच सीआईडी करेगी.

माननीय न्यायधीश महोदय अभिजीत गंगोपाध्याय ने इस मामले की जांच सीआईडी अधीक्षक को सौंपते हुए निर्देश दिया है कि दो सप्ताह के अंदर इस मामले की जांच की रिपोर्ट अदालत को दी जाए तथा 1989 के बाद सिलीगुड़ी नगर पालिका के द्वारा जितने भी बिल्डिंग पास कराए गए हैं, उन सभी के दस्तावेज रिकॉर्ड रूम से तलाश किया जाए. बर्दवान रोड पर स्थित जिस भवन को लेकर यह सारा मामला सुर्खियों में है, उस भवन के ब्लूप्रिंट के अलावा कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है.

अब यह चर्चा का विषय बन गया है कि सिलीगुड़ी शहर में अधिकांश बिल्डिंगों का निर्माण अवैध तरीके से किया गया है और इसका कोई भी रिकॉर्ड रिकॉर्ड रूम में नहीं है. अब इन सभी मामलों की जांच होनी चाहिए और सिलीगुड़ी नगर निगम से रिकॉर्ड मांगा जाना चाहिए.

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