October 24, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी में प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू!

सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में जिस तरह धूमधाम के साथ दुर्गा पूजा मनाई गई, अब दिल में उतनी ही उदासी लिए लोग मां को अंतिम विदा दे रहे हैं और कह रहे हैं कि मां, तुम फिर आना! हर साल दुर्गा पूजा आती है. सिलीगुड़ी में तो इस बार मौसम भी मेहरबान था. बारिश नहीं हुई. इसलिए लोग पूजा पंडालों में उमड़ पड़े.

सिलीगुड़ी में 207 दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था. सभी पंडालों में काफी धूम देखी गई. सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस ने दुर्गा पूजा के दौरान शांति और सुरक्षा का भरपूर ध्यान रखा था. इसलिए शांतिपूर्ण उल्लास के वातावरण में दुर्गा पूजा संपन्न हो गई. कहीं से कोई अप्रिय घटना का समाचार नहीं है.

हालांकि सिलीगुड़ी में छोटी प्रतिमाओं का विसर्जन कल से ही शुरू हो गया है आज भी अनेक प्रतिमाओं का विसर्जन सिलीगुड़ी के विभिन्न घाटों पर किया गया. इनमें लालमोहन निरंजन मौलिक घाट, संतोषी नगर घाट, नौकाघाट इत्यादि.

विभिन्न घाटों पर प्रतिमाओं का विसर्जन तो हो रहा है, पर विसर्जन करते हुए लोगों के दिल में काश सी उठ रही है! काश यह पूजा लगातार चलती रहती! पूरे 10 दिनों तक मां की पूजा अराधना करने वाले भक्त भी भाव विभोर हैं और नम आंखों से मां को विदा दे रहे हैं. कह रहे हैं कि मां तुम फिर आना! जब इन प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है तो ना चाहते हुए भी भक्तों के हृदय में शूल उठने लगती है.

प्रकृति भी वक्त के हिसाब से अपनी रंगत बदल लेती है. उदासी और तन्हाई वक्त के हिसाब से अपने आप आप घिर जाती है. त्यौहार से पहले उल्लास और उमंग को न्यौता नहीं दिया जाता. लेकिन जैसे ही त्यौहार खत्म होता है, उसी चुपके से यह उल्लास और उमंग भी गायब हो जाती है और दिल में उदासी और तन्हाई झांकने लगती है. लोगों की यह अनुभूति होती है जो सिर्फ समझा जा सकता है या महसूस किया जा सकता है.

लेकिन प्रकृति से हमें यह भी सीख मिलती है कि कोई भी चीज शाश्वत नहीं है. जो आया है, वह जाएगा भी. इंसान हो या देवता. प्रफुल्लित मुद्रा में स्वागत और नम आंखों से विदाई! लेकिन जब माता के साथ भक्तों की आत्मा भी एक निष्ठ हो जाती है तो भक्त पर भारी गुजरने लगता है. देवी मां तो चली गई, लेकिन छोड़ जाती है दुख, तन्हाई और विछोह!

मां की विदाई के साथ ही हमें प्रकृति से कुछ सीख भी लेने की जरूरत है. धैर्य, प्रेम, मित्रता, सदाचार और ईमानदारी में अद्भुत शक्ति होती है. 10 दिनों की पूजा उपासना में जिन भक्तों ने इस प्रसाद को ग्रहण किया होगा, उन्हें माता की कृपा भी अवश्य प्राप्त हो गई होगी. ऐसे भक्त कहीं ना कहीं मन को समझा रहे हैं, मां का अवशेष भले ही पानी में विलीन हो जाए, लेकिन मां तो उनके साथ ही है. उनके दिल में बसती है. शायद यही पूजा का संदेश है और इसी संदेश के साथ ही मां की प्रतिमा का विसर्जन हो रहा है.

कल सिलीगुड़ी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कार्निवल हो रहा है. प्रतिमाओं का विसर्जन रविवार तक होता रहेगा. उसके बाद सब कुछ चुपके से समाप्त हो जाएगा!

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