वर्तमान में आप सिलीगुड़ी के किसी भी बाजार से सस्ती दर पर सब्जियां खरीद कर घर ले जाते हैं. आलू, बैंगन, टमाटर, प्याज,धनिया, गोभी, मटर इत्यादि विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियां सस्ते में मिल रही हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बहुत जल्द 10 से ₹15 किलो मिलने वाली गोभी ₹100 किलो तक जा सकती है. केवल गोभी ही क्यों, सभी हरी साग सब्जियां बाजार में दुर्लभ होने वाली हैं. हरी साग सब्जी से लेकर आलू, प्याज, टमाटर इत्यादि साग सब्जियों की कीमत आसमान छू सकती हैं.
सिलीगुड़ी बाजार से जुड़े जानकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण समय से पहले गर्मी पड़ना है, क्योंकि जब यहां तेज गर्मी पड़ने लगेगी, उस समय तक खेत में सब्जियों का अकाल पड़ सकता है. सिलीगुड़ी के रेगुलेटेड मार्केट में थोक सब्जी मंडी है. बाजार के कुछ जानकारों का मानना है कि वर्तमान रेट पर जो सब्जियां मिल रही है, बहुत जल्द इनकी कीमत बढ़ सकती है या फिर यह सब्जियां दुर्लभ होने वाली हैं.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार केवल सिलीगुड़ी के बाजार की ही बात नहीं है, बल्कि देश भर के बाजारों का यही हश्र होने वाला है! भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुख्य कृषि वैज्ञानिक जेपीएस डबास ने जिस तरह की आशंका व्यक्त की है, उससे लगता है कि आने वाले महीनों में बाजार में हरी साग सब्जियां मिलना दुर्लभ हो जाएंगी. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि इनकी कीमत कितनी होगी. दरअसल इन सभी का कारण एकमात्र समय से पहले गर्मी पड़ना है. बाजार के जानकारों और वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका असर साग सब्जियों के उत्पादन पर पड़ेगा और बाजार प्रभावित होगा.
विशेषज्ञों ने बताया कि आलू, गोभी, टमाटर ,मटर और शिमला मिर्च इत्यादि का उत्पादन मार्च महीने में होता है. लेकिन समय से पहले पड़ रही गर्मी के चलते इनका उत्पादन फरवरी महीने में ही 100% हो गया है. दरअसल जब तापमान बढ़ता है तो सब्जियां पकने लगती हैं या फिर उनका उत्पादन रुक जाता है. ऐसे में किसानों को सब्जी काट कर बाजार में बेचना पड़ जाता है.
सिलीगुड़ी के नया बाजार सब्जी मंडी इलाके में अनेक दुकानदार जलपाईगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों से सब्जियां बेचने आते हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनकी लागत भी नहीं निकल रही है. क्योंकि खेतों में पड़े पड़े सब्जियां खराब हो रही हैं. इसलिए उन्हें औने पौने भाव में सब्जियां बेचनी पड़ रही है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जिस फूल गोभी की बुवाई अक्टूबर में हुई थी और नवंबर में उसकी रोपाई की गई थी. अगर तापमान सामान्य रहता तो यह 15 मार्च तक तैयार हो जाती.लेकिन तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण यह सब्जी फरवरी महीने में ही तैयार हो चुकी है. इसी तरह मटर को ले लीजिए. बाजार में मटर की आवक बढ़ी है.मटर की आवक बढ़ने से कीमतों में गिरावट आई है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार तापमान का एकाएक बढ़ जाना सब्जी की फसल के लिए काफी नुकसानदेह साबित होता है. कई फसलें खराब हो जाती हैं. आलू की फसल समय से पहले ही बाजार में आ चुकी है. यही कारण है कि आलू की कीमत में काफी गिरावट आई है. लेकिन कुछ दिनों के बाद जब सब्जियों की आवक बाजार में नहीं होगी, तब ऐसे में सब्जियों के दाम आसमान छू सकते हैं.